×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

Hanumangarhi Ayodhya

हनुमानगढ़ी

जय श्रीराम

About Hanumangarhi

Hanumangarhi in ayodhya

-

Hanumangarhi

जय श्री राम ||

अयोध्या के मध्य में स्थित, 76 सीढ़ियाँ हनुमानगढ़ी तक जाती हैं जो उत्तर भारत में हनुमान जी के सबसे लोकप्रिय मंदिर परिसरों में से एक हैं। यह एक प्रथा है कि राम मंदिर जाने से पहले सबसे पहले भगवान हनुमान मंदिर के दर्शन करने चाहिए। मंदिर में हनुमान की मां अंजनी रहती हैं, जिसमें युवा हनुमान जी उनकी गोद में बैठे हैं।

अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित हनुमानगढ़ी सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। अयोध्या में राम जन्मभूमि के दर्शन करने से पूर्व यहां पर हनुमानजी के ही दर्शन करना होते हैं। माना जाता है कि लंका विजय करने के बाद हनुमान यहां एक गुफा में रहते थे और राम जन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। इसी कारण इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। इसे ही हनुमानजी का घर भी कहा गया।

Hanumangarhi, located on a high mound on the right bank of the Sarayu river in Ayodhya, is considered to be the oldest temple. Before visiting Ram Janmabhoomi in Ayodhya, one has to visit only Hanumanji here. It is believed that after conquering Lanka, Hanuman lived in a cave here and used to protect Ram Janmabhoomi and Ramkot. For this reason it was named Hanumangarh or Hanuman Kot. This is also called the house of Hanumanji.

हनुमान गढ़ी, वास्‍तव में एक गुफा मंदिर है

साहित्यरत्न व साहित्य सुधाकर से विभूषित रायबहादुर लाला सीताराम ने 1933 में अपनी पुस्तक श्रीअवध की झांकी में विस्तार से हनुमानगढ़ी का प्रामाणिक वर्णन किया है। रामनगरी के जीर्णोद्धार के समय महाराजा विक्रमादित्य ने यहां 360 मंदिर बनवाए थे। औरंगजेब के समय इसमें से कई तहस-नहस हो गए।

तहस-नहस के बाद 17वीं शताब्दी में हनुमानगढ़ी एक टीला के रूप में विद्यामान था। यहीं एक पेड़ के नीचे हनुमानजी की छोटी मूर्ति की पूजा की जाती थी जो आजकर बड़ी मूर्ति के आगे रखी नजर आती है।

कहते हैं कि अयोध्या के महंत बाबा अभयराम ने नवाब शुजाउद्दौला (1739-1754) के शहजादे की जान बचाई थी। जब वैद्य और हकीम ने हाथ टेक दिए थे तब कहते हैं कि नावाब के मंत्रियों ने अभयरामदास से मिन्नत की थी कि एक बार आकर नवाब के पुत्र को देख लें। फिर बाबा अभयराम ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी के चरणामृत का जल छिड़का था जिसके चलते उनके पुत्र की जान बच गई थी। नवाब ने प्रसन्न होकर बाबा से उस समय कहा कि कुछ मांग लीजिये। तब बाबा ने कहा कि हम तो साधु है हमें क्या चाहिए। हनुमानजी की कृपा से आपका पुत्र ठीक हुआ है यदि आपकी इच्छा हो तो हनुमान गढ़ी बनवा दीजिये। तब नवाब ने इसके लिए 52 बीघा भूमि उपलब्ध करवाई थी। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए भूमि को अवध के नबाव ने दी थी और लेकिन लगभग दसवीं शताब्‍दी के मध्‍य में उनकी रखैल के द्वारा बनवाया गया था। हालांकि कुछ लोग इस घटना को लखनऊ और फैजाबाद के प्रशासक सुल्तान मंसूर अली से भी जोड़कर देखते हैं। लेकिन यह भी कहा जाता है कि 300 साल पूर्व संत अभयारामदास के सहयोग से हनुमान मंदिर का विशाल निर्माण संपन्न हुआ था। संत अभयारामदास निर्वाणी अखाड़ा के शिष्य थे।

