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जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

Ramayana: The Epic Saga of Lord Ram - Full Episode Collection

रामायण : Episode 9
राजा जनक का राजा दशरथ को सन्देश। राम बारात का मिथिला में आगमन
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रामायण : Episode 10
श्री राम सीता विवाह
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रामायण : Episode 11
राम बारात की विदाई। अयोध्या में सीता का स्वागत और राम का एक पत्नीव्रत
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रामायण : Episode 12
भरत-शत्रुघ्न ननिहाल जाते हैं । दशरथ राम के राज्याभिषेक का निर्णय लेते हैं।
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रामायण : Episode 13
श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी। कैकेयी-मन्थरा संवाद
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रामायण : Episode 14
रानी कैकेयी का कोप भवन जाना। दशरथ के दो वरदान
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रामायण : Episode 15
श्रीराम-कौशल्या संवाद, वन गमन की तैयारी
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रामायण : Episode 16
श्रीराम-सीता-लक्ष्मण का वन गमन
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रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sage Vishwamitra - मुनि विश्वामित्र

मुनि विश्वामित्र रामायण में एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं। वह एक प्राचीन ऋषि थे और महाराज जनक के दरबार में राजगुरु के रूप में सेवा करते थे। विश्वामित्र ऋषि की खासता थी, वे बहुत ही तेजस्वी थे और शक्तिशाली तपस्वी ऋषि माने जाते थे। उन्होंने अपने तपस्या के बाल परमेश्वर से इतना वरदान प्राप्त किया था कि वे दैत्यों और राक्षसों को भी चुनौती दे सकते थे।

विश्वामित्र का जन्म एक राजपुरोहित के घर में हुआ था। वे बाल्यकाल से ही ध्यान और तपस्या में रत थे। उनकी मां ने उन्हें धर्म, त्याग, और सत्य के महत्व के बारे में शिक्षा दी थी। विश्वामित्र ने अपनी मां की शिक्षा का पालन किया और उन्होंने ऋषि बनने का संकल्प बना लिया।

विश्वामित्र की शक्तियों और तपस्या के बारे में सबको ज्ञान हो गया था। एक बार वे राजा जनक के यज्ञ को नष्ट करने वाले राक्षस तड़का के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए देखे गए। विश्वामित्र ने अपनी शक्तियों का प्रदर्शन किया और तड़का को पराजित कर दिया। इसके बाद से विश्वामित्र की मान्यता और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई।

विश्वामित्र को एक और महत्वपूर्ण कार्य देने के लिए राजा जनक ने उन्हें अपने दरबार में आमंत्रित किया। वह कार्य था स्वयंवर में धनुष तोड़ने का। स्वयंवर में शानदा नामक देवी धनुष उठाने वाले वीर श्रीराम को अपनी पत्नी बनाने का प्रतिश्रवण किया गया था। विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ स्वयंवर में गए और वहां उन्होंने राम को धनुष तोड़ने के लिए प्रेरित किया। राम ने धनुष तोड़ दिया और शानदा को जीता लिया। यह घटना विश्वामित्र के लिए बहुत गर्व की बात थी।

विश्वामित्र के पश्चात् राम को गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने का निमंत्रण मिला। राम और लक्ष्मण ने उसे स्वीकार कर लिया और वे विश्वामित्र के साथ उनके आश्रम में गए। आश्रम में विश्वामित्र ने राम को वेद, धर्म, युद्ध, और अन्य ज्ञान की शिक्षा दी। राम ने उनकी शिक्षा को गहराई से समझा और उनके मार्गदर्शन में उनका आदर्श बनाया।

विश्वामित्र के साथ बिताए दिन राम और लक्ष्मण के लिए अनुभवमय और सीखदायक रहे। विश्वामित्र ने उन्हें विभिन्न राक्षसों और दुष्ट शक्तियों से लड़ने की कला सिखाई और उन्हें योग्यता और धैर्य के साथ लड़ाई लड़ने का अभ्यास कराया। विश्वामित्र की मार्गदर्शन में राम ने अनेक दुष्ट राक्षसों को विजयी किया और उनकी शक्तियों को नष्ट किया।

विश्वामित्र राम को न शिर्षासन की कला, न सचेतता, और नींद के समय कौन से आश्रय स्थल में सोना चाहिए, जैसे की तपस्या के दौरान आपको ध्यान और सचेत रहना चाहिए। विश्वामित्र ने राम को अनेक उपयोगी वरदान दिए जैसे की ब्रह्मास्त्र और शक्ति अस्त्र।

मुनि विश्वामित्र रामायण के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक हैं और उनका चरित्र विशेष रूप से उनकी शक्तियों, तपस्या और गुरुत्व के कारण प्रमुख बन गया है। उनकी सीख और मार्गदर्शन से राम ने अनेक संघर्षों का सामना किया और अद्वितीय वीरता प्रदर्शित की। विश्वामित्र का परिचय महारामायण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उनका चरित्र धर्म, त्याग, और सत्य के मार्ग का प्रतिष्ठान करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.