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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : अंगद का रावण की सभा में पैर जमाना।

रामायण : Episode 57

अंगद का रावण की सभा में पैर जमाना।

राम का शान्ति प्रस्ताव लेकर अंगद रावण की राजसभा में हैं। रावण अंगद को राम की हत्या करने की उलटी पट्टी पढ़ाता है। वाद विवाद बढ़ने पर रावण अंगद को भयभीत करने का प्रयास करता है। इस पर अंगद रावण की वीरता का उपहास उड़ाते हैं कि पूर्वकाल में बच्चे भी रावण को पाताल के घुड़साल में बाँध चुके हैं, सहस्रबाहु रावण को कीड़ा समझकर पकड़ चुका है और उसके पिता बालि तो रावण को छह मास तक अपने बगल में दबाकर पूजा करते रहे थे। क्रोधित रावण अंगद का शीश धड़ से अलग करने की आज्ञा देता है। तब अंगद श्रीराम का नाम लेकर अपना पैर राजसभा में जमाते हैं और कहते हैं कि यदि रावण को अपनी शक्ति का इतना घमण्ड है तो उसका कोई योद्धा उनके पैर को धरती से उठाकर दिखाये। अंगद कहते हैं कि यदि उनका पैर तनिक भी हिल गया तो प्रभु राम अपनी सीता को हार कर लंका से लौट जायेंगे। रावण के तमाम योद्धा एक एक करके और फिर एक साथ मिलकर अंगद का पैर उठाने का प्रयास करते हैं लेकिन उसे हिला तक नहीं पाते। इन्द्र को हराने वाला रावण का पुत्र इन्द्रजीत भी अपना बल दिखाता है लेकिन वह भी अंगद का पैर धरती से नहीं उठा पाता। खिसियाए इन्द्रजीत की इच्छा म्यान से अपनी तलवार बाहर निकालने की होती है लेकिन अपमान का घूँट पीकर वह अपने आसन पर लौट आता है। तब रावण अपने सिंहासन से नीचे उतर कर स्वयं अंगद के पैर उठाने के लिये झुकता है। अंगद अपने पैर वापस खींच लेते है। झटका खाकर रावण का राजमुकुट धरती पर आ गिरता है। अंगद मुकुट उठाकर रावण से कहते हैं कि एक दूत का पैर पकड़ने की बजाय वह श्रीराम के चरण पकड़े, इसमें ही उसका कल्याण है। अंगद रावण का मुकुट बाहर की ओर उछालते हैं जो परकोटे के बाहर राम के चरणों में गिरता है। रावण अंगद को बन्दी बनाने को कहता है लेकिन अंगद उड़कर सुरक्षित बाहर निकल जाते हैं। रावण अपने महल में परेशान चहलकदमी करता है। नाना माल्यवान उसे राम का शान्ति प्रस्ताव स्वीकार करने के लिये हर प्रकार समझाते हैं किन्तु रावण उनका तिरस्कार करता है। रावण का ससुर मयदानव भी राम को विष्णु का अवतार बताता है और रावण से सीता को लौटाने की प्रार्थना करता है। रावण कहता है कि वह विष्णु के सुदर्शन चक्र के प्रहार को विफल कर चुका है। रावण माता कैकसी से भी अहंकार भरी बातें कहता है। सब रावण के कल्याण को लेकर चिन्तित होते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Kaikeyi - कैकेयी

कैकेयी एक प्रमुख चरित्र है जो प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण में दिखाई देती है। वह माता कैकेयी थीं, और उन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ की रानी के रूप में भी जानी जाती है। कैकेयी का चरित्र व्यापक रूप से विवरणशील रूप से विकसित किया गया है और उनके भूमिका ने कहानी को महत्वपूर्ण धाराओं पर प्रभाव डाला है। कैकेयी के जीवन की घटनाओं ने रामायण के प्लॉट को प्रभावित किया है, खासकर उनके पति दशरथ और पुत्र राम की जीवन पर।

