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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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Darshan of Lord Shri Ramlala Ayodhya

भगवान श्री रामलला के दर्शन

जय श्रीराम

About Darshan of Lord Shri Ramlala

Darshan of Lord Shri Ramlala in ayodhya

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Darshan of Lord Shri Ramlala

जय श्री राम ||

मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के जन्मस्थली अयोध्या भारत की पवित्र सप्त पुरियों (अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका) में प्रथम स्थान पर है। जब महाराज मनु के लिए एक नगर का निर्माण होना था, तब महर्षि वशिष्ठ ने सरयू नदी के किनारे एक भूमि का चयन किया, इसी भूमि पर देवशिल्पी विश्वकर्मा जी ने अयोध्या नगरी की स्थापना की। अर्थवेद में अयोध्या को भगवान का नगर कहा गया है। स्कंद्पुरण में दिया है कि अयोध्या नगर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर स्थित है। दशरथ नंदन श्री राम के जन्म के लिए प्रसिद्ध अयोध्या में अन्य कई ऋषि-मुनि, तीर्थकरों, महान योध्या एवं कई चक्रवर्ती सम्राट भी जन्म ले चुके है। बौद्ध धर्मियों के अनुसार भगवान बुद्ध ने अयोध्या (साकेत) में लगभग 16 वर्ष तक निवास किया था। आज हम आपको बताते है कि कैसे आप भगवान श्री राम के दर्शन मंदिर में कर सकते है और अयोध्या के अन्य प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करके अपनी सम्पूर्ण यात्रा का आनंद ले सकते है।

Ayodhya, the birthplace of Maryada Purushottam Shri Ram, ranks first among the seven holy cities of India (Ayodhya, Mathura, Maya (Haridwar), Kashi, Kanchi, Avantika (Ujjayini) and Dwarka). When a city was to be built for Maharaj Manu, then Maharishi Vashishtha selected a land on the banks of river Saryu, on this land Devshilpi Vishwakarma ji established the city of Ayodhya. Ayodhya has been called the city of God in Arthveda. It is given in Skandpuran that the city of Ayodhya is situated on the Sudarshan Chakra of Lord Vishnu. Famous for the birth of Dashrath Nandan Shri Ram, many other sages, pilgrims, great Yodhyas and many Chakraborty emperors have also t aken birth in Ayodhya. According to Buddhists, Lord Buddha resided in Ayodhya (Saket) for about 16 years. Today we tell you how you can visit Lord Shri Ram in the temple and enjoy your entire journey by visiting other famous temples of Ayodhya.

भगवान श्री रामलला के दर्शन

अब भगवान रामलला को टेंट से निकालकर एक नये अस्थाई मंदिर में शिफ्ट कर दिया है। भगवान श्री राम चांदी के सिंघासन पर विराजमान है। फाइबर से बना यह मंदिर पूरी तरह से बुलेट प्रूफ है। जब तक नया मंदिर नहीं बन जाता तब तक भगवान श्री राम इसी मंदिर में विराजमान रहेंगे। राम मंदिर कार्यशाला के पास बने इस मंदिर में सुरक्षा इतनी कड़ी है कि इसमें पक्षी और बंदर तक नहीं घुस सकते। मंदिर पहुंचने के पूरे मार्ग में फाइबर की छत लगाई गई है। मंदिर के परिक्रमा मार्ग में प्रवेश करने के लिए मेटल डिटेक्टर गेट से होकर गुजरना होगा। पहले रामलला के दर्शन के लिए लोहे की जालियो से घिरी बंद गली से होकर जाना होता था, जहाँ भगवान श्री राम टेंट में चारो तरफ से मिलेट्री के जवानों से घिरे रहते है।

सभी को इंतजार है कि राम मंदिर कैसा होगा। भगवान राम के नये मंदिर के समीप स्थित है आप अवश्य देखिये। राम मंदिर की कार्यशाला को जहाँ पर मंदिर के भव्य निर्माण की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। गुजरात से कुशल कारीगर बुलाये गये है, जो दिन रात पत्थर पर अद्भुद कारीगरी कर रहे है। 128 फीट ऊँचे राम मंदिर के पांच भाग अग्रभाग, सिंह द्वार, नृत्यमंडपम, रंग मंडपम और गर्भगृह के स्तम्भ, मूर्तियाँ, चबूतरे, छत, शिखर के अविस्मर्णीय द्रश्य की कल्पना करके आप का ह्रदय मंदिर को देखने के लिए लालायित हो उठेगा।

