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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : रावण का कुम्भकरण को जगाना । कुम्भकरण का रावण को उपदेश।

रामायण : Episode 61

रावण का कुम्भकरण को जगाना । कुम्भकरण का रावण को उपदेश।

राम के हाथों पहली पराजय का सामना करने के उपरान्त रावण अपने घोर निद्रारत भ्राता कुम्भकरण को जगाने और उसे युद्ध में भेजने का निर्णय लेता है। कान के पास बड़े बड़े वाद्ययन्त्र बजाने, धारदार हथियारों को चुभोने, ठण्डे पानी की बरसात और हाथियों की चिंघाड़ से भी कुम्भकरण की निद्रा नहीं टूटती है तब सेनानायक को एक तरकीब सूझती है। वह तमाम तरह के सुगंधित व्यंजन और अन्य भोज्य पदार्थ बनवाकर कुम्भकरण के बिस्तर के समीप रखवा देता है। भोजन की सुगंध नथुनों में पड़ते ही कुम्भकरण की नींद टूट जाती है। सेनापति विरूपाक्ष द्वारा कुम्भकरण को रावण का सन्देश दिया जाता है। विलास भवन की छत से रावण और कुम्भकरण के बीच वार्ता होती है। रावण राम के हाथों अपनी पराजय और अपमान की बातें बताकर कुम्भकरण को युद्ध में जाने का आदेश देता है। कुम्भकरण रावण पर हँसता है कि इतनी बड़ी पराजय के बावजूद वह क्यों नहीं पहचान पा रहा है कि श्रीराम साक्षात नारायण और सीता लक्ष्मी का अवतार हैं। कुम्भकरण रावण को कुछ अन्य बातें भी याद दिलाता है। जैसे इक्ष्वाकु कुल के कई पीढ़ी पूर्व राजा ने रावण को श्राप दिया था कि जब उनके कुल में भगवान विष्णु नर रूप में अवतार लेंगे तब वे उसका विनाश करेंगे। इसके अतिरिक्त नारद मुनि भी बता चुके थे कि विष्णु ने राक्षसों का अन्त करने के लिये राम के रूप में अवतार लिया है। कुम्भकरण रावण के इस तर्क को भी स्वीकार नहीं करता कि उसने अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिये सीता का हरण किया था। कुम्भकरण रावण से कहता है कि वह शूर्पणखा के प्रतिशोध की आड़ में अपनी काम वासना पूर्ति के लिये यह सब कर रहा है। रावण दम्भपूर्वक यह मानता है कि उससे गलती हुई है लेकिन कहता है कि अब इतिहास को पीछे नहीं मोड़ा जा सकता है इसलिये संकट के समय भाई को भाई का साथ देना चाहिये, यही शास्त्रसम्मत भी है। इस पर कुम्भकरण कहता है कि वह अभी तक सच्चे हितैषी के रूप बड़े भाई को परामर्श दे रहा था किन्तु उसे अपना यह कर्तव्य भी याद है कि छोटे भाई के रहते बड़े भाई पर कोई संकट नहीं आना चाहिये। कुम्भकरण संध्याकाल तक राम और लक्ष्मण के सिर काट कर लाने का भरोसा रावण को देता है लेकिन फिर अपना सिर झुका कर धीमे स्वर में यह भी कहता है कि यदि राम ही नारायण हैं तो आज युद्धभूमि में उसका अपना मरना तय है। कुम्भकरण युद्धभूमि में बिना सेना साथ लिये, अकेले जाने की घोषणा करता है किन्तु जाने से पूर्व रावण से यह प्रार्थना भी करता है कि यदि वह रणभूमि में मारा जाय तो रावण समझ जाये कि श्रीराम को कोई जीत नहीं सकता है। ऐसे में रावण श्रीराम की शरण में चला जाय ताकि राक्षसकुल का अन्त होने से बच सके और रावण लंका पर निष्कंटक राज कर सके। यहाँ पहली बार रावण नीतिगत बात बोलते हुए कहता है कि यदि इस युद्ध में वह अपने सभी कुटुम्बजनों को खो देता है तो यह साम्राज्य और ऐश्वर्य भोग उसके किस काम का रह जायेगा। रावण छोटे भाई कुम्भकरण को पूरे विश्वास के साथ लड़ने के लिये कहता है और उसके माथे विजय तिलक लगाकर युद्धभूमि में भेजता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Ahilya - अहिल्या