कैकेयी को परंपरागत रूप से सुंदरी, शक्तिशाली, और साहसिक राजमाता के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। उन्हें समाज की महत्त्वाकांक्षी और आदर्श नारी के रूप में दिखाया जाता है, जो अपनी परिवारिक महत्त्वाकांक्षाओं के लिए अत्यंत साहसिक और कट्टरता के साथ काम करती है। वे राजमहल के बाहर स्वतंत्र रूप से राजनीतिक कार्यों में हिस्सा लेती हैं और अपनी आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करती हैं। कैकेयी एक महत्त्वाकांक्षी रानी की भूमिका में पूर्णता के साथ उभरती हैं और राजनीतिक निर्णयों के लिए उदार और प्रगट होती हैं।

कैकेयी के कई गुणों ने उन्हें एक विवादास्पद पात्री बनाया है। उनकी सबसे महत्वपूर्ण गुणधर्म उनकी नीति और बुद्धिमत्ता हैं, जो उन्हें अपने परिवार की रक्षा करने के लिए उच्चतम समाजिक और नैतिक मानकों का पालन करने पर मजबूर करती हैं। हालांकि, इसके बावजूद, उनके कदमों ने रामायण की कथा में घमंड और नीतिबद्धता की उच्चता को भी दर्शाया है। उन्होंने राजा दशरथ को दशरथ नहीं होने के लिए दोषी ठहराया जब उन्होंने राम को अयोध्या के राजा के रूप में चुनने की मांग की। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने राम को वनवास भेजने का निर्णय लिया, जो राम के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया।

कैकेयी का चरित्र द्वितीयकांड के दौरान विस्तारपूर्वक विकसित किया गया है। उनके चरित्र में बदलाव देखने के लिए कई पात्रों के साथ उनके संवाद और प्रतिक्रियाएँ दिखाई गई हैं। उनका मूख्य उद्देश्य अपने पुत्र भरत को राजमहल के राजा के रूप में चुनने की होती है, और उन्होंने इसके लिए उनके पति दशरथ को मनाने के लिए विभिन्न रचनात्मक उपाय अपनाए। उनके चरित्र का यह पहलु दिखाता है कि वे मातृभाव की महत्त्वाकांक्षाओं के लिए उत्साहवान हैं और उन्हें अपने परिवार के लिए उच्चतम भूमिका में देखना चाहती हैं।

कैकेयी का चरित्र भारतीय साहित्य में अपनी विवादास्पद प्रकृति के लिए प्रसिद्ध है। उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का शिकार किया गया है। कुछ लोग कैकेयी को अनुशासनशील, साहसिक, और स्वाभिमानी महिला के रूप में मानते हैं, जो अपने परिवार की सुरक्षा के लिए लड़ती हैं। वे उनकी नीतिबद्धता की प्रशंसा करते हैं और उन्हें अपनी प्रबल व्यक्तित्व के कारण समर्थन देते हैं। हालांकि, दूसरी ओर, कुछ लोग कैकेयी को भ्रष्ट, आदर्शों से विचलित, और अहंकारी महिला के रूप में देखते हैं, जो अपनी नीतिबद्धता के लिए अपराधी मानी जाती है। उन्हें उनके कदमों के कारण घमंड और स्वार्थपरता का दोषी ठहराया जाता है।

समग्र रूप से कहें तो, कैकेयी एक महिला है जिसे उसकी परिवारिक और सामाजिक महत्त्वाकांक्षाएं निरंतर मुड़ाती रहती हैं। उनका चरित्र व्यापकता से विकसित है, जो उन्हें साहसिकता, नीतिबद्धता, और स्वतंत्रता के साथ दिखाता है। वे परिवार के लिए उच्चतम भूमिका का ख्याल रखती हैं, जिसके लिए वे नकारात्मक परिणामों को भी सहन करने को तैयार हैं। कैकेयी का चरित्र एक द्वंद्वात्मक पात्री की उदाहरण है, जिसने विवादास्पद परिणाम लाए हैं और जिसके कारण उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का हिस्सा बना दिया है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.