हजारों वर्षों तक कायम रहेगी भव्यता :

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कैंप कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता बताते हैं कि, मंदिर निर्माण अपने समय अवधि पर चल रहा है. दिसंबर 23 तक मंदिर के गर्भ गृह का कार्य पूरा हो जाएगा और जनवरी 2024 मकर संक्रांति के दिन भगवान राम लला अपने गर्भ गृह में विराजमान होंगे उसके साथ ही मंदिर का और भी निर्माण चलता रहेगा. साथ ही साथ जानकारी देते हुए कैंप कार्यालय प्रभारी ने बताया कि, मंदिर निर्माण में वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. निर्माण सामग्री ऐसी लगाई जा रही है जिससे मंदिर हजारों वर्षों तक वैसे का वैसा बना रहे उसकी भव्यता बरकरार रहे.

Now Lord Ramlala has been removed from the tent and shifted to a new temporary temple. Lord Shri Ram is sitting on the silver throne. This temple made of fiber is completely bullet proof. Until the new temple is built, Lord Shri Ram will remain seated in this temple. The security in this temple built near the Ram Mandir workshop is so tight that even birds and monkeys cannot enter it. Fiber roof has been installed in the entire way to reach the temple. One has to pass through the metal detector gate to enter the circumambulation of the temple. Earlier, to visit Ramlala, one had to go through a closed lane surrounded by iron nets, where Lord Shri Ram lives in a tent surrounded by military personnel from all sides.

Everyone is waiting to see how the Ram Mandir will be. It is located near the new temple of Lord Rama, you must see it. The workshop of Ram Mandir where the preparations for the grand construction of the temple are going on in full swing. Skilled artisans have been called from Gujarat, who are doing wonderful workmanship on stone day and night. Your heart will yearn to see the five parts of the 128 feet high Ram temple imagining the unforgettable sight of the façade, Lion Gate, Nrityamandapam, Rang Mandapam and the pillars, idols, platforms, roof, spire of the sanctum sanctorum.

Grandeur will last for thousands of years :

Camp office in-charge of Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust Prakash Gupta says that the temple construction is going on as per its time period. By December 23, the work of the sanctum sanctorum of the temple will be completed and on January 2024, on the day of Makar Sankranti, Lord Ram Lala will sit in his sanctum sanctorum, along with that the construction of the temple will continue. While giving the information, the in-charge of the camp office said that scientific technology is being used in the construction of the temple. The construction material is being installed in such a way that the temple remains as it was for thousands of years and its grandeur remains intact.


Temple 🔗

The Ram Mandir Trust has set December 2023 as the deadline and the temple will be open for devotees from January 2024.

Hotel In Ayodhya 🔗

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Places To See In Ayodhya 🔗

The top attractions to visit in Ayodhya are: Shri Ram Janma Bhoomi, Hanuman Garhi Mandir, Kanak Bhavan Temple, Sita Ki Rasoi

Facts and History of Ayodhya And Ramayana

मंदोदरी कौन थी

मन्दोदरी रामायण के पात्र, पंच-कन्याओं में से एक हैं जिन्हें चिर-कुमारी कहा गया है। मन्दोदरी मयदानव की पुत्री थी। उसका विवाह लंकापति रावण के साथ हुआ था। सिंघलदीप की राजकन्या और एक मातृका का भी नाम मन्दोदरी था।

मंदोदरी पूर्व जन्म में कौन थी - मंदोदरी के बारे में तो सभी जानते हैं, जो रामायण की एक प्रमुख पात्र इंद्रजीत मेघनाथ की माँ तथा मायावी राक्षसराज रावण की पत्नी थी। धार्मिक ग्रंथों के आधार पर ऐसा कहा जाता है, कि मंदोदरी राक्षसराज मय दानव और अप्सरा हेमा की पुत्री थी जो अप्सरा हेमा से उत्पन्न नहीं हुई थी, वरन दानवराज मय द्वारा सप्तऋषियों से गोद ली गई थी। मंदोदरी के 3 पुत्र थे मेघनाथ, अतिक्या और अक्षयकुमार कुछ ग्रंथों के आधार पर कहा जाता है, कि मंदोदरी पूर्व जन्म में मेंढकी थी और सप्तऋषिओं के आशीर्वाद द्वारा वह मंदोदरी के रूप में उत्पन्न हुई।

Mandodari is one of the Panch-Kanyas, the characters of Ramayana, who are called Chir-Kumari. Mandodari was the daughter of Maydanav. She was married to Lankapati Ravana. Singhaldeep's princess and a mother's name was also Mandodari.

