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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : मेघनाद वध

रामायण : Episode 71

मेघनाद वध

मेघनाद अपने पिता रावण के पास जाता है और बताता है विभीषण के कारण आज उसका यज्ञ अपूर्ण रह गया। वह रावण से कहता है कि जिस प्रकार विभीषण को मारने के लिये उसके द्वारा चलाये गये यमास्त्र को लक्ष्मण ने तेजहीन किया, उससे ऐसा आभास होता है कि वह कोई मानव नहीं, अवतार है। रावण मेघनाद के बदले सुर से क्रोधित होता है और उसे कायर कहता है। मेघनाद भी नाराज होता है और कहता है कि वह कायरतावश नहीं बल्कि पुत्रधर्म का निर्वाह करते हुए उन्हें सचेत करने आया है। मेघनाद कहता है कि उसे जो अनुभव हुए हैं, उसके आधार पर वह समझ चुका है कि राम मनुष्य नहीं हैं, नारायण के अवतार हैं। वह पिता से सीता को लौटाकर राम की शरण में जाने को कहता है। मेघनाद बताता है कि उसके द्वारा चलाये गये ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र और नारायणास्त्र विफल रहने के कारण वह समझ चुका है कि राम व लक्ष्मण अवतारी पुरुष हैं। रावण मेघनाद की बातों से क्रोधित होता है और उसे युद्ध से हट जाने को कहता है। इस पर मेघनाद कहता है कि पिता से विमुख पुत्र का तो भगवान भी आदर नहीं करते हैं। वह युद्धभूमि में जाकर वीर की भाँति भगवान राम के हाथों मरना चाहेगा। महल के झरोखों से मेघनाद की माता मन्दोदरी उसे युद्ध में न जाने को कहती है किन्तु मेघनाद इसे पुत्रधर्म के विरुद्ध कहता है। मेघनाद को आभास है कि अब उसका वध निश्चित है इसलिये माँ से अपनी समस्त भूलों के लिये क्षमा माँगकर विदा लेता है। सुलोचना अपने पति को नैनों से बिना नीर बहाये एक वीरपत्नी की भाँति विदा करती है। मेघनाद उसकी गणना संसार की श्रेष्ठ स्त्रियों में होने का आशीर्वाद देता है। मेघनाद अट्टहास करता हुआ पुनः लक्ष्मण के समक्ष पहुँचकर युद्ध आरम्भ करता है। लक्ष्मण अपने बाण को श्रीराम की आन देकर मेघनाद पर चलाते हैं। यह बाण मेघनाद का शीश काटकर गिरा देता है। गुप्तचर शूक मेघनाद वध की सूचना रावण को देता है। रावण को इस सूचना पर विश्वास नहीं होता। वह विक्षिप्त की भाँति अनर्गल प्रलाप करने लगता है। वह कहता है कि राज्य में उत्सव की तैयारी की जाये क्योंकि कुछ ही देर में उसका पुत्र मेघनाद जीत का डंका बजाते हुए आने वाला है। नाना माल्यवान किसी प्रकार रावण को समझा पाता है कि मेघनाद की मृत्यु हो चुकी है। माल्यवान कहता है कि मेघनाद को काल ने नहीं, रावण के अहंकार ने मारा है। तभी मन्दोदरी वहाँ आकर कहती है कि रावण को उत्सव मनाना चाहिये, किन्तु मृत्यु का उत्सव। उधर सुग्रीव मेघनाद का शव लेकर राम के समक्ष पहुँचते हैं। लक्ष्मण भी आते हैं, राम के चरण स्पर्श करते हैं। राम लक्ष्मण के घाव देखते हैं किन्तु भाई की वीरता पर मोहित होते हैं। राम मेघनाद के यज्ञ का भेद बताने के लिये विभीषण का आभार व्यक्त करते हैं। विभीषण कहते हैं कि पुत्रशोक में रावण महाकाल का विकाल रूप धारण कर सकता है। जामवन्त चाहते हैं कि मेघनाद के पार्थिव शरीर की दुर्दशा की जाये जिससे शत्रुदल थर्रा उठे। किन्तु राम स्वयं पितृ आज्ञा पालक हैं। वह जानते हैं कि मेघनाद ने पिता के लिये अपना प्राणोत्सर्ग किया है। वह मेघनाद को पितृभक्त कहते हैं, उसके शव को अपना निज वस्त्र ओढ़ाते हैं और उसे वीरोचित सम्मान देकर लंका भिजवाते हैं। विभीषण भी भतीजे मेघनाद की मृत्यु पर शोकाकुल हैं और स्वयं को उसकी मृत्यु का जिम्मेदार ठहराते हैं। राम उन्हें सांत्वना देते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Lava - लव

