×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : युद्ध के लिए प्रस्थान । महर्षि अगस्त्य ने श्री राम को आदित्य हृदयम् मंत्र दिया।

रामायण : Episode 72

युद्ध के लिए प्रस्थान । महर्षि अगस्त्य ने श्री राम को आदित्य हृदयम् मंत्र दिया।

हनुमान मेघनाद का पार्थिव शरीर लंका के प्रवेश द्वार तक पहुँचाते हैं और राम का सन्देश देते हैं कि उसका अन्तिम संस्कार होने तक वे युद्ध विराम रखेंगे। रावण को शरणागत होने का भी अन्तिम अवसर दिया जाता है। लंकावासियों में अपने राजा की हठधर्मिता लेकर बहस छिड़ती है। मेघनाद के शव को देखकर भी रावण को बुद्धि जागृत नहीं होती। वह प्रतिशोध की भाषा बोलता है। रावण कहता है कि उसके विनाश की जड़ सीता है और आज वह इस जड़ को ही उखाड़ देगा। रावण सीता का अन्त करने के लिये अपनी चन्द्रहास तलवार उठाता है। रावण का ससुर मय दानव उसे रोकता है और कहता है कि एक असहाय स्त्री का वध करके वह शिव की दी चन्द्रहास खड्ग को लज्जित न करे। मय दानव यह भी कहता है कि एक राजा का उत्तरदायित्व है कि वह प्रजा को संहार से बचाने के लिये शत्रु से संधि कर ले। किन्तु रावण स्वयं अकेले युद्धभूमि में जाने की घोषणा करता है। उधर महर्षि अगस्त्य समुद्र तट पर राम के पास पहुँचते हैं। महर्षि कहते हैं कि अब महासंग्राम आरम्भ होने वाला है। रावण युद्ध से पहले तान्त्रिक यज्ञ द्वारा अपनी समस्त शक्तियों का आवाहन करने वाला है इसलिये दैवीय प्रेरणा से वे राम को आदित्य हृदयम् मंत्र के रहस्य बताने आये हैं। महर्षि अगस्त्य राम को आदित्य हृदयम् स्त्रोत आत्मसात कराते हैं। रावण भी अपने अराध्य भगवान को प्रसन्न करने के लिये शिव स्त्रोत का पाठ करता है। वह ब्रह्मा से वरदान में प्राप्त अभेद्य कवच धारण करता है। मन्दोदरी कहती है कि सती स्त्री के श्राप किसी भी दैवीय कवच को भेद सकते हैं और सीता एक महासती स्त्री हैं। वह सीता के श्राप से डरते हुए उसे राम को सादर लौटा दे। रावण इसे मन्दोदरी का सौतिया डाह कहता है। रावण कहता है कि अगर राम मानव है तो आज वह उसके हाथों मारा जायेगा और यदि राम भगवान है तो रावण का वध करने में उसकी जितनी ख्याति होगी, उतनी ही ख्याति युग युगान्तर तक रावण की भी होगी। तीनों लोक और तीनों कालों में राम रावण का नाम एक साथ लिया जायेगा। रावण मन्दोदरी से कहता है कि उसकी मौत पर नश्वर शरीर के लिये शोक न किया जाये। मरता वही है जिसकी कीर्ति मर जाती है। रावण की कीर्ति दिग दिगान्तर में अमर रहेगी, रावण अमर रहेगा। रावण रथ पर आरूढ़ होकर अपनी सेना को जोश भरा सम्बोधन देता है और कहता है कि आज राक्षस जाति के सामने अपना गौरवशाली इतिहास लिखने का समय आ गया है। जो उत्सर्ग के लिये तैयार हों, वे वीर सैनिक उसके साथ आये। सैनिक रावण की जयनाद करते हैं। राम भी अपनी वानर सेना में जोश भरने के लिये सम्बोधन देते हैं और ऐलान करते हैं कि आज उनका पराक्रम तीनों लोक देखेंगे। रणभूमि में रावण अपने धनुष की टंकार से राम को चुनौती भेजता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Maricha - मारीच

मारीच रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र है जो रावण के मामा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। मारीच देवताओं के वंशज और वानर जाति के एक प्रमुख सदस्य हैं। वह विद्या, शक्ति और योग्यता में प्रवीण हैं, जिसके कारण उन्हें रावण का समर्थन करने का अवसर मिला। मारीच के चरित्र में रामायण के कई पहलुओं को प्रकट किया गया है, जैसे कि उनकी शांतिपूर्ण प्रकृति, अच्छे संगीत और उनका नीतिनिष्ठा।

मारीच को एक प्राणी के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जिसे रावण ने अपने विचारशक्ति के आधार पर प्राणी में परिवर्तित किया। इस प्राणी के रूप में, मारीच ने रावण को अपने विज्ञान और ज्ञान के माध्यम से नये विचारों का अनुभव कराया। वे रावण के उत्कृष्ट मनोबल का प्रतीक बन गए और उन्होंने रावण को अपनी मायावी शक्तियों का परिचय दिया। मारीच ने रावण के दुर्योधन के रूप में भूमिका निभाई, जो उनके प्रतापी और विनीत चरित्र का एक प्रतिष्ठित उदाहरण है।

मारीच की रामायण में प्रमुख भूमिका उनके परिवर्तनशील स्वभाव की बजाय उनकी शांतिपूर्ण प्रकृति को दर्शाने में है। उनकी विचारधारा धर्म और न्याय के पक्षपाती दरबार के विरोध में है, जिसे वे रावण को समझाते हैं। मारीच को रामायण में ध्यान और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में भी दिखाया गया है, जब उन्होंने रावण को राम की सत्य और धर्म को मान्य करने की सलाह दी। यह दर्शाता है कि मारीच को धर्म और सत्य के महत्व का अच्छा ज्ञान था।

मारीच को सुंदरकांड में एक महत्वपूर्ण घटना में प्रस्तुत किया गया है, जब उन्होंने भगवान राम के द्वारा किए गए वानरों के प्रत्येक घोर आक्रमण का वर्णन किया। मारीच ने रावण को सावधान करने की सलाह दी और उन्हें बताया कि राम एक महान योद्धा है और उनकी अपार शक्ति का अनुभव करने की योग्यता रखता है। उन्होंने रावण को चेतावनी दी कि वे राम से मतभेद में न पड़ें और उनके प्रति सम्मान का भाव रखें। मारीच की यह सलाह रावण की विजय के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुई, जो राम के द्वारा हत्या किए जाने की घटना के बाद हुई।

मारीच का चरित्र रामायण में महत्वपूर्ण है और वह रावण के मामा के रूप में एक गहरी राष्ट्रीयता, नीतिशास्त्र, और धर्म की प्रतिष्ठा का प्रतीक है। उनकी प्रशंसा उनकी योग्यताओं, विचारधारा और सच्चे मन की प्रशंसा है। यह चरित्र मारीच को रामायण का महत्वपूर्ण और आदर्श व्यक्ति बनाता है, जो धर्म, न्याय और सत्य के मानकों का पालन करता है।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.