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जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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Delhi To Ayodhya Bus

Delhi To Ayodhya
Way On Live Map

Ayodhya Map

It is a relaxed travelling from Delhi to Ayodhya by bus, thanks to a robust bus network and frequency. The connectivity is provided by state-owned as well as private operators who have a fleet of Volvo, Volvo City, Volvo Multi Axle, Mercedes Benz, Mercedes Benz Multi Axle, Corona sleeper in AC and non-AC buses. The state-operated fleet are known for their timeliness and the courtesy of the staff, giving you the flexibility to choose a convenient pickup point depending on your location.

Delhi to Ayodhya Bus & Distance

Bus Name Train Number Distance / Time Service Days Additinal Information
Gola Bus Service N/A 10h 50m Daily Boarding points from Delhi are: DELHI ISBT KASHMIRI GATE, Majnu Ka Tila, KASHMIRI GATE, I S B T Kashmiri Gate Metro Station Gate Number 4 HP Pump, I S B T Kashimiri Gate Metro Station etc
KST Travels N/A 11h 50m Daily
R.S Yadev Smart Bus N/A 10h 50m Daily

Main dropping points in Ayodhya includes:
Ayodhya, By Pass Ayodhya, By Pass Ayodhya, AYODHYA, Ayodhya ByPass Naya ghat End of Flyover etc


Temple 🔗

The Ram Mandir Trust has set December 2023 as the deadline and the temple will be open for devotees from January 2024.

Hotel In Ayodhya 🔗

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Places To See In Ayodhya 🔗

The top attractions to visit in Ayodhya are: Shri Ram Janma Bhoomi, Hanuman Garhi Mandir, Kanak Bhavan Temple, Sita Ki Rasoi

Ram Mandir Ayodhya Lord Ram Images
Ram Mandir Ayodhya Lord Shiv Vishnu Brahma Images

अयोध्या Route

Check other ways to reach Ayodhya

Facts and History of Ayodhya

सीता कौन थी

देवी सीता को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है लेकिन विभिन्न रामायणों और पौराणिक कथाओं में देवी सीता के जन्म को लेकर रहस्यमयी और रोचक कथाएं हैं। इसकी वजह यह है कि देवी सीता के माता पिता भले ही सुनयना और राजा जनक कहलाते हैं लेकिन यह केवल इनके पालक माता-पिता हैं।

देवी सीता मिथिला के नरेश राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं । इनका विवाह अयोध्या के नरेश राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम से स्वयंवर में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था। इन्होंने स्त्री व पतिव्रता धर्म का पूर्ण रूप से पालन किया था जिसके कारण इनका नाम बहुत आदर से लिया जाता है।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार दशरथजी के पास कौशल्या, सुमित्रा, कैकयी के अलावा उनकी 300 और पत्नियां थीं. दशरथ को साठ हजार साल की आयु में संतान की प्राप्ति हुई थी. सीता और राम के विवाह के वक्त रामजी की आयु सिर्फ 14 साल थी, जबकि सीताजी की मात्र 6 साल की थीं. शादी के बाद दोनों 12 वर्षों तक अयोध्या में रहे, इसके बाद उन्हें वनवास भोगने के लिए वन जाना पड़ा. इस समय तक सीताजी 18, राम जी 26 साल के हो गए थे. जब वे वनवास से लौटे तो सीता की आयु 32 और रामजी की उम्र 40 हो गई थी. मान्यता है कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था. इसी उपलक्ष्य में विवाह पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में इसी दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था. यह पर्व श्रीराम और माता सीता के विवाह महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. धारणा है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत और पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और भगवान राम और माता सीता की कृपा हमेशा बनी रहती है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार रामजी के राज्याभिषेक के कुछ समय बाद ही सीताजी गर्भवती हो गईं और परित्याग के चलते उन्हें वशिष्ठ के आश्रम में जाकर रहना पड़ा. वहीं वन में उनके दोनों जुड़वा बेटे लव कुश पैदा हुए. अश्वमेघ यज्ञ के समय वह बच्चों समेत अयोध्या लौट आई थीं. बताया जाता है कि इसके बाद 11000-13000 वर्षों तक अयोध्या में रहे. इसके बाद वह धरती में समा गईं.