हनुमान गढ़ी, वास्‍तव में एक गुफा मंदिर है। यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा केवल छः (6) इंच लंबी है, जो हमेशा फूलमालाओं से सुशोभित रहती है। इस मंदिर परिसर के चारों कोनो में परिपत्र गढ़ हैं। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल (बच्‍चे) हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमानजी, अपनी मां अंजनी की गोदी में बालक रूप में लेटे हैं। हनुमानगढ़ी में ही अयोध्या की सबसे ऊंची इमारत भी है जो चारों तरफ से नजर आती है। इस विशाल मंदिर व उसका आवासीय परिसर करीब 52 बीघे में फैला है। वृंदावन, नासिक, उज्जैन, जगन्नाथपुरी समेत देश के कई नगरों में इस मंदिर की संपत्तियां, अखाड़े व बैठक हैं।

In 1933, in the detail of his book Shriavadh, Raibahadur Lala Sitaram, who is famous for Sahitya Ratna and Sahitya Sudhakar, has given an authentic description of Hanumangarhi. During the renovation of Ramnagari, Maharaja Vikramaditya had built 360 temples here. Since the time of Aurangzeb, many destructions took place in it.

Hanumangarhi existed in the form of a mound in the 17th century after destruction. Here, under a tree, a small idol of Hanumanji was worshipped, which today is seen placed in front of the big idol.

It is said that Mahant Baba Abhayram of Ayodhya saved the life of the prince of Nawab Shujauddaulah (1739-1754). When Vaidya and Hakim had given up, then it is said that the Nawab's ministers requested Abhayramdas to come once and see the Nawab's son. Then Baba Abhayram sprinkled the water of Charanamrit of Hanumanji after reciting some mantras, due to which his son's life was saved. The Nawab was pleased and asked Baba at that time to ask for something. Then Baba said that we are saints, what do we need. Your son has been cured by the grace of Hanumanji, if you wish, get Hanuman Garhi made. Then the Nawab had provided 52 bighas of land for this. It is also said that the land for this temple was given by the Nawab of Awadh. and but was built by his concubine about the middle of the tenth century. Although some people also see this incident by connecting it with Sultan Mansoor Ali, the administrator of Lucknow and Faizabad. But it is also said that the huge construction of Hanuman temple was completed 300 years ago with the help of Saint Abhayaramdas. Saint Abhayaramdas was a disciple of Nirvani Akhara.

Hanuman Garhi is actually a cave temple. To reach here one has to climb about 76 steps. The idol of Hanumanji installed here is only six (6) inches tall, which is always adorned with flower garlands. There are circular bastions in the four corners of this temple complex. There is an idol of Maa Anjani and Bal (child) Hanuman in the temple premises. In which Hanumanji is lying in the lap of his mother Anjani in the form of a child. Hanumangarhi also has the tallest building of Ayodhya which is visible from all sides. This huge temple and its residential complex is spread over 52 bighas. There are properties, akhadas and meetings of this temple in many cities of the country including Vrindavan, Nashik, Ujjain, Jagannathpuri.


Temple 🔗

The Ram Mandir Trust has set December 2023 as the deadline and the temple will be open for devotees from January 2024.

Hotel In Ayodhya 🔗

Book the best Hotels in Ayodhya.Check out your Preferred stay from popular area in Ayodhya, Stay in Ayodhya's best hotels!

Places To See In Ayodhya 🔗

The top attractions to visit in Ayodhya are: Shri Ram Janma Bhoomi, Hanuman Garhi Mandir, Kanak Bhavan Temple, Sita Ki Rasoi

Facts and History of Ayodhya And Ramayana

कौशल्या कौन थीं

कौशल्या रामायण की एक प्रमुख पात्र हैं। वे कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी तथा अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी और देव माता अदिति का अवतार थीं। माता कौशल्या का जन्म वर्तमान छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के चंदखुरी नामक ग्राम में हुआ था, कौशल्या माता का नाम अमृतप्रभा और पिता का नाम सुकौशल था कौशल्या माता का एकमात्र मंदिर यहीं चंदखुरी में स्थित है जहां माता कौशल्या बाल स्वरूप श्री राम को गोद में लिए हुए हैं। कौशल्या को राम की माता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

Kausalya is the main character of Ramayana. She was the princess of Kavach Pradesh (Chhattisgarh) and wife of King Dasaratha of Ayodhya and an incarnation of Goddess Aditi. Mata Kaushya was born in a village named Chandkhuri in Raipur district of present Chhattisgarh, Kaushalya Mata's name was Amritprabha and father's name was Sukaushal. Kaushalya received swarabhakti for being Rama's mother.

