श्री राम द्वारा धनुष भंग: श्री राम और द्वारका के राजा जनक की सुंदरी सीता के विवाह में, एक अनोखा प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। इस प्रतियोगिता में श्री राम को धनुष भंग करने का विशेषाधिकार था। श्री राम ने अपनी महाशक्ति के साथ धनुष भंग करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया। इस प्रतियोगिता के फलस्वरूप श्री राम को सीता की प्राप्ति हुई और वे सीताजी के पति बन गए। यह घटना श्री राम के वीरता और ब्रह्मतेज का प्रतीक मानी जाती है।

सीता द्वारा जयमाल: सीता माता जी, श्री राम की पत्नी, अत्यंत सुंदर और सम्पूर्ण गुणों से सम्पन्न थीं। जब श्री राम ने राज्य संभाला तो वनवास के दौरान उन्हें रावण द्वारा अपहरण किया गया। सीताजी को उन्हें छोड़ने के लिए वानर सेना के हनुमान नामक वानर ने सुग्रीव द्वारा दिये गए चिन्ह (अंगूठी) रामायण के माध्यम से पहुँचाए थे। जब श्री राम और उनके साथी लक्ष्मण वन में सीता क ो ढूंढ़ने पहुंचे, तो सीता ने उनके पहचान में जयमाल दिखाई। सीता द्वारा जयमाल की चरित्रीकरण से पहचान कर श्री राम ने अपनी पत्नी को पुनः प्राप्त किया। यह घटना सीताजी की साहस, वचनवद्धता, और पतिव्रता का प्रतीक मानी जाती है।

परशुराम लक्ष्मण संवाद: एक बार श्री राम और उनके साथी लक्ष्मण अयोध्या में शांति और विकास के लिए कार्यरत थे। उन्हें अपने धर्म का पालन करने के लिए यज्ञ की आवश्यकता हुई। इस प्रकार एक विशाल यज्ञ की तैयारी की जा रही थी। इस दौरान यज्ञ के निर्माण कार्य कर रहे लक्ष्मण और परशुराम महर्षि के बीच एक संवाद हुआ। परशुराम महर्षि ने लक्ष्मण से उनके वीरता की प्रशंसा की और उनको धनुष भंग करने का वरदान दिया। यह संवाद श्री राम के द्वारा धर्म के पालन का महत्त्व और लक्ष्मण की महानता को प्रकट करता है।

"/> श्री राम द्वारा धनुष भंग: श्री राम और द्वारका के राजा जनक की सुंदरी सीता के विवाह में, एक अनोखा प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। इस प्रतियोगिता में श्री राम को धनुष भंग करने का विशेषाधिकार था। श्री राम ने अपनी महाशक्ति के साथ धनुष भंग करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया। इस प्रतियोगिता के फलस्वरूप श्री राम को सीता की प्राप्ति हुई और वे सीताजी के पति बन गए। यह घटना श्री राम के वीरता और ब्रह्मतेज का प्रतीक मानी जाती है।

सीता द्वारा जयमाल: सीता माता जी, श्री राम की पत्नी, अत्यंत सुंदर और सम्पूर्ण गुणों से सम्पन्न थीं। जब श्री राम ने राज्य संभाला तो वनवास के दौरान उन्हें रावण द्वारा अपहरण किया गया। सीताजी को उन्हें छोड़ने के लिए वानर सेना के हनुमान नामक वानर ने सुग्रीव द्वारा दिये गए चिन्ह (अंगूठी) रामायण के माध्यम से पहुँचाए थे। जब श्री राम और उनके साथी लक्ष्मण वन में सीता क ो ढूंढ़ने पहुंचे, तो सीता ने उनके पहचान में जयमाल दिखाई। सीता द्वारा जयमाल की चरित्रीकरण से पहचान कर श्री राम ने अपनी पत्नी को पुनः प्राप्त किया। यह घटना सीताजी की साहस, वचनवद्धता, और पतिव्रता का प्रतीक मानी जाती है।

परशुराम लक्ष्मण संवाद: एक बार श्री राम और उनके साथी लक्ष्मण अयोध्या में शांति और विकास के लिए कार्यरत थे। उन्हें अपने धर्म का पालन करने के लिए यज्ञ की आवश्यकता हुई। इस प्रकार एक विशाल यज्ञ की तैयारी की जा रही थी। इस दौरान यज्ञ के निर्माण कार्य कर रहे लक्ष्मण और परशुराम महर्षि के बीच एक संवाद हुआ। परशुराम महर्षि ने लक्ष्मण से उनके वीरता की प्रशंसा की और उनको धनुष भंग करने का वरदान दिया। यह संवाद श्री राम के द्वारा धर्म के पालन का महत्त्व और लक्ष्मण की महानता को प्रकट करता है।

