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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : केवट का प्रेम और श्री राम का गंगा पार जाना।

रामायण : Episode 18

केवट का प्रेम और श्री राम का गंगा पार जाना।

वनपथ गमन पर राम अपने मित्र निषादराज गुह के साथ गंगा तीरे पहुचते हैं। उन्हें पार जाना है। निषादराज एक केवट को बुलाते हैं लेकिन केवट राम जी को नाव पर बैठाने से इनकार कर देता है। उसने राम के चरणों की महिमा सुन रखी है कि किस प्रकार उनके चरण पड़ने से अहिल्या शिला से नारी बन गयीं थी। केवट को भय है कि राम के चरण पड़ते ही उसकी नाव भी स्त्री बन जायेगी और उसकी आजीविका का साधन जाता रहेगा। वो राम से कहता है कि पहले वो उनके चरण अच्छे से धोएगा और फिर उस पानी को पीकर जाचेगा कि उसमें कोई जादूटोना तो नहीं है। वस्तुतः केवट राम के परमेश्वर स्वरूप को पहचान चुका है और वो किसी बहाने से उनके चरणामृत का पान करना चाहता है। राम उसकी भक्ति को समझ जाते हैं और भक्त की बात मान जाते हैं। परात में गंगाजल से राम के पाँव धोने के बाद केवट उस जल को पीता है और ऐसा प्रकट करता है मानों अब वो सन्तुष्ट है कि राम चरणरज से उसकी नाव को कुछ नुकसान नहीं होगा। राम लक्ष्मण सीता और निषादराज नाव पर सवार होकर गंगापार उतरते हैं। राम के मन में संकोच है। उनके पास केवट को देने के लिये कुछ नहीं है। सीता पति के मन के भाव समझ लेती हैं और अपनी अंगूठी उतारकर राम को देती हैं। राम केवट को वो अंगूठी पार उतराई के रूप में देना चाहते हैं। लेकिन केवट भी बड़ा चतुर है। वो तो भगवान से इससे अधिक पाने की लालसा रखता है। वो मना करते हुए कहता है कि धोबी से धोबी धुलाई नहीं लेता है और नाई से नाई बाल कटाई नहीं लेता है तो वो केवट है और राम भी एक केवट हैं तो वो उनसे उतराई कैसे ले सकता है। केवट प्रभु राम के चरणों में गिर कर कहता है कि एक दिन वो उनके घाट पर आयेगा तब वे उसे भवसागर पार करा दें। यही उसकी उतराई होगी। गंगा मैया की अराधना करके राम, लक्ष्मण, सीता और निषादराज तीर्थराज प्रयाग में भारद्वाज मुनि के आश्रम पहुँचते हैं। राम के वनवास से भारद्वाज मुनि व्यथित हैं। वे राम को अपने आश्रम रहने का आमन्त्रण देते हैं। राम जानते हैं कि अयोध्या प्रयागराज के समीप है। अतएव अयोध्यावासी कभी भी वहा आ सकते हैं। इसलिये वे भारद्वाज मुनि से कोई अन्य एकान्त स्थान पूछते हैं। मुनिवर उन्हें चित्रकूट जाने का परामर्श देते हैं। चित्रकूट एक अत्यन्त पावन स्थान है जहाँ यमुना पार करके जाना है और कोई नाव भी नहीं है। निषादराज और लक्ष्मण मिलकर बासों का एक बेड़ा तैयार करते हैं। राम यहाँ से भरत के समान प्रिय अपने मित्र निषादराज को वापस भेज देते हैं। निषादराज भारी मन से यह आदेश स्वीकार करते हैं। लक्ष्मण बेड़े को यमुनापार ले जाने के लिये खेते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Lava - लव

श्री रामायण महाकाव्य में श्री राम और माता सीता के पुत्र लव को एक महत्वपूर्ण चरित्र माना जाता है। लव श्री रामचंद्र जी के और सीता जी के दोनों पुत्रों में से एक हैं। उनका जन्म वाल्मीकि मुनि के कवित्व महाकाव्य रामायण के उत्तर कांड में वर्णित हुआ है। लव और कुश दोनों भ्रातृभाग्य को प्राप्त करने वाले हैं। इन्होंने श्री राम के गुणों का पालन करते हुए बड़े होकर अपने माता-पिता का सम्मान किया और अपनी माता की पुरी चिंता और सेवा की।

लव का वर्णन रामायण में काव्यात्मक रूप से किया गया है। वह बहुत ही सुंदर और प्रियदर्शी थे। उनके मुख पर अद्यतित मुद्रा रहती थी और उनकी किरणों से सबको प्रभावित कर देते थे। उनके बाल लम्बे, सुंदर और चमकीले थे। उनकी आंखें अत्यंत मनमोहक थीं और व्यक्तित्व में वे अत्यंत प्रिय किए जाते थे।

लव श्री राम की अद्यतन मुद्रा, व्यंग्य, काव्य, विदूषणा आदि कलाओं में आदित्य कहे जाते हैं। वे गुणों, धर्म और सौंदर्य का समन्वय हैं। उनके प्रति लोगों का आदर बढ़ता था क्योंकि उन्होंने अपने पिता के गुणों को पालन किया और अपनी माता की सेवा की। लव को धर्मिक विचारों और नेतृत्व की महत्ता को समझाने का बड़ा योगदान दिया जाता है।

लव अपनी ब्राह्मण जाति के लोगों की तरह धर्म-कर्म में निरत रहते थे। वे न्याय के नियमों का पालन करते थे और लोगों को अपने वचनों के प्रति प्रमाणित करते थे। उनका चरित्र पवित्र और निष्ठावान था। लव बुद्धिमान और समझदार होने के साथ-साथ मनोबल के धनी भी थे। उनके वाणी और विचार अत्यंत तेजस्वी थे, जिनसे उन्होंने लोगों को प्रभावित किया।

लव का ध्यान सम्पूर्णता, साहस, सौंदर्य और संयम पर था। उन्होंने बचपन से ही सबको आकर्षित किया और अपने माता-पिता का पूरा आदर किया। लव अपनी सामर्थ्य, प्रतिष्ठा और साहस के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने भाई कुश के साथ एक संघटित रूप से काम किया और विभिन्न यज्ञों और धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया।

लव के व्यक्तित्व में सौंदर्य, साहस, आत्मविश्वास और शक्ति का परिचय होता है। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई और अपनी प्रेम और समर्पण भावना से अपने आपको सबके लिए प्रकट किया। उनकी वीरता, धैर्य और न्यायप्रियता ने लोगों को आकर्षित किया और उन्हें आदर्श के रूप में स्वीकारा गया।

लव रामायण के एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जो अपनी माता-पिता की आदर्श आचारणा को प्रदर्शित करते हैं। उनका व्यक्तित्व, विद्या, विचारशीलता और धर्मपरायणता लोगों को प्रेरित करता है। लव की प्रतिष्ठा और सामर्थ्य की कथा लोगों को धार्मिक और नैतिक मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करती है। उनका पात्र रामायण में एक उत्कृष्ट नगरी चित्रण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

इस प्रकार, लव रामायण में एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं जो संपूर्णता, सौंदर्य, धर्मपरायणता और साहस का प्रतीक हैं। उनका व्यक्तित्व लोगों को प्रेरित करता है और उन्हें धार्मिक और नैतिक मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है। लव रामायण के एक महत्वपूर्ण पात्र हैं जो अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं और अपने जीवन को धार्मिक और नैतिक मार्ग पर चलाने का उदाहरण स्थापित करते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.