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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : रानी कैकेयी का कोप भवन जाना। दशरथ के दो वरदान

रामायण : Episode 14

रानी कैकेयी का कोप भवन जाना। दशरथ के दो वरदान

मंथरा के उकसाने पर रानी कैकेयी श्रृंगार त्याग कर कोप भवन में है। राजा दशरथ वहाँ आते हैं। कैकेयी उलाहना देते हुए दशरथ को दो वरदानों का स्मरण कराती है। दशरथ प्राण देकर भी अपने वचन पूरा करने का प्रण करते हैं। इसके लिये वे राम की सौगन्ध भी लेते हैं। उधर लक्ष्मण पत्नी उर्मिला के समक्ष भावी रामराज्य में अपने कर्तव्यों का बखान करते हैं। उर्मिला उन्हें पत्नी के प्रति होने वाले कर्तव्यों का स्मरण कराती हैं। रानी कैकेयी पूरे साज श्रृंगार के साथ दशरथ के समक्ष आती है। वो इठलाते हुए पहले वरदान में राम के स्थान पर अपने पुत्र भरत के लिये अयोध्या का राज माँगती है। दूसरे वरदान में वो राम को तपस्वी वेश में चौदह वर्ष का वनवास माँगती है। दशरथ रानी की इस माँग पर स्तब्ध होते हैं। वे कैकेयी को समझाने का भरपूर प्रयास करते हैं। कैकेयी उन्हें वचन तोड़ने का उलाहना देती है। दशरथ को पछतावा होता है कि उन्होने कैकेयी को पहचानने में भूल कर दी। उन्हें स्त्री की अनुचित माँग पूरी करने पर जगहँसाई होने का भी भय है। कैकेयी कहती है कि यदि राम का राज्याभिषेक हुआ तो वो मृत्यु का वरण कर लेगी। दशरथ भरत को राजा बनाने को तैयार होते हैं लेकिन वे कैकेयी से राम को वनवास भेजने की हठ त्यागने को कहते हैं। वे कैकेयी के पैरों पर गिरते हैं। तब कैकेयी दशरथ पर अपनी कठोर वाणी का अन्तिम बाण चलाते हुए उलाहने देती है। दशरथ मूर्च्छित होकर गिर पड़ते हैं। अगली सुबह उनकी मूर्छा प्रभात गीत से टूटती है। वे राम को पुकारते हैं। उधर राजमहल में राम के राज्याभिषेक की तैयारियाँ लगभग पूर्ण हैं लेकिन दशरथ के न पहुँचने और पुष्य नक्षत्र बीतते जाने से महर्षि वशिष्ठ चिन्तित हैं। मंत्री सुमन्त उनका सन्देश लेकर कैकेयी भवन में दशरथ के पास पहुँचते हैं। कैकेयी उन्हें पहले राम को बुला लाने का आदेश देती है। सुमन्त से सन्देश पाकर राम पिता से मिलने कैकेयी भवन की ओर प्रस्थान करते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Ahilya - अहिल्या

अहिल्या रामायण में एक प्रमुख पात्र है जिसकी विदाई कहानी अत्यंत रोमांचक है। वह एक राजमहिला थी जो अपनी शानदार सुंदरता के लिए मशहूर थी। अहिल्या को भगवान गौतम ऋषि की पत्नी के रूप में जाना जाता है। वह एकमात्र राजमहिला थी जिसने अपने आप को विधवा का दर्जा दिया था जब उनके पति की मृत्यु हो गई।

अहिल्या ने राजमहल की दीर्घ विरासत को सुरक्षित रखा था और उनके राजसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह धर्म, संस्कृति और कला के दृष्टिकोण से महान थीं और उनके राज्य के लोग उन्हें प्रेम और सम्मान से देखते थे। उनका व्यक्तित्व गर्व, सहानुभूति और सद्भावना से भरा हुआ था। उन्होंने जीवन के धन्य और निर्मल उदाहरण स्थापित किए थे और अपनी अद्भुत साहसिक कथाएं सुनाई थीं। वे अपने दरबार में न्याय के प्रतीक थे और लोगों के आदर्श हीरो थे।

हालांकि, अहिल्या की खूबसूरती और प्रभावशाली व्यक्तित्व के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा था। वह एक दिन गौतम ऋषि के आश्रम में जाने का निर्णय लिया, जहां उन्हें अपनी मातृभाषा, तत्त्वज्ञान और ध्यान की ज्ञान प्राप्त होती है। यह आश्रम एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान था जहां ऋषियों और तपस्वियों का आवास था।

अहिल्या ऋषि गौतम के पास पहुंची और उन्हें धर्माचार्य के रूप में पूजा करने की निवेदन की। ऋषि गौतम, अहिल्या के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, ध्यान के माध्यम से उनके मन में निर्मलता के लिए प्रकाश डालने की विधि सिखाते हैं।

एक दिन, अहिल्या भगवान गौतम की कड़ी तपस्या को बहुत ही अभिभूत होकर, उन्हें मोहित करने का प्रयास करती हैं। ध्यान के माध्यम से, ऋषि गौतम सभी आंतरिक बाधाओं को पहचानते हैं और जानते हैं कि अहिल्या की मनमानी और आत्मविश्वास का कारण उसकी शानदार सुंदरता है।

गौतम ऋषि की प्रतिक्रिया में, वे अहिल्या को शाप देते हैं कि वह पत्नी रूप से असह्य दोषों में रहेगी और केवल भगवान राम के संदेश से ही मुक्ति पा सकेगी। वे भगवान राम से विनती करते हैं कि वह अहिल्या को शाप से मुक्त करें।

अहिल्या का जीवन एक समय से बदल जाता है। वह तपस्विनी बनती है, जो अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगती है और नई आदर्शों की प्राप्ति के लिए प्रयास करती है। भगवान राम उनके सामर्थ्य, साहस और परिश्रम को देखकर विश्वास रखते हैं और अहिल्या को शाप से मुक्त करते हैं।

अहिल्या अपने नये जीवन को ग्रहण करती हैं और वह भगवान राम के साथ जुड़कर मानवता के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण बनती हैं। उनकी कथा एक प्रेरणादायक संदेश देती है कि चाहे हम जैसे भी हों, हमें हमारे अवगुणों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा सत्य, धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए।

अहिल्या रामायण का एक महत्वपूर्ण और आदर्श पात्र है जो भगवान राम के जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रकट होती है। उनकी कहानी हमें उत्कृष्टता, ध्यान, और साहस की महत्ता को समझाती है और हमें सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, हम अपने अवगुणों को सच्चाई, प्रेम और परम धर्म के साथ समाप्त कर सकते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.