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Shatrughna - शत्रुघ्न

श्री रामचंद्र जी के छोटे भाई और महाराज दशरथ की चौथी पुत्र श्री शत्रुघ्न जी रामायण के प्रमुख चरित्रों में से एक हैं। शत्रुघ्न ने अपने बड़े भाई श्री रामचंद्र जी के समर्थन में समर्पित अपनी जीवन धारा को अपनाया था। उन्होंने अपने वीरता और निष्ठा के कारण रामायण में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है।

शत्रुघ्न का जन्म दशरथ और कौशल्या के द्वारा दिया गया था। वे भाई भरत के तत्वाधीन रहते थे और अपने भाई भरत की तरह ही वे भी भगवान रामचंद्र का अदर्श अनुयायी थे। शत्रुघ्न को बचपन से ही धर्म, संस्कृति, त्याग, और न्याय की महत्वाकांक्षा थी। उन्होंने गुरुकुल में अपनी शिक्षा प्राप्त की और उनके गुरु के प्रभाव में बचपन से ही वीरता और न्याय के मूल्यों का संकल्प लिया।

शत्रुघ्न की वीरता और दूध का धारी होने के कारण वे चारों वेदों में प्रशंसित हैं। उन्होंने अपनी वीरता का प्रदर्शन कई महत्वपूर्ण क्षणों में किया। एक बार जब श्री रामचंद्र जी चीतक नामक एक विशाल वन्य पशु की रक्षा कर रहे थे, तब शत्रुघ्न ने अपनी वीरता और पक्षियों के संरक्षण के लिए संघर्ष किया। उन्होंने चीतक को दारुवन्न में प्रविष्ट करने के बाद जंगली पशु को मार डाला और उनके भाई रामचंद्र जी की सफल यात्रा का उन्नयन किया।

शत्रुघ्न के रामायण में एक और महत्वपूर्ण क्षण है जब वे राक्षस लवण को मारते हैं। लवण अत्यंत दुष्ट था और वह अपनी असहाय माता का शोषण कर रहा था। शत्रुघ्न ने लवण की खुदाई विराम रोकने के लिए आगे बढ़ा और उन्होंने उसे मार डाला। इस क्रिया से वे अपने भाई रामचंद्र जी के प्रति अपनी सेवा और प्रेम की प्रदर्शनी करते हैं।

शत्रुघ्न का विवाह उर्मिला, लक्ष्मण जी की बहन के साथ हुआ था। उर्मिला भी शत्रुघ्न की तरह धर्म और न्याय के प्रतीक थी। उनका विवाह एक पवित्र और सार्थक संबंध के रूप में प्रमाणित होता है।

शत्रुघ्न का वर्णन रामायण में एक मार्गदर्शक, वीर और शांतिपूर्ण पुरुष के रूप में किया गया है। उनकी आदर्श व्यक्तित्व, धर्मप्रेम और अपने परिवार के प्रति समर्पण का प्रदर्शन रामायण के प्रमुख सन्दर्भों में देखा जा सकता है। शत्रुघ्न ने अपने बड़े भाई रामचंद्र जी का सदैव समर्थन किया और उनके आदर्शों का पालन किया।

शत्रुघ्न की अद्वितीय वीरता, उदारता और त्याग उन्हें एक महान चरित्र बनाते हैं। उन्होंने रामायण के पूरे पाठ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उनकी शक्तिशाली प्रतिभा और सामरिक योग्यता ने उन्हें अनेक विजयों की प्राप्ति की है।

शत्रुघ्न रामायण के एक प्रमुख चरित्र हैं जिन्होंने धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपने भाई रामचंद्र जी के प्रति समर्पित रहकर उनके साथ अपनी पूरी जीवन धारा का निर्माण किया। उनकी वीरता, न्यायप्रियता और समर्पण की भावना उन्हें एक आदर्श पुरुष के रूप में बनाती है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.