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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सीता स्वयंवर। राजाओं से धनुष न उठना। जनक की निराशाजनक वाणी

रामायण : Episode 7

सीता स्वयंवर। राजाओं से धनुष न उठना। जनक की निराशाजनक वाणी

आज सीता स्वयंवर का दिन है। जनकपुरी में चारों ओर उमंग का वातावरण है। राम लक्ष्मण स्वयंवर में जाने की तैयारी करते हैं। लक्ष्मण बड़े भाई राम को विश्वास दिलाते हैं कि स्वयंवर में वे ही विजयी होंगे। शहनाई, तुरही और शंख ध्वनि के साथ स्वयंवर प्रारम्भ होता है। कई राज्यों के राजा इस स्वयंवर में भाग लेने आये हैं। उनकी दम्भपूर्ण और ललकार भरी बातों से जनक कुछ परेशान से होते हैं। तभी विश्वामित्र राम व लक्ष्मण के साथ सभा में प्रवेश करते हैं। जनक का चेहरा खिल उठता है। वे आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हैं। राजाओं के बीच कौतूहल उपजता है लेकिन वे आश्वस्त हैं कि सुकोमल दिखने वाले राम लक्ष्मण शिव धनुष को हिला भी न पायेंगे। सीता को स्वयंवर स्थल पर लाया जाता है। चारण और भाटों की एक टोली राजा जनक की प्रशंसा में एक गीत गाती है। एक चारण अपने गीत में वहाँ रखे शिव धनुष को इंगित कर राजा जनक का प्रण बताता है कि इस पर प्रत्यंचा चढ़ाने वाले पराक्रमी के साथ सीता का विवाह होगा। वहाँ उपस्थित राजा और क्षत्रिय अपना बल और पराक्रम दिखाने बारी-बारी से आते हैं लेकिन शिव धनुष को अपने स्थान से हिला तक नहीं पाते। राम और लक्ष्मण शान्त रहते हैं। लेकिन ये दृश्य देखकर सीता की माँ सुनयना चिन्तित हो जाती है। कई राजा एक साथ मिलकर धनुष उठाने को आगे आते हैं लेकिन जनक इसे अपमानपूर्ण मानकर रोक देते हैं। राजा जनक सभा को निराशाजनक स्वर में सम्बोधित करते हुए पछतावा करते हैं कि उन्होंने इस प्रण को ठानकर अपनी पुत्री के विवाह को कठिन बना दिया है। वे सवाल उठाते हैं कि क्या पृथ्वी वीरों से खाली हो चुकी है। जनक के यह वचन लक्ष्मण को तीर की तरह चुभते हैं। वे उठकर जनक को टोकते हुए कहते हैं कि उन्हें याद रखना चाहिये कि इस सभा में सूर्यवंशी रघुकुल के युवराज श्रीराम उपस्थित हैं। भगवान शेषनाग के अवतार लक्ष्मण चुनौती देते हैं कि यदि उन्हें अपने गुरु की आज्ञा मिल जाये तो वे पूरे ब्रह्माण्ड को गेंद की भाँति उछाल कर अपना पराक्रम दिखा सकते हैं। लेकिन विश्वामित्र लक्ष्मण को आसन पर वापस आने के लिये कहते हैं। विश्वामित्र सभा के मनोभाव को पढ़ते हैं और राम को राजा जनक की परेशानी दूर करने की आज्ञा देते हैं। गुरु की आज्ञा पर राम सहज भाव से शिव धनुष के पास जाते हैं। अन्य राजा उनका उपहास उड़़ाते हैं। तमाम शंकाओं से ग्रसित महारानी सुनयना भी राम के किशोरवय को देखकर परेशान हैं। उनका मन इस स्वयंवर को स्थगित करने का है किन्तु उनकी देवरानी आशान्वित दिखती हैं और वह स्वयंवर जारी रखने का परामर्श देती हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Angada - अंगद

