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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : युद्ध के लिए प्रस्थान । महर्षि अगस्त्य ने श्री राम को आदित्य हृदयम् मंत्र दिया।

रामायण : Episode 72

युद्ध के लिए प्रस्थान । महर्षि अगस्त्य ने श्री राम को आदित्य हृदयम् मंत्र दिया।

हनुमान मेघनाद का पार्थिव शरीर लंका के प्रवेश द्वार तक पहुँचाते हैं और राम का सन्देश देते हैं कि उसका अन्तिम संस्कार होने तक वे युद्ध विराम रखेंगे। रावण को शरणागत होने का भी अन्तिम अवसर दिया जाता है। लंकावासियों में अपने राजा की हठधर्मिता लेकर बहस छिड़ती है। मेघनाद के शव को देखकर भी रावण को बुद्धि जागृत नहीं होती। वह प्रतिशोध की भाषा बोलता है। रावण कहता है कि उसके विनाश की जड़ सीता है और आज वह इस जड़ को ही उखाड़ देगा। रावण सीता का अन्त करने के लिये अपनी चन्द्रहास तलवार उठाता है। रावण का ससुर मय दानव उसे रोकता है और कहता है कि एक असहाय स्त्री का वध करके वह शिव की दी चन्द्रहास खड्ग को लज्जित न करे। मय दानव यह भी कहता है कि एक राजा का उत्तरदायित्व है कि वह प्रजा को संहार से बचाने के लिये शत्रु से संधि कर ले। किन्तु रावण स्वयं अकेले युद्धभूमि में जाने की घोषणा करता है। उधर महर्षि अगस्त्य समुद्र तट पर राम के पास पहुँचते हैं। महर्षि कहते हैं कि अब महासंग्राम आरम्भ होने वाला है। रावण युद्ध से पहले तान्त्रिक यज्ञ द्वारा अपनी समस्त शक्तियों का आवाहन करने वाला है इसलिये दैवीय प्रेरणा से वे राम को आदित्य हृदयम् मंत्र के रहस्य बताने आये हैं। महर्षि अगस्त्य राम को आदित्य हृदयम् स्त्रोत आत्मसात कराते हैं। रावण भी अपने अराध्य भगवान को प्रसन्न करने के लिये शिव स्त्रोत का पाठ करता है। वह ब्रह्मा से वरदान में प्राप्त अभेद्य कवच धारण करता है। मन्दोदरी कहती है कि सती स्त्री के श्राप किसी भी दैवीय कवच को भेद सकते हैं और सीता एक महासती स्त्री हैं। वह सीता के श्राप से डरते हुए उसे राम को सादर लौटा दे। रावण इसे मन्दोदरी का सौतिया डाह कहता है। रावण कहता है कि अगर राम मानव है तो आज वह उसके हाथों मारा जायेगा और यदि राम भगवान है तो रावण का वध करने में उसकी जितनी ख्याति होगी, उतनी ही ख्याति युग युगान्तर तक रावण की भी होगी। तीनों लोक और तीनों कालों में राम रावण का नाम एक साथ लिया जायेगा। रावण मन्दोदरी से कहता है कि उसकी मौत पर नश्वर शरीर के लिये शोक न किया जाये। मरता वही है जिसकी कीर्ति मर जाती है। रावण की कीर्ति दिग दिगान्तर में अमर रहेगी, रावण अमर रहेगा। रावण रथ पर आरूढ़ होकर अपनी सेना को जोश भरा सम्बोधन देता है और कहता है कि आज राक्षस जाति के सामने अपना गौरवशाली इतिहास लिखने का समय आ गया है। जो उत्सर्ग के लिये तैयार हों, वे वीर सैनिक उसके साथ आये। सैनिक रावण की जयनाद करते हैं। राम भी अपनी वानर सेना में जोश भरने के लिये सम्बोधन देते हैं और ऐलान करते हैं कि आज उनका पराक्रम तीनों लोक देखेंगे। रणभूमि में रावण अपने धनुष की टंकार से राम को चुनौती भेजता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Kaikeyi - कैकेयी

