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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : मन्दोदरी का रावण को समझाना। राम अंगद संवाद। युद्ध आरम्भ।

रामायण : Episode 58

मन्दोदरी का रावण को समझाना। राम अंगद संवाद। युद्ध आरम्भ।

युद्ध आरम्भ होने की पूर्व रात्रि पर पटरानी मन्दोदरी रावण को समझाने का प्रयास करती है। मन्दोदरी रावण से कहती है कि वह अपने भुजबल से देवताओं को भी जीत सकता है लेकिन किसी सती सतवन्ती नारी के हृदय को नहीं जीत सकता। वह रावण को याद दिलाती है कि उसे अपने बल पर दम्भ है लेकिन यह भी सत्य है कि वह लक्ष्मण द्वारा खींची गयी लकीर को पार भी नहीं सका था। रावण खिल्ली उड़ाकर कहता है कि सभी लोग वनवासी राम को विष्णु का अवतार समझने की भूल कर रहे हैं। रावण को समझाने में विफल मन्दोदरी हताश होकर धरती पर घुटनों के बल बैठ जाती हैं। युद्ध की पूर्व रात्रि राम भी अपनी छावनी में सुग्रीव, जामवन्त, अंगद और हनुमान के साथ मंत्रणा करते हैं। राम कहते हैं कि वे अन्तिम क्षणों तक रावण के साथ युद्ध टालना चाहते थे क्योंकि उन्हें ऐसा आभास होता है कि रावण पूर्व जन्म में उनका परम सेवक रहा है। वास्तव में राम सत्य कह रहे थे। भगवान विष्णु के द्वारपाल जय विजय ही ऋषियों के श्राप के कारण रावण और कुम्भकरण बनकर पैदा हुए थे। स्वर्ग में भगवान ब्रह्मा और कैलाश पर्वत पर भगवान शिव इस युद्ध के लिये उन्मुख हैं। अनेक ऋषि मुनि इस धर्मयुद्ध को अपनी आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने के लिये साधनारत होते हैं। युद्ध के पहले दिन सूर्यवंशी राम सूर्योदय के साथ भगवान भाष्कर की वन्दना करते हैं। युद्ध आरम्भ होता है। वानरों की एक टुकड़ी दुर्ग के द्वार तोड़ने में जुटती है तो दूसरी टुकड़ी विशाल पत्थर परकोटे के अन्दर फेंक कर राक्षस सेना में भगदड़ मचा देती है। रावण की सेना दुर्ग का पश्चिमी द्वार खोलकर वानर सेना पर आक्रमण करती है। दोनों तरफ से भयंकर युद्ध होता है। सुग्रीव के हाथों रावण का सेनानायक वज्रमुष्टि मारा जाता है। इस समाचार से रावण बौखलाता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sita - सीता

सीता हिन्दू धर्म की महान पुराणिक कथाओं और एपिक महाभारत और रामायण के अनुसार एक महान महिला चरित्र है। उनका वर्णन भारतीय साहित्य में सुंदरता, सामरिक योग्यता, पतिव्रता, संयम, त्याग और प्रेम के साथ जोड़ा जाता है। सीता का जन्म मिथिला राज्य के राजा जनक के घर में हुआ था। वे एक अत्यंत सुंदर, आकर्षक और सुशील महिला थीं। उनकी कामुकता और अनुशासनशीलता के कारण उन्हें जनकपुरी में 'जनकनंदिनी' के रूप में पुकारा जाता था। सीता की विवाह कथा महाराज दशरथ के पुत्र भगवान राम से जुड़ी है। वे राम की पत्नी और मान्यता हैं। सीता को अपनी पति के प्रेम का प्रतीक माना जाता है और उन्होंने अपने पति के लिए बड़ी परीक्षा का सामना किया। उन्होंने रावण के द्वारा किये गए अपहरण का सामना किया और अयोध्या वापस आने के बाद भी राम ने उन्हें अग्नि परीक्षा में भेजा। सीता ने इन परीक्षाओं का सामना किया और अपने पति की वफादारी और पतिव्रता का प्रमाण द िया। सीता का वर्णन करते समय उनकी सुंदरता को न छोड़ा जा सकता है। उनका चेहरा अत्यंत प्रकृष्ट और प्रकाशमय होता था। उनकी नेत्र अत्यंत मनोहारी थीं और उनके बाल लंबे, काले और चमकदार थे। वे हमेशा सर्वत्र प्रकृष्ट वस्त्रों में बांधी रहती थीं और उनके आभूषण भी अत्यंत सुंदर और मोहक होते थे। सीता की परीक्षाएं और वफादारी ने उन्हें भारतीय समाज में महिलाओं के लिए आदर्श बना दिया है। उन्होंने संयम और समर्पण की उच्चता का प्रतीक दिखाया। वे अपने पति की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार थीं। उन्होंने पतिव्रता की महत्ता को साबित किया और उनका प्रेम विश्वासयोग्यता और त्याग के उदाहरण के रूप में उठाया गया है। सीता ने अपनी पति और परिवार के लिए बहुत कुछ संभाला है। उन्होंने अपनी सभी परिस्थितियों में धैर्य और सहनशीलता दिखाई है। उन्होंने अपने पति राम के साथ वनवास काल में अपने पूत्र लव और क ुश की पालना की है। वे एक माता के रूप में बहुत सम्मानित हैं और उनकी मातृभूमि को महत्त्व दिया जाता है। सीता का वर्णन करते समय, उनके धर्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वे धार्मिकता, ईमानदारी, न्याय और सच्चाई के प्रतीक हैं। उन्होंने अपने पूरे जीवन को धर्म के मार्ग पर बिताया और अपनी मान्यताओं और नियमों का पालन किया। सीता का वर्णन करते समय, हमें उनके अनन्य प्रेम का भी स्मरण करना चाहिए। उन्होंने अपने पति और परिवार के प्रति अपार प्रेम और समर्पण दिखाया है। उनकी प्रेम पूर्ण और निःस्वार्थ है, जो एक पत्नी और माता के लिए आदर्श होना चाहिए। सीता हिन्दू धर्म की एक महान महिला चरित्र हैं, जिन्हें आदर्श और प्रेरणा के रूप में मान्यता दी जाती है। उनका वर्णन हमें सुंदरता, सामरिक योग्यता, पतिव्रता, संयम, त्याग और प्रेम की महत्ता समझाता है। सीता ने अपने जीवन के माध्यम से हमें नैतिकता, सामरिक योग्यता, और पतिव्रता के आदर्श का पालन करने की प्रेरणा दी है। उनकी बातों और कृतियों के माध्यम से हमें जीवन में सत्य, ईमानदारी, त्याग, सहनशीलता, और प्रेम की महत्ता को समझने का अवसर मिलता है। सीता का वर्णन हमें एक साथियक और आदर्श पत्नी की उपासना करने का उत्साह प्रदान करता है। उनके महान गुणों की सराहना करते हुए हम उन्हें एक अद्वितीय महिला चरित्र के रूप में स्वीकार कर सकते हैं और उनकी प्रेरणा से एक महिला के जीवन को उज्ज्वल और सार्थक बना सकते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.