Who was Mandodari in her previous birth - Everyone knows about Mandodari, who was the mother of Indrajit Meghnath, a prominent character of Ramayana and the wife of the elusive demon king Ravana. Based on religious texts, it is said that Mandodari was the daughter of the demon king Maya and Apsara Hema who was not born from Apsara Hema. Rather, she was adopted by the demon king Maya from the Saptarishis. Mandodari had 3 sons Meghnath, Atikya and Akshaykumar. It is said on the basis of some texts, that Mandodari was a frog in her previous birth and she was born as Mandodari by the blessings of Saptarishis.

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Tara - तारा

श्रीमद् रामायण में तारा का चरित्र एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण रूप से उभरता है। तारा, किष्किंधा नगर के महान वानर राजा वाली की पत्नी थीं। वाली और तारा का विवाह वानर समुदाय में प्रेम के एक उदाहरण के रूप में माना जाता था। तारा का पूरा नाम अत्यंत सुंदरी ताराका था, जो उनकी सुंदरता को व्यक्त करता था। उनकी स्नेही और सदैव परोपकारी स्वभाव ने उन्हें वानर समुदाय में महत्वपूर्ण बना दिया था।

तारा एक बुद्धिमान, विद्वान् और साहसिक महिला थीं। वाली की साहसिक गुणवत्ता के कारण, उन्होंने वानरों के बीच एक अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान बनाया था। उन्होंने वानर समुदाय के सभी सदस्यों का सम्मान किया और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास किए। तारा बुद्धिमान वैद्यकीय ज्ञान की धारा थीं और उन्होंने वानर सेना की चिकित्सा और उनकी सेवाओं का प्रबंधन किया। वानर समुदाय में उनका उदाहरणीय आदर्श स्थान था और वे वानरों के लिए एक माता के समान थीं।

तारा की उपस्थिति वानर सेना के लिए एक आधारभूत सामर्थ्य थी। वाली द्वारा नेतृत्व किए जाने वाले सेनानायक के रूप में तारा की बुद्धि और वाणी का महत्वपूर्ण योगदान था। वानर सेना के प्रमुख नेता के रूप में, उन्होंने वानरों के बीच न्याय और समानता के सिद्धांत को स्थापित किया। तारा वाली के साथ एक ऐसी जीवन जीती थी जिसमें संयम और न्याय का महत्वपूर्ण स्थान था।

तारा अपनी श्रद्धा और निष्ठा के लिए भी प्रसिद्ध थीं। उन्होंने वानर समुदाय में आध्यात्मिक संघ के गठन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने वानर समुदाय के सदस्यों को धार्मिक शिक्षा दी और उनके आध्यात्मिक विकास का समर्थन किया। तारा धार्मिक और मनोवैज्ञानिक सुधारों को समर्थन करती थीं और उन्होंने वानर समुदाय के सदस्यों को धार्मिकता के मार्ग पर अग्रसर किया।

तारा रामचरितमानस में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वाल्मीकि जी महर्षि द्वारा लिखित इस ग्रंथ में उनका वर्णन किया गया है और उनकी साहसिकता, विवेक और धार्मिकता की प्रशंसा की गई है। उन्होंने लक्ष्मण के साथ राम को सम्पूर्णता के रूप में शरण दी और उन्हें वानर सेना का नेतृत्व सौंपा।

तारा की प्रतिभा, शक्ति और साहस ने उन्हें एक प्रमुख चरित्र बना दिया है। उनका प्रेम और समर्पण उन्हें वानर समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान देता है और उन्हें एक आदर्श पत्नी के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। उनका चरित्र रामायण के महान काव्य में सुंदरता और प्रेरणा का स्रोत बनता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.