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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राजा जनक का राजा दशरथ को सन्देश। राम बारात का मिथिला में आगमन

रामायण : Episode 9

राजा जनक का राजा दशरथ को सन्देश। राम बारात का मिथिला में आगमन

राजा जनक का सन्देश अयोध्या पहुँचता है। राजा दशरथ अपने महल में हैं। कौशल्या और कैकेयी के भी वहाँ आने पर भरत और शत्रुघ्न उन्हें भैया राम का विवाह तय होने का समाचार बड़ा ही कौतूहल जागृत करने के भाव से सुनाते हैं। इसके पश्चात दशरथ मिथिला के राजदूत देवव्रत से सभागृह में मिलते हैं। देवव्रत राम और सीता के विवाह हेतु राजा जनक का प्रस्ताव उनके सम्मुख रखते हैं और उन्हें बारात लाने का आमंत्रण देते हैं। दशरथ के आग्रह पर महर्षि वशिष्ठ इस निमन्त्रण को स्वीकृति प्रदान करते हैं। दशरथ राजदूत को राज्य की तरफ से उपहार भेंट करते हैं जिसे वो स्वयं को लड़की पक्ष का बताकर विनयपूर्वक अस्वीकार कर देते हैं। राजा दशरथ ऋषियों मुनियों, मंत्रियों तथा समस्त प्रजाजन को बारात में चलने का निमन्त्रण भरत और शत्रुघ्न के द्वारा भिजवाते हैं। कौशल्या आर्य सुमन्त को याचकों को राजकोष से दान देने का निर्देश देती हैं। दशरथ बारात लेकर मिथिला पहुँचते हैं। जनक बारात का स्वागत करते हैं। जनक के अन्दर कन्या का पिता होने का दास भाव है तो दशरथ भी स्वयं को याची बताकर अपनी विनयशीलता का परिचय देते हैं। लक्ष्मण बड़े भाई राम को पिता दशरथ के आने की सूचना देते हैं लेकिन राम में भी रघुकुल के संस्कार हैं। वे कहते हैं कि इस समय वे गुरू विश्वामित्र के आधीन हैं तो उनकी आज्ञा के बिना पिता से भेंट नहीं की जा सकती। तभी विश्वामित्र उन्हें ले चलने के लिये आते हैं। रात्रि में राम पिता की सेवा करते हैं। दशरथ को सुयोग्य पुत्र का पिता होने का गर्व होता है। उधर लक्ष्मण भैया राम और भाभी सीता के पुष्प वाटिका में हुए प्रथम साक्षात्कार की कहानी बहुत ही रस लेकर अपने भाईयों भरत और शत्रुघ्न को सुनाते हैं। मिथिला के सभागृह में दोनों राजन अपने अपने आचार्यों और परिवारीजनों के साथ मंत्रणा करते हैं। महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ की कुल परम्परा का बखान करते हुए राजा जनक से राम का विवाह सीता से और उनकी दूसरी पुत्री उर्मिला का विवाह लक्ष्मण संग करने का प्रस्ताव रखते हैं। जनक इसे सहर्ष स्वीकार करते हैं। ऋषि विश्वामित्र भी अपने मन की बात रखते हैं। वे राजा जनक के अनुज व सांकाश्या राज्य के शासक कुशध्वज की पुत्रियों माण्डवी और श्रुतकीर्ति के साथ भरत और शत्रुघ्न के विवाह का प्रस्ताव रखते हैं। जनक अपने भाई कुशध्वज की ओर से इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं। सखियाँ यह शुभ समाचार सीता और उनकी बहनों तक पहुँचाती हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Lakshmana - लक्ष्मण

लक्ष्मण हिन्दू महाकाव्य रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। उनका प्रमुख कार्य भगवान राम के संग रहकर उनकी सेवा करना था। लक्ष्मण ने अपने अद्वितीय बलिदान के बावजूद रामायण में एक महान और प्रशंसनीय चरित्र के रूप में अपनी पहचान बनाई है। वे उत्कृष्ट सौन्दर्य, पराक्रम, और विशेष ब्राह्मण कुल के धर्मानुरागी थे। इसलिए, लक्ष्मण को राम के साथ स्थिति में देखने से लोगों को भारतीय संस्कृति के सबसे उच्च मान्यताओं और अदारों का प्रतीक मिलता है।