कैकेयी एक प्रमुख चरित्र है जो प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण में दिखाई देती है। वह माता कैकेयी थीं, और उन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ की रानी के रूप में भी जानी जाती है। कैकेयी का चरित्र व्यापक रूप से विवरणशील रूप से विकसित किया गया है और उनके भूमिका ने कहानी को महत्वपूर्ण धाराओं पर प्रभाव डाला है। कैकेयी के जीवन की घटनाओं ने रामायण के प्लॉट को प्रभावित किया है, खासकर उनके पति दशरथ और पुत्र राम की जीवन पर।

कैकेयी को परंपरागत रूप से सुंदरी, शक्तिशाली, और साहसिक राजमाता के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। उन्हें समाज की महत्त्वाकांक्षी और आदर्श नारी के रूप में दिखाया जाता है, जो अपनी परिवारिक महत्त्वाकांक्षाओं के लिए अत्यंत साहसिक और कट्टरता के साथ काम करती है। वे राजमहल के बाहर स्वतंत्र रूप से राजनीतिक कार्यों में हिस्सा लेती हैं और अपनी आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करती हैं। कैकेयी एक महत्त्वाकांक्षी रानी की भूमिका में पूर्णता के साथ उभरती हैं और राजनीतिक निर्णयों के लिए उदार और प्रगट होती हैं।

कैकेयी के कई गुणों ने उन्हें एक विवादास्पद पात्री बनाया है। उनकी सबसे महत्वपूर्ण गुणधर्म उनकी नीति और बुद्धिमत्ता हैं, जो उन्हें अपने परिवार की रक्षा करने के लिए उच्चतम समाजिक और नैतिक मानकों का पालन करने पर मजबूर करती हैं। हालांकि, इसके बावजूद, उनके कदमों ने रामायण की कथा में घमंड और नीतिबद्धता की उच्चता को भी दर्शाया है। उन्होंने राजा दशरथ को दशरथ नहीं होने के लिए दोषी ठहराया जब उन्होंने राम को अयोध्या के राजा के रूप में चुनने की मांग की। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने राम को वनवास भेजने का निर्णय लिया, जो राम के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया।

कैकेयी का चरित्र द्वितीयकांड के दौरान विस्तारपूर्वक विकसित किया गया है। उनके चरित्र में बदलाव देखने के लिए कई पात्रों के साथ उनके संवाद और प्रतिक्रियाएँ दिखाई गई हैं। उनका मूख्य उद्देश्य अपने पुत्र भरत को राजमहल के राजा के रूप में चुनने की होती है, और उन्होंने इसके लिए उनके पति दशरथ को मनाने के लिए विभिन्न रचनात्मक उपाय अपनाए। उनके चरित्र का यह पहलु दिखाता है कि वे मातृभाव की महत्त्वाकांक्षाओं के लिए उत्साहवान हैं और उन्हें अपने परिवार के लिए उच्चतम भूमिका में देखना चाहती हैं।

कैकेयी का चरित्र भारतीय साहित्य में अपनी विवादास्पद प्रकृति के लिए प्रसिद्ध है। उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का शिकार किया गया है। कुछ लोग कैकेयी को अनुशासनशील, साहसिक, और स्वाभिमानी महिला के रूप में मानते हैं, जो अपने परिवार की सुरक्षा के लिए लड़ती हैं। वे उनकी नीतिबद्धता की प्रशंसा करते हैं और उन्हें अपनी प्रबल व्यक्तित्व के कारण समर्थन देते हैं। हालांकि, दूसरी ओर, कुछ लोग कैकेयी को भ्रष्ट, आदर्शों से विचलित, और अहंकारी महिला के रूप में देखते हैं, जो अपनी नीतिबद्धता के लिए अपराधी मानी जाती है। उन्हें उनके कदमों के कारण घमंड और स्वार्थपरता का दोषी ठहराया जाता है।

समग्र रूप से कहें तो, कैकेयी एक महिला है जिसे उसकी परिवारिक और सामाजिक महत्त्वाकांक्षाएं निरंतर मुड़ाती रहती हैं। उनका चरित्र व्यापकता से विकसित है, जो उन्हें साहसिकता, नीतिबद्धता, और स्वतंत्रता के साथ दिखाता है। वे परिवार के लिए उच्चतम भूमिका का ख्याल रखती हैं, जिसके लिए वे नकारात्मक परिणामों को भी सहन करने को तैयार हैं। कैकेयी का चरित्र एक द्वंद्वात्मक पात्री की उदाहरण है, जिसने विवादास्पद परिणाम लाए हैं और जिसके कारण उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का हिस्सा बना दिया है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.