×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सीता स्वयंवर। राजाओं से धनुष न उठना। जनक की निराशाजनक वाणी

रामायण : Episode 7

सीता स्वयंवर। राजाओं से धनुष न उठना। जनक की निराशाजनक वाणी

आज सीता स्वयंवर का दिन है। जनकपुरी में चारों ओर उमंग का वातावरण है। राम लक्ष्मण स्वयंवर में जाने की तैयारी करते हैं। लक्ष्मण बड़े भाई राम को विश्वास दिलाते हैं कि स्वयंवर में वे ही विजयी होंगे। शहनाई, तुरही और शंख ध्वनि के साथ स्वयंवर प्रारम्भ होता है। कई राज्यों के राजा इस स्वयंवर में भाग लेने आये हैं। उनकी दम्भपूर्ण और ललकार भरी बातों से जनक कुछ परेशान से होते हैं। तभी विश्वामित्र राम व लक्ष्मण के साथ सभा में प्रवेश करते हैं। जनक का चेहरा खिल उठता है। वे आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हैं। राजाओं के बीच कौतूहल उपजता है लेकिन वे आश्वस्त हैं कि सुकोमल दिखने वाले राम लक्ष्मण शिव धनुष को हिला भी न पायेंगे। सीता को स्वयंवर स्थल पर लाया जाता है। चारण और भाटों की एक टोली राजा जनक की प्रशंसा में एक गीत गाती है। एक चारण अपने गीत में वहाँ रखे शिव धनुष को इंगित कर राजा जनक का प्रण बताता है कि इस पर प्रत्यंचा चढ़ाने वाले पराक्रमी के साथ सीता का विवाह होगा। वहाँ उपस्थित राजा और क्षत्रिय अपना बल और पराक्रम दिखाने बारी-बारी से आते हैं लेकिन शिव धनुष को अपने स्थान से हिला तक नहीं पाते। राम और लक्ष्मण शान्त रहते हैं। लेकिन ये दृश्य देखकर सीता की माँ सुनयना चिन्तित हो जाती है। कई राजा एक साथ मिलकर धनुष उठाने को आगे आते हैं लेकिन जनक इसे अपमानपूर्ण मानकर रोक देते हैं। राजा जनक सभा को निराशाजनक स्वर में सम्बोधित करते हुए पछतावा करते हैं कि उन्होंने इस प्रण को ठानकर अपनी पुत्री के विवाह को कठिन बना दिया है। वे सवाल उठाते हैं कि क्या पृथ्वी वीरों से खाली हो चुकी है। जनक के यह वचन लक्ष्मण को तीर की तरह चुभते हैं। वे उठकर जनक को टोकते हुए कहते हैं कि उन्हें याद रखना चाहिये कि इस सभा में सूर्यवंशी रघुकुल के युवराज श्रीराम उपस्थित हैं। भगवान शेषनाग के अवतार लक्ष्मण चुनौती देते हैं कि यदि उन्हें अपने गुरु की आज्ञा मिल जाये तो वे पूरे ब्रह्माण्ड को गेंद की भाँति उछाल कर अपना पराक्रम दिखा सकते हैं। लेकिन विश्वामित्र लक्ष्मण को आसन पर वापस आने के लिये कहते हैं। विश्वामित्र सभा के मनोभाव को पढ़ते हैं और राम को राजा जनक की परेशानी दूर करने की आज्ञा देते हैं। गुरु की आज्ञा पर राम सहज भाव से शिव धनुष के पास जाते हैं। अन्य राजा उनका उपहास उड़़ाते हैं। तमाम शंकाओं से ग्रसित महारानी सुनयना भी राम के किशोरवय को देखकर परेशान हैं। उनका मन इस स्वयंवर को स्थगित करने का है किन्तु उनकी देवरानी आशान्वित दिखती हैं और वह स्वयंवर जारी रखने का परामर्श देती हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sage Agastya - मुनि अगस्त्य

मुनि अगस्त्य रामायण में एक महत्वपूर्ण और प्रमुख चरित्र हैं। वे एक महर्षि हैं जिन्होंने अपने तपस्या और विद्या के माध्यम से महान शक्तियों को प्राप्त किया था। अगस्त्य मुनि का जन्म महर्षि उर्वशी और राजा नहुष के पुत्र के रूप में हुआ था। वे एक आदर्श पति, पिता और गुरु थे। अगस्त्य का नाम संस्कृत शब्द 'अगस्ति' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है 'अद्भुत' या 'अत्यंत ध्यानयोग्य'।

अगस्त्य मुनि धर्म और तपस्या के पक्षपाती थे। उन्होंने अपना जीवन इंद्रिय वश में नहीं रखा और अपने मन, शरीर और आत्मा को एकीकृत किया। वे देवताओं और ऋषियों के बीच बड़ी मान्यता रखते थे और सदैव धर्म और न्याय के मार्ग पर चलते थे। अगस्त्य मुनि की अत्यंत बुद्धिमता, ज्ञानवान होने के साथ-साथ वे एक शान्त, संतुलित और स्वयंनियंत्रित व्यक्तित्व रखते थे। उन्होंने संसार में न्याय, धर्म और अहिंसा की शिक्षा प्रदान की और अपने ज्ञान का उपयोग लोगों की सहायता करने के लिए किया।

मुनि अगस्त्य का दिखावटी रूप बड़ा ही प्रभावशाली और आकर्षक होता था। वे मानवीय रूप में ही नहीं, बल्कि वनदेवता के रूप में भी प्रकट हो सकते थे। उनके मस्तिष्क में बहुत सारी शक्तियाँ होती थीं और उन्हें अन्य देवताओं के साथ मिलकर आपात समय में राज्य की सुरक्षा करने का आदेश देते थे। अगस्त्य मुनि के आदेश को मान्यता देना धर्मपरायण राजाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।

अगस्त्य मुनि का एक महत्वपूर्ण कार्य रामायण में भी दिखाया गया है। जब भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण राज्य वन में वनवास जीवन बिता रहे थे, तब दण्डक वन में विविध राक्षसों ने अपराधियों के रूप में उनकी परेशानी की थी। उन्हें राक्षसी तड़ना से बचने के लिए अगस्त्य मुनि की सहायता चाहिए थी।

अगस्त्य मुनि ने राम को अपने विशेष शस्त्रों की सौगंध दी जिनका उपयोग वे राक्षसों के विरुद्ध कर सकते थे। वे एक अद्भुत धनुष भी दिए जिसका नाम ब्रह्मास्त्र था, जिसे राम ने बाद में रावण के खिलाफ उपयोग किया। अगस्त्य मुनि ने राम को अन्य रहस्यमय शस्त्र और मंत्रों की शिक्षा भी दी, जिनका उपयोग वे अपनी रक्षा में कर सकते थे। इस प्रकार, अगस्त्य मुनि ने राम को उनके वनवास के दौरान सकुशल रखने में मदद की और उनकी रक्षा की।

मुनि अगस्त्य रामायण के महान चरित्रों में से एक हैं, जो तपस्या, ज्ञान और धर्म के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। उनके महत्वपूर्ण योगदान से राम ने राक्षसों के साथ संग्राम करने में सफलता प्राप्त की और अपनी पत्नी सीता की रक्षा की। अगस्त्य मुनि के उदाहरण ने मनुष्यों को आदर्श जीवन का पाठ पढ़ाया है और उन्हें धार्मिक और न्यायप्रिय आचरण की महत्वपूर्णता सिखाई है।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.