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जय श्री राम 🙏

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🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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Ram Ki Paddy Ayodhya

राम की पैड़ी

जय श्रीराम

About Ram Ki Paddy

Ram Ki Paddy in ayodhya

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Ram Ki Paddy

जय श्री राम ||

राम की पैड़ी सरयू नदी के किनारे स्थित घाटों की एक श्रंखला है| पूर्णिमा के दिन इस स्थान की सुन्दरता देखते बनती है| श्रधालुओं में ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से पाप धुल जाते हैं |

सरयू घाट के पास स्थित है राम की पैडी, जिसके बारे के एक पौराणिक कथा प्रचलित है। एक बार लक्ष्मण जी ने सभी तीर्थ स्थलों के दर्शन करने के लिए जाने का निश्चय किया। तब श्री राम जी ने यहाँ इस पैडी की स्थापना की और कहा कि सायंकाल के समय सभी तीर्थ यहाँ स्नान के लिए उपस्थित होंगे। जो भी व्यक्ति इस समयअवधि में यहाँ स्नान करेगा, उसे सभी तीर्थ का पुण्य प्राप्त होगा। श्री राम के जाने बाद यहाँ का जल सूख गया। इस समय मोटर पम्प से सरयू नदी का जल इसमें भरा जाता है। इस पुण्य स्थल पर स्नान अवश्य करें। यहाँ विश्व का सबसे बड़ा दीपोस्तव मनाया गया था, जिसे देखने पूरे विश्व से लोग अयोध्या आये थे।

Ram Ki Padi is located near Saryu Ghat, about which a legend is prevalent. Once Lakshman ji decided to go to visit all the pilgrimage places. Then Shri Ram ji established this paddy here and said that in the evening all the pilgrims would come here for bath. Whoever bathes here during this time period, he will get the virtue of all pilgrimages. After the departure of Shri Ram, the water here dried up. At this time the water of Saryu river is filled in it by motor pump. Do take a bath at this holy place. The world's largest lamp festival was celebrated here, to see which people from all over the world came to Ayodhya.

अयोध्या में सरयू तट का वह घाट जहां पर श्रीराम ने ली थी जल समाधि

सरयू नदी के तट पर बसी सप्त पुरियों में से एक अयोध्या नगरी प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि है। सरयू तट पर कई प्राचीन घाट हैं। हर एक घाट से जुड़ी पौराणिक कथाएं हैं। इसी तरह से एक घाट ऐसा हैं जहां श्रीराम ने सरयू में उतरकर जल समाधी ले ली थी। आओ जानते हैं उस घाट के बारे में।

सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्त द्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट या सहस्रधारा घाट, ऋणमोचन घाट, शिवाला घाट, जटाई घाट, अहिल्याबाई घाट, धौरहरा घाट, नया घाट और जानकी घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।

1. गुप्त द्वार : इस गुप्तार घाट भी कहते हैं। इसी स्थान पर श्रीराम ने भरत और शत्रुघ्न की पत्नियों और अयोध्या के सभी नगरवासियों सहित जल समाधि लेकर साकेत धाम को गमन किया था। कहते हैं कि इस घाट पर नदी में डुबकी लगाने वाला कभी यमपुरी का दर्शन नहीं करता है और भगवान् के ही धाम को पहुंच जाता है।

19 वीं सदी में राजा दर्शन सिंह द्वारा इसका नवनिर्माण करवाया गया था। घाट पर राम जानकी मंदिर, पुराने चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर और हनुमान मंदिर स्थित है, जिसके लोग दर्शन कर सकते हैं। यहीं पर घाट के निकट मिलिट्री मंदिर, अंग्रेजी हुकूमत के दौर से सुव्यवस्थित कम्पनी गार्डन एवं राजकीय उद्यान भी है जहां शहरवासी परिवार के साथ छुट्टीयां मनाते हैं। बक्सर की युद्ध विजय के बाद तत्कालीन नबाब शुजा-उद-दौला द्वारा निर्मित एतिहासिक किला, गुप्तार घाट से चंद कदमों की दूरी पर स्थित है। यहां पर नौका विहार करने के आनंद ही कुछ और है। लंबे तट पर रेतीले मैदानों के इर्द-गिर्द हरियाली और एकदम शान्त वातावरण एवं सूर्यास्त की निराली छटा लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है।