लक्ष्मण का नाम उसके उद्धारक गुणों की प्रशंसा करता है। "लक्ष्मण" शब्द के अर्थ से जुड़े शब्दों में विशेष विशेषताएं शामिल हैं। "लक्ष्मण" शब्द लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी का नाम है, जो ऐश्वर्य, समृद्धि, शौर्य, श्री, और ऐश्वर्य के प्रतीक है। लक्ष्मण का स्वभाव और गुण भी उनके नाम से मेल खाते हैं। उनका अद्वितीय पराक्रम और उत्कृष्टता, स्नेह, परिवार के प्रति आस्था, और विश्वासयोग्यता लोगों के दिलों में स्थान बना लेते हैं।

लक्ष्मण का वर्णन करते समय उनके प्रमुख लक्षणों में से एक उनके व्यक्तिगत सौंदर्य की चर्चा करनी चाहिए। वे सुंदर और आकर्षक थे, जिसमें केवल उनकी देह की सुंदरता ही नहीं थी, बल्कि उनकी प्रभावशाली आत्मा और ब्राह्मणीयता ने भी उन्हें अद्वितीय बना दिया। उनका व्यक्तिगत रंग सामान्यतः पीला माना जाता है, जो उनकी पवित्रता, ब्राह्मण कुल का प्रतीक है। उनके आकर्षक मुख में स्नेह और आदर्शवाद दिखाई देता है।

लक्ष्मण का दिल उत्कृष्टता और विश्वासयोग्यता से भरा हुआ था। वे अपने भगवान राम के प्रति अटूट स्नेह रखते थे और हमेशा उनकी सेवा में लगे रहते थे। उनकी निष्ठा, समर्पण और परिश्रम ने उन्हें लोगों के दिलों में महान प्रेम और सम्मान का प्रतीक बना दिया। लक्ष्मण के प्रति राम की विशेष प्रेम भावना सामान्यतः प्रकट होती थी, और उन्हें हमेशा अपने साथ मानवीय और आध्यात्मिक गुणों का प्रतीक माना जाता था।

लक्ष्मण का बलिदान और समर्पण भी उनके व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पहलू हैं। उन्होंने अपने बड़े भाई राम के साथ अनेक आपत्तियों का सामना किया और हर बार उन्हें समर्पित तरीके से निभाया। उनका बलिदान राम के प्रति अनन्य समर्पण का प्रतीक है, जो उन्हें उनकी अनुकरणीयता और सामर्थ्य का प्रतीक बनाता है। उन्होंने राम के अभिमान की सुरक्षा की, सीता की रक्षा की, और रावण के साथ युद्ध में भी ब्राह्मणीयता और साहस दिखाए।

लक्ष्मण एक विशेषता से अभिभूत होते हैं, वह हैं उनकी पत्नी उर्मिला के प्रति उनका समर्पण और प्रेम। उर्मिला को वे प्रेम से प्रेम करते थे और हमेशा उनके साथ धर्म, समृद्धि और खुशहाली का आनंद लेते थे। उनकी पत्नी की प्रतिष्ठा और सम्मान की प्रशंसा भी लक्ष्मण के पौराणिक पात्र को बढ़ाती है, क्योंकि वे एक सदाचारी और प्रेमी पति के रूप में प्रमुखता से प्रस्तुत होते हैं।

लक्ष्मण का पात्र एक प्रेरणादायी और आदर्शवादी है, जो लोगों को संगठनशीलता, सेवा भाव, और समर्पण की महत्वपूर्ण शिक्षा देता है। उनकी प्रेमपूर्ण भावनाएं और अपार साहस लोगों को प्रेरित करती हैं और उन्हें एक सच्चे साथी और सहायक की तरह कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं। वे धर्म के प्रतीक हैं, जो लोगों को सच्चाई, सत्यनिष्ठा, और नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं। उनकी प्रमुखता और अद्भुत व्यक्तित्व ने उन्हें हिन्दू धर्म के महानायकों में से एक बना दिया है।

लक्ष्मण, रामायण का एक अद्वितीय चरित्र हैं जिन्होंने अपने व्यक्तित्व, पराक्रम और सेवाभाव से लोगों के दिलों में स्थान बना लिया है। उनकी संस्कृति और मान्यताएं उन्हें एक आदर्श पुरुष के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं और उनका परिचय उनके संघर्षों, प्रेम, और समर्पण से भरपूर होता है। लक्ष्मण के व्यक्तित्व के माध्यम से, हम एक नये आदर्श के साथी के रूप में उनकी देखभाल और सेवा के महत्व को समझ सकते हैं, जो हमें एक बेहतर और संतुष्ट जीवन की ओर प्रेरित करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.