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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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श्री राम स्तुति:

Aarti, Arti, arati Sangrah, श्री राम स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन - Shri Ram Stuti

श्रीराम स्तुति में भगवान श्रीरामचन्द्रजी के बारे में उनके गुणों, स्वभाव, बन्धुओं की रक्षा करना, सभी पर अपनी समान दृष्टि भाव रखने की प्रवृति, सभी पर अपनी कृपा की छांव में रखने के प्रवृति, उनके शरीर के रूप-रंग, आकृति, स्वभाव, दैत्यों का संहार करने वाले, शरीर पर तरह-तरह के रत्नों से जड़ित आभूषणों को धारण किये और माता सीताजी गौरी मां की पूजा करके पूजा स्वरूप वरदान मिलने से खुश दिखाई देती हुई हैं। इसलिए श्रीराम स्तुति का स्तुतिगान करने से सभी तरह से भगवान रामजी के पूरे दर्शन की प्राप्ति होती है। मनुष्य को नियमित रूप से श्रीरामजी की स्तुति करनी चाहिए, जिससे मनुष्य को अपने जीवन में खुशहाली की प्राप्ति हो सके और इस भवसागर से आने-जाने से छुटकारा मिल सके।

॥ दोहा ॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥ १ ॥

भावार्थ : हे मेरे अथिर मन तु सभी पर अपनी कृपा करने वाले और सब पर समान दृष्टि रखने वाले श्रीरामचन्द्र जी की भक्ति भाव और उनका गुणगान कर, वे जगत के आने-जाने की योनि के भयंकर कष्ट के डर निवारण करने वाले हैं, श्रीरामचन्द्रजी के चक्षु नये बने हुए पंकज पुष्प की तरह कोमल हैं, मुख-हस्त और उनके चरण भी लाल पंकज पुष्प के समान हैं।

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥ २ ॥

भावार्थ : श्रीरामचन्द्रजी के शरीर की सुंदरता की छवि अगणित सुंदर एवं आकर्षक मन को मोहित करने वाले कामदेवों से भी ज्यादा है। श्रीरामचन्द्रजी की देह नए गहरे आसमानी रंग के या नील कमल के पौधे के रंग के जल से पुरीपूर्ण बादल रूप के समान सुंदर रंग है, पीले आकाश जैसा बादल रूप शरीरों में मानों तड़ित के समान चमक रहा है, ऐसे पवित्र जानकी के पति श्रीरामजी को मैं नमस्कार करता हूँ।

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥ ३ ॥

भावार्थ : हे मेरे चित से भटके हुए मन, दिनों के बन्धु, भास्कर की अग्नि के समान तेजस्वी, राक्षस एवं दानवों के वंश का पूरी तरह नाश करने वाले, आनँदकंद, कौशल देशरूपी आकाश में निर्मल सोम के समान श्री दशरथ नंदन श्रीराम जी का भजन कर।

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥ ४ ॥

भावार्थ : भिन्न-भिन्न तरह के रत्नो से जड़ा हुआ मुकुट पर जो मस्तक पर धारण किये हुए हैं, जिनके कानों में कुंडल धारण किये हैं, सुन्दर तिलक भाल पर सुशोभित हो रहा है और शरीर के सभी अंगों पर आभूषण से सजित है, जो कि बहुत ही मन को आकर्षित करने वाला रूप हैं। भुजाएँ घुटनों तक लम्बी है, हाथों में धनुष-बाण को लिए हुए हैं, खर-दूषण दैत्य को संग्राम में पराजित करके विजय प्राप्त की है, उन श्रीरामजी को में वंदन करता हूँ।

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥ ५ ॥

भावार्थ : जो मुनियों, शेष और भोलेनाथ के मन को खुश करने वाले हैं, काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओं को नष्ट करके अच्छे भाव को जाग्रत करने वाले हैं, तुलसीदासजी अरदास करते हैं, की वे श्री रघुनाथजी मेरे हृदयकमल में हमेशा रहे।

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥ ६ ॥

भावार्थ : जिसमें तुम्हारा मन आकर्षित हो गया एवं उसकी छवि तुम्हारे मन के हृदय में घर कर चुकी हैं, वही स्वभाव से सुंदर सांवला वर(श्रीरामचंद्रजी) तुमको प्राप्त होंगे। वह दया के सागर और सुजान अर्थात सभी तरह को जानने व सभी जगह पर निवास करने वाले हैं, तुम्हारे शील या मर्यादा और प्रेम-अनुराग को को जानने वाले है।