सहस्रधारा घाट : स्कन्द पुराण के अनुसार यहां सहस्रधारा घाट पर श्रीराम से पूर्व ही लक्ष्मणजी ने अपना शरीर छोड़ा और शेषनाग के रूप में दिखाई दिए थे। उसके बाद वो अपने पाताल लोक चले गए और उनके शरीर के स्थान पर वहां शेषावतार मंदिर बनाया गया। मान्यता है कि इस घाट पर पहुंचकर झूठ नहीं बोला जाता अन्यथा उस पर मृत्यु मंडराने लगती है। नाग पंचमी के दिन यहां बहुत बड़ा मेला लगता है इस दिन इस मंदिर में पूजा का विशेष महत्त्व है।

The city of Ayodhya, one of the seven puris situated on the banks of the river Saryu, is the birthplace of Lord Shri Ram. There are many ancient Ghats on the banks of Saryu. There are mythological stories associated with each ghat. Similarly, there is a ghat where Shriram took water samadhi by descending into Saryu. Come let's know about that ghat.

There are 14 major ghats on the banks of river Saryu. Among these, Gupta Dwar Ghat, Kaikeyi Ghat, Kaushalya Ghat, Papmochan Ghat, Laxman Ghat or Sahasradhara Ghat, Loanmochan Ghat, Shivala Ghat, Jatai Ghat, Ahilyabai Ghat, Dhaurhara Ghat, Naya Ghat and Janki Ghat etc. are particularly noteworthy.

1. Gupt Dwar : This is also called Guptar Ghat. It was at this place that Shriram along with the wives of Bharata and Shatrughna and all the townspeople of Ayodhya had gone to Saket Dham by taking water samadhi. It is said that one who takes a dip in the river at this ghat never visits Yampuri and reaches the abode of God.

It was renovated by Raja Darshan Singh in the 19th century. Ram Janaki Temple, Old Charan Paduka Temple, Narasimha Temple and Hanuman Temple are located on the Ghat, which people can visit. Here, near the Ghat, there is also the Military Temple, the well-maintained Company Garden and the State Garden from the era of the British rule, where the residents of the city celebrate holidays with their families. The historic fort, built by the then Nawab Shuja-ud-Daula after the Battle of Buxar, is located a few steps away from the Guptar Ghat. The pleasure of boating here is something else. The greenery around the sandy plains on the long coast and the very peaceful atmosphere and the unique shade of the sunset attract people to themselves.

Sahasradhara Ghat : According to Skanda Purana, here at Sahasradhara Ghat, before Shriram, Lakshmanji left his body and appeared in the form of Sheshnag. After that he went to his patal lok and in place of his body the Sheshavatar temple was built there. It is believed that no lie is told after reaching this ghat, otherwise death starts hovering over it. A big fair is held here on the day of Nag Panchami, on this day worship in this temple has special significance.


Temple 🔗

The Ram Mandir Trust has set December 2023 as the deadline and the temple will be open for devotees from January 2024.

Hotel In Ayodhya 🔗

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Places To See In Ayodhya 🔗

The top attractions to visit in Ayodhya are: Shri Ram Janma Bhoomi, Hanuman Garhi Mandir, Kanak Bhavan Temple, Sita Ki Rasoi

Facts and History of Ayodhya And Ramayana

शत्रुघ्न कौन थे

अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र थे भगवान राम। दशरथ की तीन पत्नीयां थी- कौशल्या, सुमीत्रा और कैकयी। राम के तीन भाई थे। लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न। राम कौशल्या के पुत्र थे। सुमीत्रा के लक्ष्मण और शत्रुध्न दो पुत्र थे। कैकयी के पुत्र का नाम भरत था। शत्रुघ्न सबसे छोटे पुत्र थे। श्रीराम की दो बहनें भी थी एक शांता और दूसरी कुकबी। आओ जानते हैं शत्रुघ्न के संबंध में 5 खास बातें।

1. भारत के सेवक शत्रुघ्न : राम के वनवास में चले जाने के बाद शत्रुघ्न ने राज भरत की सेवा की। इन्होंने ने भी माता-पिता, भाई, पत्नी सबको छोड़कर भरत के साथ रहना और उनकी सेवा करना ही अपना कर्तव्य समझा।