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सीता द्वारा जयमाल: सीता माता जी, श्री राम की पत्नी, अत्यंत सुंदर और सम्पूर्ण गुणों से सम्पन्न थीं। जब श्री राम ने राज्य संभाला तो वनवास के दौरान उन्हें रावण द्वारा अपहरण किया गया। सीताजी को उन्हें छोड़ने के लिए वानर सेना के हनुमान नामक वानर ने सुग्रीव द्वारा दिये गए चिन्ह (अंगूठी) रामायण के माध्यम से पहुँचाए थे। जब श्री राम और उनके साथी लक्ष्मण वन में सीता क ो ढूंढ़ने पहुंचे, तो सीता ने उनके पहचान में जयमाल दिखाई। सीता द्वारा जयमाल की चरित्रीकरण से पहचान कर श्री राम ने अपनी पत्नी को पुनः प्राप्त किया। यह घटना सीताजी की साहस, वचनवद्धता, और पतिव्रता का प्रतीक मानी जाती है।

परशुराम लक्ष्मण संवाद: एक बार श्री राम और उनके साथी लक्ष्मण अयोध्या में शांति और विकास के लिए कार्यरत थे। उन्हें अपने धर्म का पालन करने के लिए यज्ञ की आवश्यकता हुई। इस प्रकार एक विशाल यज्ञ की तैयारी की जा रही थी। इस दौरान यज्ञ के निर्माण कार्य कर रहे लक्ष्मण और परशुराम महर्षि के बीच एक संवाद हुआ। परशुराम महर्षि ने लक्ष्मण से उनके वीरता की प्रशंसा की और उनको धनुष भंग करने का वरदान दिया। यह संवाद श्री राम के द्वारा धर्म के पालन का महत्त्व और लक्ष्मण की महानता को प्रकट करता है।

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रामायण : श्री राम द्वारा धनुष भंग। सीता द्वारा जयमाल। परशुराम लक्ष्मण संवाद

रामायण : Episode 8

श्री राम द्वारा धनुष भंग। सीता द्वारा जयमाल। परशुराम लक्ष्मण संवाद

श्री राम द्वारा धनुष भंग: श्री राम और द्वारका के राजा जनक की सुंदरी सीता के विवाह में, एक अनोखा प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। इस प्रतियोगिता में श्री राम को धनुष भंग करने का विशेषाधिकार था। श्री राम ने अपनी महाशक्ति के साथ धनुष भंग करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया। इस प्रतियोगिता के फलस्वरूप श्री राम को सीता की प्राप्ति हुई और वे सीताजी के पति बन गए। यह घटना श्री राम के वीरता और ब्रह्मतेज का प्रतीक मानी जाती है।

सीता द्वारा जयमाल: सीता माता जी, श्री राम की पत्नी, अत्यंत सुंदर और सम्पूर्ण गुणों से सम्पन्न थीं। जब श्री राम ने राज्य संभाला तो वनवास के दौरान उन्हें रावण द्वारा अपहरण किया गया। सीताजी को उन्हें छोड़ने के लिए वानर सेना के हनुमान नामक वानर ने सुग्रीव द्वारा दिये गए चिन्ह (अंगूठी) रामायण के माध्यम से पहुँचाए थे। जब श्री राम और उनके साथी लक्ष्मण वन में सीता क ो ढूंढ़ने पहुंचे, तो सीता ने उनके पहचान में जयमाल दिखाई। सीता द्वारा जयमाल की चरित्रीकरण से पहचान कर श्री राम ने अपनी पत्नी को पुनः प्राप्त किया। यह घटना सीताजी की साहस, वचनवद्धता, और पतिव्रता का प्रतीक मानी जाती है।

परशुराम लक्ष्मण संवाद: एक बार श्री राम और उनके साथी लक्ष्मण अयोध्या में शांति और विकास के लिए कार्यरत थे। उन्हें अपने धर्म का पालन करने के लिए यज्ञ की आवश्यकता हुई। इस प्रकार एक विशाल यज्ञ की तैयारी की जा रही थी। इस दौरान यज्ञ के निर्माण कार्य कर रहे लक्ष्मण और परशुराम महर्षि के बीच एक संवाद हुआ। परशुराम महर्षि ने लक्ष्मण से उनके वीरता की प्रशंसा की और उनको धनुष भंग करने का वरदान दिया। यह संवाद श्री राम के द्वारा धर्म के पालन का महत्त्व और लक्ष्मण की महानता को प्रकट करता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Ravana - रावण

