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🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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Architecture Of Ram Mandir, Ayodhya

जय श्री राम ||

Ram Mandir: An Architectural Masterpiece in the Making

The design of the Ram Mandir in Ayodhya is based on the traditional Hindu temple architecture of North India, specifically the Nagara style. The temple complex spans over an area of 70 acres and will consist of the main temple, various mandaps or pavilions, a parikrama path, and other support buildings.

The main temple will be built on a raised platform or plinth, known as the jagati. It will be 161 feet tall, with three levels or storeys, and will be constructed using pink sandstone. The temple will have five domes, with the central dome being the largest and tallest. The shikhara or spire on the central dome will be adorned with a gold-plated kalash or finial.

The temple will have three main entrances, with the main entrance facing east towards the Saryu river. The entrance will have a grand staircase with 16 steps, symbolizing the 16 kalas or arts. The entrance will also have ornate carvings and sculptures depicting scenes from the Ramayana.

Inside the temple, there will be a central hall or mandap, which will have the main idol of Lord Ram. The idol will be 10.5 feet tall and will be made of a single block of black granite. The mandap will also have other smaller idols of Lord Ram's brothers, Laxman, Bharat, and Shatrughan, and his wife, Sita.

The temple complex will also have various other mandaps or pavilions, including the Nidhi Van, which will have a replica of Lord Ram's forest abode, the Sugriv Parikrama, which will have a 360-degree view of Ayodhya, and the Sita Rasoi, which will be a replica of the kitchen used by Sita during her exile.

The parikrama path or circumambulation path will be around 5 feet wide and will be built using red sandstone. The path will be decorated with intricate carvings and will have small gardens and fountains along the way.

Overall, the architecture of the Ram Mandir in Ayodhya will be a fusion of traditional Hindu temple architecture and modern engineering techniques, with a focus on creating a grand and majestic structure that reflects the rich cultural and religious heritage of India.

अयोध्या में राम मंदिर का डिजाइन उत्तर भारत के पारंपरिक हिंदू मंदिर वास्तुकला, विशेष रूप से नागर शैली पर आधारित है। मंदिर परिसर 70 एकड़ के क्षेत्र में फैला है और इसमें मुख्य मंदिर, विभिन्न मंडप या मंडप, एक परिक्रमा पथ और अन्य सहायक भवन शामिल होंगे।

मुख्य मंदिर एक ऊंचे चबूतरे या चबूतरे पर बनाया जाएगा, जिसे जगती के नाम से जाना जाता है। यह 161 फीट लंबा होगा, तीन स्तरों या मंजिलों के साथ, और गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाया जाएगा। मंदिर में पांच गुंबद होंगे, जिनमें केंद्रीय गुंबद सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा होगा। केंद्रीय गुंबद पर शिखर या शिखर को सोने की परत चढ़े कलश या कलश से सजाया जाएगा।

मंदिर में तीन मुख्य प्रवेश द्वार होंगे, जिनमें मुख्य द्वार पूर्व की ओर सरयू नदी की ओर होगा। प्रवेश द्वार पर 16 चरणों वाली एक भव्य सीढ़ी होगी, जो 16 कलाओं का प्रतीक है। प्रवेश द्वार में रामायण के दृश्यों को दर्शाती अलंकृत नक्काशी और मूर्तियां भी होंगी।

मंदिर के अंदर एक सेंट्रल हॉल या मंडप होगा, जिसमें भगवान राम की मुख्य मूर्ति होगी। मूर्ति 10.5 फीट लंबी होगी और काले ग्रेनाइट के एक ही ब्लॉक से बनेगी। मंडप में भगवान राम के भाइयों, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न और उनकी पत्नी सीता की अन्य छोटी मूर्तियाँ भी होंगी।

मंदिर परिसर में निधि वन सहित कई अन्य मंडप या मंडप भी होंगे, जिसमें भगवान राम के वन निवास की प्रतिकृति होगी, सुग्रीव परिक्रमा, जिसमें अयोध्या का 360 डिग्री का दृश्य होगा, और सीता रसोई, जो होगा सीता द्वारा अपने वनवास के दौरान इस्तेमाल की गई रसोई की प्रतिकृति बनें।

परिक्रमा पथ लगभग 5 फीट चौड़ा होगा और लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाया जाएगा। रास्ते को जटिल नक्काशी से सजाया जाएगा और रास्ते में छोटे बगीचे और फव्वारे होंगे।

कुल मिलाकर, अयोध्या में राम मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक हिंदू मंदिर वास्तुकला और आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों का मिश्रण होगी, जिसमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाने वाली भव्य और राजसी संरचना बनाने पर ध्यान दिया जाएगा।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Indrajit - इंद्रजित

