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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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Delhi To Ayodhya Train

Delhi To Ayodhya
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Ayodhya Map

New Delhi to Ayodhya trains – Approximately 4 trains are found running between New Delhi to Ayodhya covering a distance of approx 626 kms. Trains from New Delhi to Ayodhya are listed below along with their schedule, time table, and ticket fare.

12226 KAIFIYAT EXP is the fastest train from New Delhi to Ayodhya. To reach Ayodhya, this train takes 10hr 31min hours. The train departs at 20:25:00 from New Delhi NDLS and arrives in Ayodhya AY at 06:56:00. Mon, Tues, Wed, Thur, Fri, Sat, Sun is when the 12226 Kaifiyat Exp operates.

The cheapest train you can take from New Delhi to Ayodhya is 04096 NDLS AMH HSPL. The train takes 15hr 15min hours to travel between New Delhi and Ayodhya. The train departs at 00:05:00 from New Delhi NDLS and arrives at 15:20:00 in Ayodhya AY, operating on Sat.

Delhi to Ayodhya Trains & Distance

Train Name Train Number Distance / Time Service Days Additinal Information
Anvt Rxl Exp 14018 29hr 20min Wed Train no. 14018 Anvt Rxl Exp is one of the major trains on this route for travellers. It starts from Anand Vihar Trm station and ends at Raxaul Jn. Due to its 33 stoppage stations, the total time taken by this train is around 29hr 20min.
Kaifiyat Exp 12226 14hr 30min Mon, Tue, Wed, Thu, Fri, Sat, Sun Train no. 12226 Kaifiyat Exp is one of the major trains on this route for travellers. It starts from Old Delhi station and ends at Azamgarh. Due to its 18 stoppage stations, the total time taken by this train is around 14hr 30min.
Farakka Exp 13484 33hr 10min Tue, Thu, Fri, Sun Train no. 13484 Farakka Exp is one of the major trains on this route for travellers. It starts from Old Delhi station and ends at Malda Town. Due to its 58 stoppage stations, the total time taken by this train is around 33hr 10min.
Ndls Amh Hspl 04096 17hr 55min Sat Train no. 04096 Ndls Amh Hspl is one of the major trains on this route for travellers. It starts from New Delhi station and ends at Azamgarh. Due to its 9 stoppage stations, the total time taken by this train is around 17hr 55min.


Temple 🔗

The Ram Mandir Trust has set December 2023 as the deadline and the temple will be open for devotees from January 2024.

Hotel In Ayodhya 🔗

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Places To See In Ayodhya 🔗

The top attractions to visit in Ayodhya are: Shri Ram Janma Bhoomi, Hanuman Garhi Mandir, Kanak Bhavan Temple, Sita Ki Rasoi

Ram Mandir Ayodhya Lord Ram Images
Ram Mandir Ayodhya Lord Shiv Vishnu Brahma Images

अयोध्या Route

Check other ways to reach Ayodhya

Facts and History of Ayodhya

राजा जनक कौन थे

रामायण के राजा जनक से आप सभी परिचित है। कियोकि वे माता सीता के धर्म पिता मिथिला के नरेश तथा महान विष्णु भक्त थे। राजा जनक एक विद्वान तथा पराकर्मी राजा होने के साथ वेद शास्त्र के प्रकांड विद्वान थे, उनकी सभा में बड़े-बड़े विद्वान् तथा ऋषि मुनि होते थे।

भगवान परशुराम ने उनसे प्रसन्न होकर विश्व प्रसिद्ध शिव धनुष धरोहर के रूप में प्रदान किया था। राजा जनक एक दयालु और प्रजावत्सल राजा थे। वे अपने प्रजा को अपने पुत्रों की तरह मानते थे। जब मिथिला में अकाल पड़ा तो महाराज जनक बड़े चिंतित हुए और अकाल के निवारण के हर संभव प्रयास किये यज्ञ, हवन, दान तथा खेतों में स्वयं हल चला कर मिथिला की प्रजा को अकाल से मुक्त कराकर एक प्रजावत्सल राजा होने का परिचय दिया।

राजा जनक मिथिला (जनकपुरी) के राजा थे। और राजा को पिता अर्थात जनक कहा जाता है, इसलिए उनका नाम भी जनक हो गया। किन्तु राजा जनक का असली नाम सिरध्वज था, जबकि उनके अनुज का नाम 'कुशध्वज' था। महाराज जनक की कई वर्षो तक कोई संतान नहीं थी। जब उन्होने अकाल से अपनी प्रजा की रक्षा करने के लिए खेतो में हल चलाया तब उन्हें पृथ्वी के अंदर संदूक में एक सुन्दर कन्या मिली। जिसका नाम सीता रखा गया। इसके बाद महाराज जनक की पत्नी सुनैना ने एक पुत्री को जन्म दिया जिनका नाम उर्मिला था। महाराज जनक के छोटे भाई कुशध्वज की दो पुत्रियांँ थी। जिनका नाम माण्डवी और श्रुतकीर्ति था।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Dasharatha - दशरथ