रावण, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक प्रमुख पात्र है और भारतीय साहित्य और संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। वह महाभारत काल से पहले के युग में राज करने वाले लंका के राजा थे। रावण एक महान विद्वान, ब्राह्मण, महर्षि, विशेषज्ञ योद्धा और शैलीशील राजा थे। वह राजा दशरथ के विरुद्ध भी लड़े और उनके पुत्र रामचंद्र को पराजित करने का प्रयास किया। रावण को माना जाता है कि उन्होंने दशरथ की पत्नी कौशल्या की प्रतीक्षा में अयोध्या में पहुंचने वाली विमला को अपहरण किया था, जिसके बाद उन्होंने उसे अपनी विरासती भारती रानी के रूप में शापित किया।

रावण की विशेषताएं उनके अस्त्र-शस्त्र विज्ञान में अद्वितीय थीं। उन्हें अस्त्र-शस्त्र और तंत्र-मंत्र की गहरी ज्ञान थी और उनकी ताकत को देखकर लोग उन्हें मानवीय शक्ति से भी प्रभावित होते थे। रावण के दस सिर थे, जिनमें हर एक का अपना विशेष महत्व था। इन सिरो में से एक सिर को ही उनकी अवधि यानी उम्र प्रतिनिधित्व करता था। इसके अलावा, रावण को अजेय बनाने के लिए उन्होंने अपने शरीर को अभिजीत करने के लिए विशेष तपस्या की थी।

रावण को एक अद्वितीय कवच भी प्राप्त था, जिसकी रक्षा उन्हें अजेय बनाती थी। वह ब्रह्मा के वरदान से प्राप्त हुआ था और उन्हें मौनी सिद्धि भी प्राप्त थी, जिससे उन्हें अस्त्रों की शक्ति इच्छानुसार प्रयोग करने की अनुमति मिलती थी।

रावण के शक्तिशाली पुत्र मेघनाद भी थे, जिन्होंने उनके समर्थन में कई युद्ध किए थे। मेघनाद को वारुण देवता ने अजेयता दी थी और उन्हें अपराजित बना दिया था। रावण के इस पुत्र की सहायता से रावण ने बहुत सारे युद्ध जीते और ब्रह्मा और इंद्र जैसे देवताओं को भी पराजित किया।

रावण को विशेष रूप से उनके तेज, यश और धन के कारण यहां तक कि सूर्य, चंद्रमा और अग्नि भी उनके समर्थन में रहते थे। उन्हें दया, करुणा और धर्म की अच्छी जानकारी थी, लेकिन उनका गर्व और अहंकार उन्हें अन्यायपूर्ण और अत्याचारी बना दिया।

रावण एक विशालकाय राक्षस राजा थे, जो सुंदर और प्रभावशाली राजमहल में बसते थे। उनकी ताकत, साहस और समर्पण उन्हें वीरता के प्रतीक बनाते थे। रावण का रंग काला था और उनके नेत्र लाल थे। उनके मुख पर विशेष तरीके से राजसी और आदर्शवादी मुद्रा थी।

रावण के चरित्र में विभिन्न रंग हैं। उन्हें अपराधी, अहंकारी, अत्याचारी और अधर्मी के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि, उनका प्रेम पत्नी मंदोदरी के प्रति गहरा और सच्चा था। वे एक बुद्धिमान और न्यायप्रिय व्यक्ति भी थे, जो विश्वास को महत्व देते थे।

रावण के चरित्र का अध्ययन एक गहरा और महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि उनकी कथा और उनके विभिन्न पहलुओं में संघर्ष और पराजय की कथा है। वे एक उदाहरण हैं जो अधर्म के मार्ग पर चलने के परिणामस्वरूप अपनी स्वयं की नष्टि को देखते हैं। उनकी गरिमा और पात्रता के साथ उनके पापों की सीमाओं का अनुभव करने वाले लोग भी थे।

रावण एक रोचक पात्र है जिसके चरित्र में समय के साथ विकास हुआ है। वे सत्ता, शक्ति और दम्भ के प्रतीक हैं, लेकिन उनकी अहंकारी और न्यायवादी स्वभाव ने उन्हें अवरोधित कर दिया। रावण का चरित्र अध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जा सकता है, जो हमें दिखा सकता है कि अधर्म के मार्ग पर चलने के परिणामस्वरूप न्याय और सत्य की पराजय कैसे होती है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.