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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : अयोध्या में चारों राजकुमारों का आगमन। श्रीराम द्वारा ताड़का वध

रामायण : Episode 4

अयोध्या में चारों राजकुमारों का आगमन। श्रीराम द्वारा ताड़का वध

विधि के विधान से समय आगे बढ़ता है और अंतोगत्वा वह समय आता है जब राजा दशरथ के चारों पुत्र अपनी गुरुकुल की शिक्षा पूर्ण कर अयोध्या नगरी में वापस आते हैं। राजकुमारों के स्वागत में नगरवासियों उत्साह देखते बनता है। रानी कौशल्या, रानी कैकेयी और रानी सुमित्रा लम्बे अन्तराल के बाद अपने पुत्रों से मिलकर अत्यन्त प्रसन्न होती हैं। चारों राजकुमार पहले अपने पिता राजा दशरथ के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेते है। महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ को आश्वस्त करते हैं कि चारों राजकुमार बाल्यावस्था में गुरूकुल आये थे किन्तु अब वे समस्त विद्याओं में परिपूर्ण हो चुके हैं। राजकुमारों को उनके पिता के सुपुर्द करते हुए महर्षि वशिष्ठ एक बार फिर उन्हें स्मरण कराते हैं कि जीवन में माँ का स्थान ईश्वर और गुरु से भी ऊपर होता है और ये बात उन्हें कभी विस्मृत नहीं करनी चाहिये। अब चारों राजकुमारों का समय राजमहल में माता पिता के साथ व्यतीत होने लगता है। राजकुमारों को उनके पिता के सुपुर्द करते हुए महर्षि वशिष्ठ एक बार फिर उन्हें स्मरण कराते हैं कि जीवन में माँ का स्थान ईश्वर और गुरु से भी ऊपर होता है और ये बात उन्हें कभी विस्मृत नहीं करनी चाहिये। अब चारों राजकुमारों का समय राजमहल में माता पिता के साथ व्यतीत होने लगता है। उधर असुरों के अत्याचार से सन्त समाज प्रताड़ित है। ऋषि विश्वामित्र संतों के साथ यज्ञ करते हैं तो ताड़का नामक राक्षसी यज्ञ में बाधा डालती है। यज्ञ रुक जाता है। इससे दुखी होकर अनेक संत ऋषि विश्वामित्र से कहते हैं कि इन असुरों का कुछ तो करना होगा। इस पर ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास सहायता मांगने जाते हैं। अयोध्या में ऋषि विश्वामित्र का स्वागत सम्मानपूर्वक होता है। ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से अपनी व्यथा सुनाते हैं कि लंकापति रावण के असुरों के कारण उनकी साधना और यज्ञ आदि कोई शुभ कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा है। विश्वामित्र राजा दशरथ से राम को उनके साथ तपोवन भेजने के लिये कहते हैं किन्तु पिता का प्रेम इसके लिये सहमत नहीं होता है। तब महर्षि वशिष्ठ अपने शिक्षा के अनुभव से राजा दशरथ को राम के गुणों का बखान करते हैं। वे बताते हैं कि राम में वह शक्ति है जो इन असुरों का नाश कर सकती है। अन्ततः राजा दशरथ सहमत हो जाते हैं और लक्ष्मण को भी राम के साथ जाने का आदेश देते हैं। राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ प्रस्थान करते हैं। मार्ग में ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को राक्षसी ताड़का से जुड़ी भयावह बातें बताते है। तपोवन में श्रीराम का सामना ताड़का से होता है। दोनों के बीच युद्ध होता है। ऋषि विश्वामित्र श्री राम को कहते है सूर्यास्त के पहले ताड़का का वध करना होगा। सूर्यास्त के बाद असुरी शक्तियाँ बढ़ जाती हैं। श्रीराम ऋषि विश्वामित्र के आदेश का पालन करते हैं और ताड़का वध करते है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Kaushalya - कौशल्या

रामायण में 'कौशल्या' के चरित्र का परिचय देने से पहले, हमें इस महाकाव्य की महत्त्वपूर्ण बातों के बारे में जानना चाहिए। रामायण वाल्मीकि ऋषि द्वारा लिखित एक प्राचीन भारतीय काव्य है, जो हिंदी साहित्य का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। यह महाकाव्य भगवान राम के जीवन की कथा को विस्तृतता से बताता है, जिसमें वे अवतार लेते हैं और भूमिका निभाते हैं। इसमें कई महत्वपूर्ण चरित्र हैं, जो कथा को रंगीन बनाते हैं, और 'कौशल्या' उनमें से एक है।

'कौशल्या' राजा दशरथ की पत्नी और भगवान राम की माता हैं। वे दिव्य सुंदरता और गुणों से परिपूर्ण हैं। कौशल्या का नाम इन्द्रियों को संतुष्ट करने वाली और धर्म की प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाली विशेषताओं को दर्शाता है। वे एक पतिव्रता और समर्पित स्त्री हैं, जो अपने पति के प्रति वफादारी और प्रेम का परिचय देती हैं। उनका प्रामाणिक और सर्वोच्च प्रेम उन्हें एक आदर्श पत्नी बनाता है।

कौशल्या को रामजी के आदेशों का पालन करने में खुशी होती है और वे उनके संकल्पों को सहजता से पूरा करती हैं। उन्होंने अपने पुत्र को आदर्श शिक्षा दी है और उन्हें जीवन के सार्थक तत्वों का ज्ञान दिया है। कौशल्या भक्ति, संयम और शान्ति की प्रतीक हैं, जिनका वे उदाहरण प्रदान करती हैं।

कौशल्या के चरित्र में धैर्य, साहस और समर्पण की गुणवत्ता होती है। जब उन्हें पति दशरथ के आदेश पर वनवास के लिए राम को भेजना पड़ता है, तो उन्होंने अपने बेटे के निर्माण में एक महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। वे शोक और वियोग के समय भी अपनी आत्मा को सांत्वना देती हैं। उन्होंने अपने पुत्र को आदर्श राजा बनाने के लिए उन्हें समर्पित किया है। उन्होंने राम के न्यायपालन के लिए अपने पति से अनुमति प्राप्त की है, जिससे वे धर्म और न्याय के प्रतिष्ठान में अपनी भूमिका को निभा सकें।

कौशल्या की प्रेमभरी व्यक्तित्व राम के जीवन में महत्त्वपूर्ण है। वे अपने पुत्र के प्रति अपना सबसे गहरा संवेदनशील प्यार प्रदर्शित करती हैं। उनकी मातृभावना, उनके भक्ति और प्रेम के प्रतीक हैं और यह उन्हें एक महान और आदर्श माता बनाता है। उन्होंने अपने जीवन में सभी को प्रेम और समर्पण का उदाहरण प्रदान किया है।

संक्षेप में कहें तो, 'कौशल्या' रामायण के महत्वपूर्ण चरित्रों में से एक हैं, जो भगवान राम की माता हैं। उनके चरित्र में धैर्य, साहस, समर्पण और प्रेम की गुणवत्ता होती है। कौशल्या एक आदर्श पत्नी, समर्पित माता और समाज की सेवक हैं, जो अपने पुत्र के उदारता और दया के आदर्श को प्रदर्शित करती हैं। उन्होंने राम के न्यायपालन के लिए अपने पति का समर्थन किया है और उन्हें आदर्श राजा बनाने में मदद की है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.