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Vali - वाली

वाली रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र हैं। वह एक शक्तिशाली वानर राजा थे और किष्किंधा के राज्य का स्वामी थे। वाली का नाम उनकी वीरता और दृढ़ संकल्प के लिए प्रसिद्ध है। वाली का शरीर सुंदर और दिव्य था, और वह वानरों में सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाता था। उनकी पहचान गहरे सफेद रंग के बालों और बड़े-बड़े मुखरंद्र के साथ किया जाता था। वाली के बाल नाटकीय थे और उनकी चाल गर्व और दृढ़ता का प्रतीक थी।

वाली के पिता का नाम भाली था, जो एक पूर्ण भक्त हनुमान के रूप में भगवान शिव की कृपा पाने के बाद प्राप्त हुआ था। इसलिए, वाली को भी हनुमान के समान दिव्य गुण और शक्तियाँ मिली थीं। वाली बहुत ही धैर्यशील और विद्याशाली थे, और उन्होंने धरती के सभी विदेशों को यात्रा की थी और विभिन्न युद्ध कला और विज्ञान का अध्ययन किया था। उन्होंने एक विशाल सेना का निर्माण किया था और उनके साथ वानरों ने किष्किंधा को अपने विराट सेनापति का मुकाबला करने के लिए तैयार था।

वाली एक उत्कृष्ट योद्धा थे और उन्होंने कई युद्धों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उनकी वीरता का वर्णन महाकाव्य रामायण में भी किया गया है। एक बार एक राक्षस नाम शुक को लड़ने के लिए उनके पास आया। वाली ने बड़े ही साहसपूर्वक और योग्यतापूर्वक उसे मार दिया। इसके बाद से उन्होंने शुक के द्वारा मारे जाने की गरिमा को प्राप्त कर ली और किष्किंधा का राजा बन गए। वाली की वीरता और पराक्रम सुनकर राक्षसों को भय और भ्रम के साथ भर देती थी।

वाली का मन्त्री और श्रद्धालु भक्त हनुमान भी थे, जो उन्हें अपने परिवार के साथ एकत्रित करने में सहायता करते थे। हनुमान वाली के सर्वोच्च मित्र थे और उनके बातचीत करने का अवसर बहुत ही कम होता था। हनुमान वाली की अनुकरणीयता और प्रेम को अच्छी तरह से समझते थे और वह उनके धर्म और कर्तव्यों का पालन करते थे।

वाली एक महान राजनेता भी थे और वह अपने प्रजा के प्रति समर्पित थे। उन्होंने किष्किंधा को विकासित किया था और उनके राज्य में सबका ख्याल रखने के लिए प्रयास किए थे। उन्होंने न्याय और धर्म का पालन किया और अपने प्रजा के साथ न्यायिक और सामरिक समस्याओं का समाधान किया। वाली का नामकरण किष्किंधा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है और उन्हें आदर्श शासक के रूप में याद किया जाता है।

वाली के बारे में रामायण में कई किस्से वर्णित हैं और उनके योगदान को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्होंने राम के प्रणाम का स्वीकार किया था और उनके साथ रामायण युद्ध में उनकी सेना का सहयोग किया। वाली अपनी पराजय के बाद भी राम को आत्मसमर्पण करते हुए उन्हें अपना अधिकार प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया था। वाली रामायण में एक अद्वितीय चरित्र हैं, जो अपनी वीरता, ज्ञान, धर्म, और सेवाभाव के लिए प्रसिद्ध हैं।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.