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥ ७ ॥

भावार्थ : इस तरह श्रीगौरी जी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी सहित समस्त सखियाँ हृदय में हर्षित हुई। तुलसीदासजी कहते हैं-सीताजी मन से बहुत खुश होती है, क्योंकि माता भवानीजी को बार-बार पूजकर खुशी के साथ अपने राजमहल की ओर चल पड़ती हैं।

॥ सोरठा ॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।

भावार्थ : गौरी जी को अनुकूल जानकर सीताजी के हृदय में जो खुशी हुई उसको व्यक्त नहीं कि जा सकती हैं, जो उनको खुशी हुई उनके लिए तो सबकुछ उन्होंने प्राप्त कर लिया हैं। सुन्दर मंगलों के मूल उनके बायें अंग भी फड़कने लगे थे, उनको अपने मन की कामना की सिद्धि का संकेत मिल रहा था।

।। इति श्रीराम स्तुति ।।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास

Temple 🔗

The Ram Mandir Trust has set December 2023 as the deadline and the temple will be open for devotees from January 2024.

Hotel In Ayodhya 🔗

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Places To See In Ayodhya 🔗

The top attractions to visit in Ayodhya are: Shri Ram Janma Bhoomi, Hanuman Garhi Mandir, Kanak Bhavan Temple, Sita Ki Rasoi

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Hanuman`s Mother - हनुमान की मां

हनुमान जी, भगवान श्री राम के भक्त और सेवक, एक प्रमुख पात्र हैं जो महाकाव्य रामायण में प्रमुखता से प्रदर्शित हुए हैं। हनुमान जी को माता अंजनी ने जन्म दिया था, जो एक आदिवासी महिला थीं। हनुमान जी की माता जी का नाम अंजना था। माता अंजना ने विनायक पूजा करके ईश्वर की कृपा प्राप्त की थी और तब ही हनुमान जी को अपने गर्भ में धारण किया था। इस प्रकार हनुमान जी का जन्म हुआ।

हनुमान जी की माता अंजना बहुत ही भक्तिमय और पवित्र महिला थीं। वे वानर राजा केशरी की पत्नी थीं। माता अंजना ब्रह्मा जी की आशीर्वाद से हनुमान जी को धारण करने का भाग्य प्राप्त की थीं। उनकी पूजा-अर्चना विशेष थी और वे सदैव भगवान शिव की अर्चना करती थीं। एक दिन जब वे शिव जी की पूजा कर रही थीं, तो वायुदेवता के आवाज से उन्हें बताया गया कि उन्हें हनुमान जी को जन्म देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यह सुनकर अंजना ने अत्यंत आ नंदित होकर अपने गर्भ में हनुमान जी को धारण किया।

हनुमान जी के जन्म के समय केरल के वनों में ब्रह्मा, विष्णु और शिव द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा की गई। हनुमान जी ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भगवान श्री राम की सेवा में बिताया। हनुमान जी ने राम भक्ति के लिए विशेष योगदान दिया और रामायण के महाकाव्य में अपने साहस, शक्ति और नीतिशास्त्र के अद्भुत ज्ञान के आधार पर अपनी महिमा प्रकट की।

हनुमान जी की माता अंजना ने अपने बेटे को धारण करके उसे स्वर्णिम वर्षा वल्लरी नदी में स्नान कराया था, जिससे हनुमान जी को अद्भुत बल, प्रतिभा और बुद्धि प्राप्त हुई। उनकी विद्या और ब्रह्मचर्य ने उन्हें अन्य सभी वानरों से अलग बना दिया। हनुमान जी ने बचपन से ही विद्या और अद्भुत शक्ति का संचार किया और अपनी माता अंजना की कृपा से हर कठिनाई को सुलझा दिया।

इस प्रकार, हनुमान जी की माता अंजना ने अपनी भक्ति और प्रेम से अपने बेटे को पाला और उन्हें देवताओं की अनुग्रह से भगवान राम की सेवा में भेजा। हनुमान जी ने रामायण में अपने अद्भुत कारनामों के माध्यम से भगवान श्री राम की सेवा की और उनकी विजय में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे माता अंजना के प्रेम और आदर्शों के प्रतीक हैं और हिंदू धर्म में उनकी पूजा विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.