अंगद एक प्रमुख चरित्र हैं, जो भगवान राम के आनुयाई, सुग्रीव के बेटे, और हनुमान जी के परम मित्र हैं। वह वानर समुदाय के एक प्रतिष्ठित सदस्य हैं और उनकी शक्तियों, साहस और निष्ठा के कारण मशहूर हैं। अंगद ने अपनी पूर्वजों के तरह अपनी मातृभूमि की सेवा करने का संकल्प लिया हैं और उन्होंने अपनी महानता और समर्पण के कारण रामायण काव्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।

अंगद का वर्णन करते समय, उनका आकार मध्यम है और वह बहुत ही सुंदर और प्रभावशाली दिखते हैं। उनके शरीर का रंग भूरा होता हैं, जिसे सुनहरे रंग के बालों से ढंका हुआ होता हैं। उनके प्रत्येक अंग से प्रकट होने वाली तेज़ और ऊर्जा उनकी शक्तियों का प्रतीक हैं। वे मानसिक तथा शारीरिक रूप से बहुत ही आक्रामक, वीरतापूर्ण और निर्भय होते हैं। उनकी नेत्रों में न्याय और सत्य की ज्योति दिखती हैं, और वे सभी को उनकी भक्ति और सेवा में अपना मार्ग प्रदर्शित करने के लिए प्रेरित करते हैं।

अंगद बहुत ही विनीत और समझदार होते हैं, और वे अपने पिता सुग्रीव की उपासना और सेवा करते हैं। उनकी आदर्शवादी और धर्मप्रिय प्रवृत्ति उन्हें एक नेतृत्वी व्यक्ति बनाती हैं। वे भगवान राम के विश्वासपूर्ण साथी हैं और उनके द्वारा विचार और विदेशी विवेक के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं। उनके आक्रामक और युद्ध नीति ज्ञान ने उन्हें महारथी के रूप में अविश्वसनीय बना दिया हैं।

अंगद ने राम के द्वारा वानर समुदाय के साथ जुड़ने के उपाय को खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। उन्होंने भीमसेन, जम्बवान और नल-नील के साथ मिलकर रामायण के प्रमुख युद्धों में भाग लिया हैं। उनकी उम्दा योग्यता, साहस और उद्यमशीलता ने उन्हें राम के लिए अनमोल योगदान दिया हैं।

अंगद की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक उनकी पिता की मुक्ति की कथा हैं। जब राम और लक्ष्मण सुग्रीव के पास आए तो अंगद ने अपने पिता की रक्षा के लिए उत्साहित होकर सबसे पहले आगे बढ़ाई थी। वे हनुमान के साथ मिलकर सिंहासन पर चढ़े और लंका के राजा रावण के सामरिक दरबार में पहुंचे। अंगद ने राम के संदेश को देकर अपनी महानता का परिचय दिया और उनके साथीदारों के लिए सुग्रीव की मुक्ति की मांग की। उनकी प्रतापशाली और प्रभावशाली भाषण ने रावण को चुनौती दी और सुग्रीव को छूट मिली।

अंगद धर्मप्रियता, साहस, वीरता और अनुशासन में प्रमुख हैं। वे अपनी दृढ़ता और स्वाभिमान के लिए प्रसिद्ध हैं और अपने परिवार, समुदाय और धर्म के प्रति वचनबद्ध हैं। अंगद का चरित्र रामायण के अन्य महान कार्यकर्ताओं की तुलना में अद्वितीय हैं, और उनके महान योगदान ने उन्हें एक योग्य और श्रेष्ठ चरित्र के रूप में प्रतिष्ठित किया हैं।

अंगद वानर समुदाय के एक प्रमुख नेता के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुके हैं। उनकी अनोखी गुणवत्ता, बुद्धिमता और धैर्य की वजह से वे सभी के द्वारा सम्मानित हैं। अंगद के चरित्र ने हमें सामरिक योद्धा, उत्कृष्ट नेता और धार्मिक व्यक्ति के मानवीय गुणों का आदर्श प्रदान किया हैं। उनकी भक्ति और सेवा ने उन्हें भगवान राम की अत्युत्कृष्ट सेवा करने का अद्वितीय अवसर प्रदान किया हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.