अहिल्या रामायण में एक प्रमुख पात्र है जिसकी विदाई कहानी अत्यंत रोमांचक है। वह एक राजमहिला थी जो अपनी शानदार सुंदरता के लिए मशहूर थी। अहिल्या को भगवान गौतम ऋषि की पत्नी के रूप में जाना जाता है। वह एकमात्र राजमहिला थी जिसने अपने आप को विधवा का दर्जा दिया था जब उनके पति की मृत्यु हो गई।

अहिल्या ने राजमहल की दीर्घ विरासत को सुरक्षित रखा था और उनके राजसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह धर्म, संस्कृति और कला के दृष्टिकोण से महान थीं और उनके राज्य के लोग उन्हें प्रेम और सम्मान से देखते थे। उनका व्यक्तित्व गर्व, सहानुभूति और सद्भावना से भरा हुआ था। उन्होंने जीवन के धन्य और निर्मल उदाहरण स्थापित किए थे और अपनी अद्भुत साहसिक कथाएं सुनाई थीं। वे अपने दरबार में न्याय के प्रतीक थे और लोगों के आदर्श हीरो थे।

हालांकि, अहिल्या की खूबसूरती और प्रभावशाली व्यक्तित्व के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा था। वह एक दिन गौतम ऋषि के आश्रम में जाने का निर्णय लिया, जहां उन्हें अपनी मातृभाषा, तत्त्वज्ञान और ध्यान की ज्ञान प्राप्त होती है। यह आश्रम एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान था जहां ऋषियों और तपस्वियों का आवास था।

अहिल्या ऋषि गौतम के पास पहुंची और उन्हें धर्माचार्य के रूप में पूजा करने की निवेदन की। ऋषि गौतम, अहिल्या के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, ध्यान के माध्यम से उनके मन में निर्मलता के लिए प्रकाश डालने की विधि सिखाते हैं।

एक दिन, अहिल्या भगवान गौतम की कड़ी तपस्या को बहुत ही अभिभूत होकर, उन्हें मोहित करने का प्रयास करती हैं। ध्यान के माध्यम से, ऋषि गौतम सभी आंतरिक बाधाओं को पहचानते हैं और जानते हैं कि अहिल्या की मनमानी और आत्मविश्वास का कारण उसकी शानदार सुंदरता है।

गौतम ऋषि की प्रतिक्रिया में, वे अहिल्या को शाप देते हैं कि वह पत्नी रूप से असह्य दोषों में रहेगी और केवल भगवान राम के संदेश से ही मुक्ति पा सकेगी। वे भगवान राम से विनती करते हैं कि वह अहिल्या को शाप से मुक्त करें।

अहिल्या का जीवन एक समय से बदल जाता है। वह तपस्विनी बनती है, जो अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगती है और नई आदर्शों की प्राप्ति के लिए प्रयास करती है। भगवान राम उनके सामर्थ्य, साहस और परिश्रम को देखकर विश्वास रखते हैं और अहिल्या को शाप से मुक्त करते हैं।

अहिल्या अपने नये जीवन को ग्रहण करती हैं और वह भगवान राम के साथ जुड़कर मानवता के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण बनती हैं। उनकी कथा एक प्रेरणादायक संदेश देती है कि चाहे हम जैसे भी हों, हमें हमारे अवगुणों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा सत्य, धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए।

अहिल्या रामायण का एक महत्वपूर्ण और आदर्श पात्र है जो भगवान राम के जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रकट होती है। उनकी कहानी हमें उत्कृष्टता, ध्यान, और साहस की महत्ता को समझाती है और हमें सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, हम अपने अवगुणों को सच्चाई, प्रेम और परम धर्म के साथ समाप्त कर सकते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.