श्री रामायण महाकाव्य में श्री राम और माता सीता के पुत्र लव को एक महत्वपूर्ण चरित्र माना जाता है। लव श्री रामचंद्र जी के और सीता जी के दोनों पुत्रों में से एक हैं। उनका जन्म वाल्मीकि मुनि के कवित्व महाकाव्य रामायण के उत्तर कांड में वर्णित हुआ है। लव और कुश दोनों भ्रातृभाग्य को प्राप्त करने वाले हैं। इन्होंने श्री राम के गुणों का पालन करते हुए बड़े होकर अपने माता-पिता का सम्मान किया और अपनी माता की पुरी चिंता और सेवा की।

लव का वर्णन रामायण में काव्यात्मक रूप से किया गया है। वह बहुत ही सुंदर और प्रियदर्शी थे। उनके मुख पर अद्यतित मुद्रा रहती थी और उनकी किरणों से सबको प्रभावित कर देते थे। उनके बाल लम्बे, सुंदर और चमकीले थे। उनकी आंखें अत्यंत मनमोहक थीं और व्यक्तित्व में वे अत्यंत प्रिय किए जाते थे।

लव श्री राम की अद्यतन मुद्रा, व्यंग्य, काव्य, विदूषणा आदि कलाओं में आदित्य कहे जाते हैं। वे गुणों, धर्म और सौंदर्य का समन्वय हैं। उनके प्रति लोगों का आदर बढ़ता था क्योंकि उन्होंने अपने पिता के गुणों को पालन किया और अपनी माता की सेवा की। लव को धर्मिक विचारों और नेतृत्व की महत्ता को समझाने का बड़ा योगदान दिया जाता है।

लव अपनी ब्राह्मण जाति के लोगों की तरह धर्म-कर्म में निरत रहते थे। वे न्याय के नियमों का पालन करते थे और लोगों को अपने वचनों के प्रति प्रमाणित करते थे। उनका चरित्र पवित्र और निष्ठावान था। लव बुद्धिमान और समझदार होने के साथ-साथ मनोबल के धनी भी थे। उनके वाणी और विचार अत्यंत तेजस्वी थे, जिनसे उन्होंने लोगों को प्रभावित किया।

लव का ध्यान सम्पूर्णता, साहस, सौंदर्य और संयम पर था। उन्होंने बचपन से ही सबको आकर्षित किया और अपने माता-पिता का पूरा आदर किया। लव अपनी सामर्थ्य, प्रतिष्ठा और साहस के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने भाई कुश के साथ एक संघटित रूप से काम किया और विभिन्न यज्ञों और धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया।

लव के व्यक्तित्व में सौंदर्य, साहस, आत्मविश्वास और शक्ति का परिचय होता है। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई और अपनी प्रेम और समर्पण भावना से अपने आपको सबके लिए प्रकट किया। उनकी वीरता, धैर्य और न्यायप्रियता ने लोगों को आकर्षित किया और उन्हें आदर्श के रूप में स्वीकारा गया।

लव रामायण के एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जो अपनी माता-पिता की आदर्श आचारणा को प्रदर्शित करते हैं। उनका व्यक्तित्व, विद्या, विचारशीलता और धर्मपरायणता लोगों को प्रेरित करता है। लव की प्रतिष्ठा और सामर्थ्य की कथा लोगों को धार्मिक और नैतिक मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करती है। उनका पात्र रामायण में एक उत्कृष्ट नगरी चित्रण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

इस प्रकार, लव रामायण में एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं जो संपूर्णता, सौंदर्य, धर्मपरायणता और साहस का प्रतीक हैं। उनका व्यक्तित्व लोगों को प्रेरित करता है और उन्हें धार्मिक और नैतिक मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है। लव रामायण के एक महत्वपूर्ण पात्र हैं जो अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं और अपने जीवन को धार्मिक और नैतिक मार्ग पर चलाने का उदाहरण स्थापित करते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.