2. मंथरा की कूबर तोड़ दी : जब शत्रुघ्न को यह पता चला कि मंथरा के कारण ही श्री राम को बनवास हुआ है तो उन्होंने मंथरा को लात मारकर उसकी कूबर तोड़ दी थी।

3. शत्रुध्न की पत्नी और पुत्र : शत्रुध्न की पत्नी का नाम श्रुतकीर्ति था जो जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री थीं।

4. शत्रुघ्‍न के पुत्र : मथुरा में शत्रुघ्‍न के पुत्र सुबाहु का तथा दूसरे पुत्र शत्रुघाती का भेलसा (विदिशा) में शासन था।

5. लवणासुर का वध : श्रीराम के आदेश पर शत्रुघ्न ने मथुरा के राजा लवासुर का वध कर कर दिया था। लवणासुर मथुरा से लगभग साढ़े तीन मील दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित रामायण में वर्णित मधुपुरी का राजा था जिसे मधुवन ग्राम कहते हैं। यहां लवणासुर की गुफा है। लवणासुर का वध करके शत्रुघ्न ने मधुपुरी के स्थान पर नई मथुरा नगरी बसाई थी। शत्रुघ्न कम से कम बारह वर्ष तक मधुपुरी नगरी एवं प्रदेश के शासक रहे। शत्रुध्न के वंशजों का राज्य अधिक दिन नहीं रहा। भीमरथ यादव ने रघुवंशियों से मथुरा का राज्य छीन लिया था। प्राचीन काल में यह शूरसेन देश की राजधानी थी।

Lord Rama was the eldest of the four sons of King Dasaratha of Ayodhya. Dashrath had three wives - Kaushalya, Sumitra and Kaikeyi. Ram had three brothers. Lakshmana, Bharata and Shatrudhna. Rama was the son of Kaushalya. Sumitra had two sons, Laxman and Shatrudhna. Bharat was the son of Kaikeyi. Shatrughan was the youngest son. Shriram also had two sisters, one Shanta and the other Kukbi. Let us know 5 special things about Shatrughan.

1. Servant of India Shatrughan: Shatrughan served Raj Bharat after Rama went into exile. He also left his parents, brothers and wife and considered it his duty to stay with Bharat and serve him.

2. Broke Manthara's hump: When Shatrughan came to know that it was because of Manthara that Shri Ram had been exiled, he kicked Manthara and broke her hump.

3. Shatrudhna's wife and son Shatrudhna's wife's name was Srutakirti who was the son of Janaka's brother Kushadhwaj.

4. Sons of Shatrughan: Shatrughan's son Subahu and second son Shatrughati ruled in Bhelsa (Vidisha) in Mathura.

5. Killing of Lavanasura: On the orders of Shriram, Shatrughan had killed Lavasur, the king of Mathura. Lavanasura was the king of Madhupuri mentioned in the Ramayana, which is called Madhuvan gram, located about three and a half miles south-west of Mathura. Here is the cave of Lavanasura. After killing Lavanasura, Shatrughan established a new city of Mathura in place of Madhupuri. Shatrughan remained the ruler of Madhupuri city and region for at least twelve years. The kingdom of the descendants of Shatrudhna did not last long. Bhimrath Yadav had snatched the kingdom of Mathura from the Raghuvanshis. In ancient times it was the capital of Shursen country.

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Lakshmana - लक्ष्मण

लक्ष्मण हिन्दू महाकाव्य रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। उनका प्रमुख कार्य भगवान राम के संग रहकर उनकी सेवा करना था। लक्ष्मण ने अपने अद्वितीय बलिदान के बावजूद रामायण में एक महान और प्रशंसनीय चरित्र के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वे उत्कृष्ट सौन्दर्य, पराक्रम, और विशेष ब्राह्मण कुल के धर्मानुरागी थे। इसलिए, लक्ष्मण को राम के साथ स्थिति में देखने से लोगों को भारतीय संस्कृति के सबसे उच्च मान्यताओं और अदारों का प्रतीक मिलता है।

लक्ष्मण का नाम उसके उद्धारक गुणों की प्रशंसा करता है। "लक्ष्मण" शब्द के अर्थ से जुड़े शब्दों में विशेष विशेषताएं शामिल हैं। "लक्ष्मण" शब्द लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी का नाम है, जो ऐश्वर्य, समृद्धि, शौर्य, श्री, और ऐश्वर्य के प्रतीक है। लक्ष्मण का स्वभाव और गुण भी उनके नाम से मेल खाते हैं। उनका अद्वितीय पराक्रम और उत्कृष्टता, स्नेह, परिवार के प्रति आस्था, और विश्वासयोग्यता लोगों के दिलों में स्थान बना लेते हैं।