दशरथ एक महान और प्रसिद्ध राजा थे, जो त्रेतायुग में आये। वे कोसल राजवंश के अंतर्गत राजा थे। दशरथ का जन्म अयोध्या नगर में हुआ। उनके माता-पिता का नाम ऋष्यरेखा और श्रृंगर था। दशरथ की माता ऋष्यरेखा उनके पिता की दूसरी पत्नी थीं। दशरथ की प्रथम पत्नी का नाम कौशल्या था, जो उनकी पत्नी के रूप में सदैव निर्देशक और सहायक थी।

दशरथ का रंग गहरे मिटटी के बराबर सुनहरा था, और उनके बाल मध्यम लंबाई के साथ काले थे। वे बहुत ही शक्तिशाली और ब्राह्मण गुणों से युक्त थे। दशरथ धर्मिक और सामर्थ्यपूर्ण शासक थे, जो अपने राज्य की अच्छी तरह से देखभाल करते थे। वे एक मानवीय राजा थे जिन्होंने न्याय, सच्चाई और धर्म को अपना मूल मंत्र बनाया था।

दशरथ के विद्यालयी शिक्षा का स्तर बहुत ऊँचा था। वे वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान रखते थे। उन्होंने सभी धर्मों को समान दृष्टि से स्वीकार किया और अपने राज्य की न्यायिक प्रणाली को न्यायपूर्ण और उच्चतम मानकों पर स्थापित किया।

दशरथ एक सामर्थ्यशाली सेनापति भी थे। वे बड़े ही साहसी और पराक्रमी योद्धा थे, जो अपने शत्रुओं को हरा देने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उन्होंने अपनी सेना के साथ कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया और वीरता से वापस आए। दशरथ की सेना का नागरिकों के द्वारा बहुत सम्मान किया जाता था और उन्हें उनके साहस और समर्पण के लिए प्रशंसा मिलती थी।

दशरथ एक आदर्श पिता भी थे। वे अपने तीन पुत्रों को बहुत प्रेम करते थे और उन्हें सबकुछ प्रदान करने के लिए तत्पर रहते थे। दशरथ के पुत्रों के नाम राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न थे। वे सभी धर्मात्मा और धर्म के पुजारी थे। दशरथ के प्रति उनके पुत्रों का आदर बहुत गहरा था और वे उनके उच्च संस्कारों को सीखते थे।

दशरथ एक सच्चे और वचनबद्ध दोस्त भी थे। वे अपने मित्रों की सहायता करने में निपुण थे और उन्हें हमेशा समर्थन देते थे। उनकी मित्रता और संगठनशीलता के कारण वे अपने देश में बड़े ही प्रसिद्ध थे।

दशरथ एक सामरिक कला के प्रेमी भी थे। वे धनुर्विद्या और आयुध शस्त्रों में माहिर थे और युद्ध कला के उदात्त संगीत का भी ज्ञान रखते थे। उन्हें शास्त्रों की गहरी ज्ञान थी और वे अपने शिष्यों को भी शिक्षा देते थे। उनकी सामरिक कला में निपुणता के कारण वे आदर्श योद्धा माने जाते थे।

दशरथ एक सामर्थ्यशाली और दायालु राजा थे। वे अपने राज्य के लोगों के प्रति मानवीयता और सद्भावना का पालन करते थे। दशरथ अपने लोगों के लिए निरंतर विकास की योजनाएं बनाते और सुनिश्चित करते थे। वे अपने राज्य की संपत्ति को न्यायपूर्ण और सामर्थ्यपूर्ण तरीके से व्यय करते थे।

एक शांतिप्रिय और धर्माचार्य राजा के रूप में, दशरथ को अपने पुत्र राम के विवाह के लिए स्वयंवर आयोजित करना पड़ा। उन्होंने संपूर्ण राज्य को आमंत्रित किया और अपने राजमहल में एक विशाल सभा स्थापित की। दशरथ के स्वयंवर में विभिन्न राज्यों के राजकुमारों ने भाग लिया और राम ने सीता का चयन किया, जो बाद में उनकी पत्नी बनी।

दशरथ के बारे में कहा जाता है कि वे एक विद्वान्, धर्मात्मा, धैर्यशाली और सदैव न्यायप्रिय राजा थे। उनकी प्रशासनिक क्षमता और वीरता के कारण वे अपने समय के मशहूर और प्रमुख राजाओं में गिने जाते थे। दशरथ की मृत्यु ने राजवंश को भारी नुकसान पहुंचाया और उनके निधन के बाद उनके पुत्र राम को अयोध्या का राजा बनाया गया। दशरथ की साधुपन्थी और न्यायप्रिय व्यक्तित्व ने उन्हें देश और विदेश में विख्यात बनाया।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.