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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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Raja Dasaratha Palace Ayodhya

राजा दशरथ का महल

जय श्रीराम

About Raja Dasaratha Palace

Raja Dasaratha Palace in ayodhya

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Raja Dasaratha Palace

जय श्री राम ||

अयोध्या स्थित 'दशरथ महल' दशरथ जी का राजमहल एक सिद्ध पीठ है. मान्यताओं के अनुसार राजा दशरथ ने त्रेता युग में इस महल में स्थापना की थी. इस स्थान ( Dashrath Mahal ) पर श्री वैष्णव परम्परा की प्रसिद्ध पीठ एवं विन्दुगादी की सर्वोच्च पीठ भी स्थित है. यह हनुमान गढ़ी से 50 मीटर की दूरी पर स्थित है.

इस पौराणिक महल का कालांतर में कई बार जीर्णोद्धार भी किया गया.चक्रवर्ती महाराज दशरथ के महल को बड़ा स्थान या बड़ी जगह के नाम से भी जाना जाता है.वर्तमान समय में दशरथ महल अब एक पवित्र मंदिर (A holy temple) के रूप में तब्दील हो चुका है.जहां भगवान राम माता सीता लक्ष्मण शत्रुघ्न और भरत की प्रतिमाएं स्थापित हैं.श्रवण मेला चैत रामनवमी कार्तिक मेला दीपावली राम विवाह उत्साह के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि चक्रवर्ती राजा दशरथ अपने रिश्तेदारों के साथ यहां रहते थे.

This palace was also renovated many times in the mythological period. The palace of Chakravadi Maharaja Dasaratha is also known as Vishal Sthan or Bada Sthan. Present day Dasaratha Mahal is now a Pavitra Mandir (a sacred temple) is cut as Where Lord Rama installs the idols of Mother Sita Laxman Shatrughan and Bharat. Shravan Mela Chait Ram Navami Kartik Mela Deepawali is celebrated along with Ram Vivah marriage. It is believed that Chakravarti King Dasaratha lived here with his legacy.

त्रेता युग में इस महल की स्थापना की थी

दर्शनार्थियों के लिए दशरथ महल सुबह 8:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से लेकर रात्रि 10:00 बजे तक मंदिर खुला रहता है.वहीं रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि दशरथ महल में एक साथ राजा दशरथ,कौशल्या,केकई,सुमित्रा समेत भगवान राम ,माता सीता, भरत ,शत्रुघ्न, लक्ष्मण सभी की मूर्तियां स्थापितहैं.जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी (Hanuman Garhi)से मात्र 100 मीटर की दूरी पर राम जन्म भूमि दर्शन मार्ग पर ही दशरथ महल स्थित है. सुबह 6:00 से 7:00 के बीच में और रात्रि 9 से 10 के बीच में यहां आरती होती है.

Dashrath Mahal is open for visitors from 8:00 am to 12:00 pm and from 4:00 pm to 10:00 pm. While Acharya Satyendra Das, the chief priest of Ramlala, tells that in Dashrath Mahal Together the idols of King Dashrath, Kaushalya, Kekai, Sumitra along with Lord Ram, Mother Sita, Bharat, Shatrughan, Laxman are installed. All the wishes of a devotee who comes here with a true heart are fulfilled. Only 100 meters away from Siddha Peeth Hanuman Garhi, Dashrath Mahal is situated on the Ram Janmabhoomi Darshan Marg. Aarti is performed here between 6:00 to 7:00 in the morning and between 9 to 10 in the night.


Temple 🔗

The Ram Mandir Trust has set December 2023 as the deadline and the temple will be open for devotees from January 2024.

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Places To See In Ayodhya 🔗

The top attractions to visit in Ayodhya are: Shri Ram Janma Bhoomi, Hanuman Garhi Mandir, Kanak Bhavan Temple, Sita Ki Rasoi

Facts and History of Ayodhya And Ramayana

सुमित्रा कौन थीं

सुमित्रा का जन्म काशी नरेश की पुत्री के रूप में हुआ था। वह स्वभाव से अति-विनम्र तथा कर्मठ स्त्री थी। जब वह विवाह योग्य हो गयी तब उनका विवाह अयोध्या नरेश दशरथ के साथ हुआ। दशरथ की पहले से ही दो पत्नियाँ थी तथा तीसरे पत्नी सुमित्रा बनी।

जब कई वर्षों तक राजा दशरथ के कोई पुत्र नही हुआ तो उन्होंने पुत्र कामेष्टि यज्ञ का आयोजन करवाया। इसमें से उन्हें खीर प्राप्त हुई जो उन्होंने आधी-आधी कौशल्या व कैकेयी को दे दी। दोनों रानियों ने अपनी खीर में से आधा-आधा भाग सुमित्रा को खाने को दे दिया। फलस्वरूप सुमित्रा को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई जिनमे बड़े लक्ष्मण थे तो छोटे शत्रुघ्न। लक्ष्मण कौशल्या के पुत्र श्रीराम के ज्यादा करीब थे तो शत्रुघ्न कैकेयी के पुत्र भरत के।