इंद्रजित रामायण का महान काव्य महाकाव्य है, जिसमें हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध राक्षसों में से एक है। इंद्रजित रावण और मंदोदरी के पुत्र हैं और लंका के राजा रावण के पोते के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। इंद्रजित का अस्तित्व रामायण के अंतिम कांड, यानी उत्तर कांड में उभरता है। उन्होंने अपनी चार माताओं से चारों ओर सम्पूर्ण विद्याओं का अभ्यास किया था, इसलिए उन्हें चतुर्वेदों का ज्ञाता कहा जाता है। इंद्रजित अपने दिव्य वरदानों के कारण अद्भुत और शक्तिशाली थे। उनके नाम का अर्थ होता है "इंद्र के विजेता"। इंद्रजित के चरित्र का वर्णन करते समय उनकी भयंकर दिव्य सेना भी सम्मिलित की जाती है, जिसमें विभिन्न राक्षस, दानव, यक्ष और राक्षसीय शक्तियां शामिल होती हैं। इंद्रजित की सेना में विमान, घोड़े, हाथी और रथ जैसे अनेक यान शामिल होते हैं, जो उन्हें युद्ध में अद्भुत अभियान करने की शक्ति प्रदान करते हैं। उनकी सेना में अनेक प्रकार के आयुध शामिल होते हैं, जैसे धनुष, तलवार, गदा, वर्षक, आयुध पत्थर, नाग पश, वज्र, बाण, त्रिशूल, नगीना, छड़ी, कवच, आदि। इंद्रजित के युद्ध यात्राओं का वर्णन रामायण में महानतम और रोमांचक है, जिससे पाठकों को भयभीत कर उन्हें आकर्षित करने में सफलता मिलती है। इंद्रजित की शक्तियों के बारे में बताते समय, उनका अद्भुत ब्रह्मास्त्र का जिक्र जरूर करना चाहिए। यह विशेष आयुध उन्हें अनयास परवश कर देता है और जो भी इसके सामर्थ्य से स्पर्शित होता है, उसका नाश निश्चित हो जाता है। इंद्रजित की प्रमुखता और पराक्रम युद्ध क्षेत्र में उनके आयुध और उनकी अद्भुत रणनीतियों में छिपी हुई है। इंद्रजित का वाक्य और आचरण बड़े ही संकोची और ब्रह्मचारी जैसे होते हैं। वे ध्यानपूर्वक और स्त्रियों के प्रति सद्भाव से बर्तते हैं और उनके स्वभाव में कोई दोष नहीं होता है। इंद्रजित की विद्या और विज्ञान के क्षेत्र में उनका महान ज्ञान वर्णनीय है। उन्होंने आध्यात्मिक और तांत्रिक विद्याओं का अद्यतन किया है और उन्हें सम्पूर्णतः संयुक्त कर दिया है। इंद्रजित आसमान और पृथ्वी की सारी रहस्यमयी शक्तियों को जानते हैं और उन्हें अपने युद्ध रणनीतियों में सफलता प्रदान करने के लिए उपयोग करते हैं। इंद्रजित रावण के बलिदान की निर्धारित तिथि के आगे राम के सामर्थ्य का परिक्षण करने के लिए भारतवर्ष के देशी नगरियों में गया था। वहां पहुंचकर उन्होंने कई वीरों का सामर्थ्य परीक्षण किया, जिन्होंने उन्हें पराजित कर दिया। इंद्रजित ने राम, लक्ष्मण और हनुमान के खिलाफ भी अपनी अद्वितीय रणनीति और युद्ध कौशल दिखाए। इंद्रजित के पराक्रम से प्रभावित होकर राम ने उन्हें विजयी बनाने के लिए नील के साथ मारुत वानर सेना के एकांत जंगल में जा कर मेघनाद का वध किया। इस लड़ाई में इंद्रजित न ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, जिसने राम के वनर सेना को आघात पहुंचाया। राम और लक्ष्मण को जड़ से पकड़ लेकर इंद्रजित ने उन्हें अपने यज्ञ के बाग में बांध दिया। यज्ञ के समय इंद्रजित ने राम और लक्ष्मण के सामर्थ्य का मजाक उड़ाया और उन्हें अपनी पराक्रम से पराजित करने की कोशिश की। इंद्रजित ने राम के समर्थन में बैठे जातियों को भ्रमित करने के लिए उनकी मोहित कथाएं सुनाई और उनके बिना निर्मित ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। इंद्रजित का वध राम और लक्ष्मण ने उनके पापी और दुष्ट कर्मों के कारण किया। उन्होंने चारों ओर से वायु वेग से बँधी गई ज्योति से इंद्रजित को मुक्त कर दिया। इंद्रजित के मृत्यु के समय, रावण ने अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने के लिए राम के पास जाने की अपील की, लेकिन राम ने उनकी इच्छा को पूरा नहीं किया और इंद्रजित का वध किया। इंद्रजित रामायण का एक महान चरित्र है, जिसका महत्त्वपूर्ण योग दान कथा को महानतम उच्चारण और पूर्णता के साथ प्रदान करता है। उनका प्रतिभा और पराक्रम प्रशंसनीय हैं, जो उन्हें एक प्रमुख अन्तरात्मा के रूप में बनाते हैं। उनकी विद्या, शक्ति, रणनीति और ब्रह्मास्त्र का प्रयोग उन्हें राक्षसों के मध्य एक प्रमुख आकर्षण के रूप में बनाता है। इंद्रजित के चरित्र की गहराई और महानता ने उन्हें रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक बना दिया है। उनके रणनीतिक योगदान, अद्भुत शक्तियां और विजय प्राप्त करने की इच्छा उन्हें एक अद्वितीय पात्र बनाती है, जिसका अध्ययन और समझना रामायण के पाठकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण अनुभव होता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.