लक्ष्मण का वर्णन करते समय उनके प्रमुख लक्षणों में से एक उनके व्यक्तिगत सौंदर्य की चर्चा करनी चाहिए। वे सुंदर और आकर्षक थे, जिसमें केवल उनकी देह की सुंदरता ही नहीं थी, बल्कि उनकी प्रभावशाली आत्मा और ब्राह्मणीयता ने भी उन्हें अद्वितीय बना दिया। उनका व्यक्तिगत रंग सामान्यतः पीला माना जाता है, जो उनकी पवित्रता, ब्राह्मण कुल का प्रतीक है। उनके आकर्षक मुख में स्नेह और आदर्शवाद दिखाई देता है।

लक्ष्मण का दिल उत्कृष्टता और विश्वासयोग्यता से भरा हुआ था। वे अपने भगवान राम के प्रति अटूट स्नेह रखते थे और हमेशा उनकी सेवा में लगे रहते थे। उनकी निष्ठा, समर्पण और परिश्रम ने उन्हें लोगों के दिलों में महान प्रेम और सम्मान का प्रतीक बना दिया। लक्ष्मण के प्रति राम की विशेष प्रेम भावना सामान्यतः प्रकट होती थी, और उन्हें हमेशा अपने साथ मानवीय और आध्यात्मिक गुणों का प्रतीक माना जाता था।

लक्ष्मण का बलिदान और समर्पण भी उनके व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पहलू हैं। उन्होंने अपने बड़े भाई राम के साथ अनेक आपत्तियों का सामना किया और हर बार उन्हें समर्पित तरीके से निभाया। उनका बलिदान राम के प्रति अनन्य समर्पण का प्रतीक है, जो उन्हें उनकी अनुकरणीयता और सामर्थ्य का प्रतीक बनाता है। उन्होंने राम के अभिमान की सुरक्षा की, सीता की रक्षा की, और रावण के साथ युद्ध में भी ब्राह्मणीयता और साहस दिखाए।

लक्ष्मण एक विशेषता से अभिभूत होते हैं, वह हैं उनकी पत्नी उर्मिला के प्रति उनका समर्पण और प्रेम। उर्मिला को वे प्रेम से प्रेम करते थे और हमेशा उनके साथ धर्म, समृद्धि और खुशहाली का आनंद लेते थे। उनकी पत्नी की प्रतिष्ठा और सम्मान की प्रशंसा भी लक्ष्मण के पौराणिक पात्र को बढ़ाती है, क्योंकि वे एक सदाचारी और प्रेमी पति के रूप में प्रमुखता से प्रस्तुत होते हैं।

लक्ष्मण का पात्र एक प्रेरणादायी और आदर्शवादी है, जो लोगों को संगठनशीलता, सेवा भाव, और समर्पण की महत्वपूर्ण शिक्षा देता है। उनकी प्रेमपूर्ण भावनाएं और अपार साहस लोगों को प्रेरित करती हैं और उन्हें एक सच्चे साथी और सहायक की तरह कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं। वे धर्म के प्रतीक हैं, जो लोगों को सच्चाई, सत्यनिष्ठा, और नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं। उनकी प्रमुखता और अद्भुत व्यक्तित्व ने उन्हें हिन्दू धर्म के महानायकों में से एक बना दिया है।

लक्ष्मण, रामायण का एक अद्वितीय चरित्र हैं जिन्होंने अपने व्यक्तित्व, पराक्रम और सेवाभाव से लोगों के दिलों में स्थान बना लिया है। उनकी संस्कृति और मान्यताएं उन्हें एक आदर्श पुरुष के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं और उनका परिचय उनके संघर्षों, प्रेम, और समर्पण से भरपूर होता है। लक्ष्मण के व्यक्तित्व के माध्यम से, हम एक नये आदर्श के साथी के रूप में उनकी देखभाल और सेवा के महत्व को समझ सकते हैं, जो हमें एक बेहतर और संतुष्ट जीवन की ओर प्रेरित करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.