सुमित्रा ने अपने जीवन में कई घटनाक्रम देखे। जैसे कि अपने पति दशरथ की राम वियोग में मृत्यु, भरत का अयोध्या आना व राज सिंहासन त्यागना, चित्रकूट की घटना, श्रीराम लक्ष्मण सीता का चौदह वर्ष के पश्चात लौटना, राम का राज्याभिषेक, सीता का वनवास व उनका धरती में समाना इत्यादि। अंत में सुमित्रा अपनी दोनों सौतन के साथ तीर्थयात्रा पर गयी व शांतिपूर्वक अपने प्राण त्याग दिए व परलोक सिधार गयी।

Sumitra was born as the son of Kashi Naresh. She was very humble and hardworking woman by nature. When he became eligible for marriage, he was married to King Dasaratha of Ayodhya. Dasaratha had two wives from the first and Sumitra became the third wife.

When King Dasaratha had no son for many years, he organized the Putra Kameshti Yagya. Out of this he got Kheer which he gave half to Kaushalya and Kaikeyi. Both the queens gave half of their kheer to Sumitra to eat. As a result, Sumitra was blessed with two sons, of whom the elder was Lakshman and the younger was Shatrughan. Laxman was closer to Kaushalya's son Shriram then Shatrughan to Kaikeyi's son Bharat.

Sumitra saw many developments in her life. Such as the death of her husband Dasaratha in separation from Ram, Bharat coming to Ayodhya and relinquishing the throne, Chitrakoot incident, Shri Ram Lakshman returning to Sita after fourteen years, Rama's coronation, Sita's exile and her return to earth, etc. In the end, Sumitra went on a pilgrimage with both her sons-in-law and peacefully sacrificed their lives and went to the other world.

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Manthara - मंथरा

मंथरा रामायण में एक प्रमुख पात्र है जिसने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह एक रंकिनी थी जो कैकेयी, कैशपति दशरथ की द्वितीय पत्नी, की सेविका थी। मंथरा का अस्तित्व राजमहल में एक उच्च और प्रभावशाली स्थान देता था। वह एक महाविद्यालयीन बुद्धिमान व्यक्ति थी जिसका मुख्य उद्देश्य कैकेयी की इच्छाओं को पूरा करना था।

मंथरा को विवेकी, कपटी, और नीच चरित्र का प्रतीक माना जाता है। उसका रंग सांवला था और उसकी आंखें भ्रमरी जैसी थीं जो हमेशा चोरी करने के लिए ढ़ेरों चीजें तलाशती थीं। उसके रूप, आचरण, और व्यवहार से जाहिर होता था कि वह लोगों में विद्वान्त, विद्रोहीता और सम्मानहीनता को उत्पन्न करने का उद्देश्य रखती है।

मंथरा एक अभिनय प्रेमी थी और उसकी कार्यशैली में वह बदलाव लाने की कला को दर्शाती थी। वह अक्सर मुखौटे धारण करती थी ताकि लोग उसकी असली पहचान नहीं कर पाते। इसके बावजूद, उसकी गतिविधियों का परिणाम हमेशा आशान्ति और विपरीत प्रभाव होता था।

मंथरा ने विवेकपूर्ण चोरी करके कैकेयी के आपक्ष में जाने की योजना बनाई थी। उसने कैकेयी को उसके पति राजा दशरथ और उनके राज्य की प्रशंसा के बारे में मनभावन और प्रलोभनकारी विचारों से प्रभावित किया। उसने कैकेयी को यह भ्रम दिया कि अगर उसे उनके पुत्र राम का राज्याभिषेक नहीं किया जाता है, तो उसके और उसके पति की मर्यादा और सम्मान को छलनी किया जाएगा।

मंथरा की मनियत के चलते, कैकेयी ने राजा दशरथ से अनुरोध किया कि वह राम को वनवास भेजें और उनके पुत्र भरत को राज्य का उपदेश्य बनाएं। यह घटना रामायण की कथा के महत्वपूर्ण पट को पलटने के लिए साबित हुई।

मंथरा के पापी चरित्र ने उन्हें राम और सीता द्वारा जगह जगह निन्दा का शिकार बनाया। उन्होंने शूर्पणखा को भी प्रेरित किया था जो फिर सीता के साथ जंगल में बदले और उसके परिवार को भी आपत्ति में डाला। मंथरा ने अपनी चालाकी और कपट के द्वारा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी संभावित मार्गों का प्रयास किया।

मंथरा का वर्णन रामायण में एक योग्यता के रूप में प्रदर्शित किया गया है जो उसे एक अभिनयी और चालाक खिलाड़ी बनाती है। वह अपने चालों के जरिए कैकेयी के मन को भ्रमित करती है और उसे अपनी ही हानि का कारण बनाती है। उसका पात्र मंथरा रामायण का महत्वपूर्ण रूपांकन है जो दर्शाता है कि चालाकी और विद्वान्त का प्रयोग किया जाए तो कितनी हानिकारक हो सकती है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.