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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : कैकेयी द्वारा मृत्यु दण्ड की माँग। भरत द्वारा राम से राज्य सम्भालने की याचना।

रामायण : Episode 24

कैकेयी द्वारा मृत्यु दण्ड की माँग। भरत द्वारा राम से राज्य सम्भालने की याचना।

राम और भरत का मिलाप बहुत ही भावुक वातावरण में होता है। राम द्वारा पिता की कुशलता के बारे में पूछे जाने पर भरत रुँधें गले से उनके निधन का समाचार देते हैं। राम लक्ष्मण गले लगकर रोते हैं। तभी गुरु वशिष्ठ और तीनों रानियाँ कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा वहाँ पहुँचती हैं। राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वे कौशल्या की बजाय पहले माता कैकेयी के चरण स्पर्श करते हैं। कैकेयी को अपराध बोध है लेकिन राम के मन में कोई मलाल नहीं। वे इसे नियति का खेल मानते हैं। तत्पश्चात राम माता सुमित्रा और कौशल्या से मिलते हैं। महर्षि वशिष्ठ के आदेश पर राम और लक्ष्मण से अपने दिवंगत पिता को तिल और मन्दाकिनी के पवित्र जल से तर्पण करते हैं। रात्रि में राम गुरु वशिष्ठ के और सीता बारी बारी तीनों माताओं के चरण दबा कर सेवा धर्म निर्वाह करती हैं। ग्लानि से भरी कैकेयी सीता से कहती है कि वह राम से कहकर उसे मृत्युदण्ड दिलाये जिससे वो अपनी लज्जित जीवन से छुटकारा पा सकें। माता सुमित्रा सीता से जानती हैं कि लक्ष्मण उनकी किस प्रकार सेवा करते हैं। अगले दिन महर्षि वशिष्ठ सभा आहूत करते हैं। राम सभा में गुरु वशिष्ठ की आज्ञा का पालन करने की प्रतिज्ञा करते हैं। सभी के चेहरों पर आशा की किरण जगमगा जाती है लेकिन अगले ही पल राम यह भी कह देते हैं कि गुरुदेव उन्हें नीति और धर्म सम्मत आज्ञा ही दें। गुरु वशिष्ठ भी ज्ञानी हैं। वे राम की कूटनीति का उत्तर देते हुए कहते हैं कि याचक नीति अनीति नहीं सोचता है। उसे केवल अपनी याचना पूरी होने से सरोकार होता है। वशिष्ठ कहते हैं कि भरत के प्रेम के आगे धर्म और नीति कोई स्थान नहीं रखती है और फिर वे भरत से बड़े भाई राम के समक्ष अपने हृदय की बात रखने को कहते हैं। भरत राम से कुल का ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते राज सिंहासन स्वीकार करने की याचना करते हैं। कैकेयी भी राम से कहती हैं कि वे अपने माँगे हुए वरदान वापस लेती हैं और राम को वचनों से मुक्त करती हैं। राम कहते हैं कि वचन वापसी का अधिकार केवल पिता दशरथ के पास था और अब वो परलोक सिधार चुके हैं अतएव उनके वचन अनुरूप कार्य करना ही एकमात्र विकल्प है। भरत राम की कुटिया के सामने अन्न जल त्याग कर मरने तक वहाँ धरना देने की घोषणा करते हैं। भरत की इस बात से राम अन्दर तक हिल जाते हैं। तभी एक दूत राजा जनक और रानी सुनयना के चित्रकूट पहुँचने की सूचना लाता है। वशिष्ठ राजा जनक के आगमन तक के लिये सभा स्थगित कर देते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Maricha - मारीच

मारीच रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र है जो रावण के मामा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। मारीच देवताओं के वंशज और वानर जाति के एक प्रमुख सदस्य हैं। वह विद्या, शक्ति और योग्यता में प्रवीण हैं, जिसके कारण उन्हें रावण का समर्थन करने का अवसर मिला। मारीच के चरित्र में रामायण के कई पहलुओं को प्रकट किया गया है, जैसे कि उनकी शांतिपूर्ण प्रकृति, अच्छे संगीत और उनका नीतिनिष्ठा।

मारीच को एक प्राणी के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जिसे रावण ने अपने विचारशक्ति के आधार पर प्राणी में परिवर्तित किया। इस प्राणी के रूप में, मारीच ने रावण को अपने विज्ञान और ज्ञान के माध्यम से नये विचारों का अनुभव कराया। वे रावण के उत्कृष्ट मनोबल का प्रतीक बन गए और उन्होंने रावण को अपनी मायावी शक्तियों का परिचय दिया। मारीच ने रावण के दुर्योधन के रूप में भूमिका निभाई, जो उनके प्रतापी और विनीत चरित्र का एक प्रतिष्ठित उदाहरण है।

मारीच की रामायण में प्रमुख भूमिका उनके परिवर्तनशील स्वभाव की बजाय उनकी शांतिपूर्ण प्रकृति को दर्शाने में है। उनकी विचारधारा धर्म और न्याय के पक्षपाती दरबार के विरोध में है, जिसे वे रावण को समझाते हैं। मारीच को रामायण में ध्यान और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में भी दिखाया गया है, जब उन्होंने रावण को राम की सत्य और धर्म को मान्य करने की सलाह दी। यह दर्शाता है कि मारीच को धर्म और सत्य के महत्व का अच्छा ज्ञान था।

मारीच को सुंदरकांड में एक महत्वपूर्ण घटना में प्रस्तुत किया गया है, जब उन्होंने भगवान राम के द्वारा किए गए वानरों के प्रत्येक घोर आक्रमण का वर्णन किया। मारीच ने रावण को सावधान करने की सलाह दी और उन्हें बताया कि राम एक महान योद्धा है और उनकी अपार शक्ति का अनुभव करने की योग्यता रखता है। उन्होंने रावण को चेतावनी दी कि वे राम से मतभेद में न पड़ें और उनके प्रति सम्मान का भाव रखें। मारीच की यह सलाह रावण की विजय के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुई, जो राम के द्वारा हत्या किए जाने की घटना के बाद हुई।

मारीच का चरित्र रामायण में महत्वपूर्ण है और वह रावण के मामा के रूप में एक गहरी राष्ट्रीयता, नीतिशास्त्र, और धर्म की प्रतिष्ठा का प्रतीक है। उनकी प्रशंसा उनकी योग्यताओं, विचारधारा और सच्चे मन की प्रशंसा है। यह चरित्र मारीच को रामायण का महत्वपूर्ण और आदर्श व्यक्ति बनाता है, जो धर्म, न्याय और सत्य के मानकों का पालन करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.