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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राम का अंगद को दूत बनाकर भेजना। अंगद रावण संवाद।

रामायण : Episode 56

राम का अंगद को दूत बनाकर भेजना। अंगद रावण संवाद।

राम की वानर सेना आक्रमण करने को तत्पर होती है तो रावण की सेना भी उन्हें रोकने के लिये तैयार होती है। राम युद्ध टालने के लिये रावण को अन्तिम अवसर देना चाहते हैं। राम इसके लिये बुद्धिमान और बलवान वानर को अपना शान्ति दूत बनाकर भेजना चाहते हैं। सुग्रीव व जामवन्त इसके लिये अंगद का नाम सुझाते हैं। राम की अंगद से कहते हैं कि वह रावण को सीता लौटाकर रक्तपात से बचने के लिये राजी करें और रावण के समक्ष अपनी सेना की शक्ति का बखान इस भाँति करे कि वह अन्दर ही अन्दर दहल जाये। अंगद रावण की सभा में पहुँचते हैं। अंगद रावण से कहते हैं कि वह राजदूत हैं, इसलिये पहले उन्हें बैठने के यथोचित आसान और राजदूत का सम्मान दिया जाय, तब फिर वह अपने स्वामी का सन्देश उसे सुनायेंगे। रावण तिरस्कारपूर्ण स्वर में कहता है कि राजा के भेजे दूत को राजदूत कहा जाता है, जंगल में रहने वाले किसी वनवासी के भेजे वानर को वह राजदूत नहीं मान सकता है। तब अंगद कहते हैं कि इस अपमान पर वे अपने स्वामी का प्रस्ताव रखे बिना वापस जा सकते हैं लेकिन इससे युद्ध अवश्यंभावी होगा इसलिये वह इस राजसभा में अपने लिये राज्योचित आसान का निर्माण स्वयं करेंगे। अंगद अपनी पूँछ लम्बी कर उसके घेरे से रावण के सिंहासन से भी उँचा अपना आसन बनाते हैं और उसपर विराजमान होकर गर्वपूर्वक राम का प्रस्ताव रखते हैं। अंगद रावण से कहते हैं कि राम तीनों लोकों को अपने एक बाण से नष्ट करने की शक्ति रखते हैं इसलिये रावण के लिये हितकर होगा कि वह कुटुम्ब समेत राम की शरण में चले जाये और माता जानकी को सादर लौटा दे। रावण उपहास उड़ाते हुए कहता है कि इस शान्ति प्रस्ताव के पीछे राम का भय परिलक्षित हो रहा है। राम के हाथ पाँव युद्ध के नाम पर काँप रहे हैं। इसपर अंगद रावण को सीता स्वयंवर का प्रसंग स्मरण कराकर उसे बुरी तरह अपमानित करते हैं। अंगद कहते हैं कि सीता स्वयंवर में रावण ने भी भाग लिया था और वह शिव धनुष को हिला तक नहीं पाया था जबकि प्रभु राम ने उस धनुष को उठाकर तोड़ दिया था। रावण इसे एक दन्तकथा कहता है। इस पर अंगद रावण को चिढ़ाते हुए कहते हैं कि क्या यह भी एक दन्तकथा है कि मेरे पिता बालि रावण नामक एक प्राणी को छह माह तक अपनी पूँछ से बाँधकर कई पर्वतों पर घूमते रहे थे। तब रावण भावनात्मक चाल चलते हुए अंगद से कहता है कि बालि से उसकी मि़त्रता थी। उसे अपने मित्र की हत्या का दुख है। वह अंगद को उकसाता है कि वो धोखे से राम को मारकर अपने पिता बालि की हत्या का प्रतिशोध ले और किष्किंधा की गद्दी पर बैठ जाये।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Maricha - मारीच

मारीच रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र है जो रावण के मामा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। मारीच देवताओं के वंशज और वानर जाति के एक प्रमुख सदस्य हैं। वह विद्या, शक्ति और योग्यता में प्रवीण हैं, जिसके कारण उन्हें रावण का समर्थन करने का अवसर मिला। मारीच के चरित्र में रामायण के कई पहलुओं को प्रकट किया गया है, जैसे कि उनकी शांतिपूर्ण प्रकृति, अच्छे संगीत और उनका नीतिनिष्ठा।

मारीच को एक प्राणी के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जिसे रावण ने अपने विचारशक्ति के आधार पर प्राणी में परिवर्तित किया। इस प्राणी के रूप में, मारीच ने रावण को अपने विज्ञान और ज्ञान के माध्यम से नये विचारों का अनुभव कराया। वे रावण के उत्कृष्ट मनोबल का प्रतीक बन गए और उन्होंने रावण को अपनी मायावी शक्तियों का परिचय दिया। मारीच ने रावण के दुर्योधन के रूप में भूमिका निभाई, जो उनके प्रतापी और विनीत चरित्र का एक प्रतिष्ठित उदाहरण है।

मारीच की रामायण में प्रमुख भूमिका उनके परिवर्तनशील स्वभाव की बजाय उनकी शांतिपूर्ण प्रकृति को दर्शाने में है। उनकी विचारधारा धर्म और न्याय के पक्षपाती दरबार के विरोध में है, जिसे वे रावण को समझाते हैं। मारीच को रामायण में ध्यान और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में भी दिखाया गया है, जब उन्होंने रावण को राम की सत्य और धर्म को मान्य करने की सलाह दी। यह दर्शाता है कि मारीच को धर्म और सत्य के महत्व का अच्छा ज्ञान था।

मारीच को सुंदरकांड में एक महत्वपूर्ण घटना में प्रस्तुत किया गया है, जब उन्होंने भगवान राम के द्वारा किए गए वानरों के प्रत्येक घोर आक्रमण का वर्णन किया। मारीच ने रावण को सावधान करने की सलाह दी और उन्हें बताया कि राम एक महान योद्धा है और उनकी अपार शक्ति का अनुभव करने की योग्यता रखता है। उन्होंने रावण को चेतावनी दी कि वे राम से मतभेद में न पड़ें और उनके प्रति सम्मान का भाव रखें। मारीच की यह सलाह रावण की विजय के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुई, जो राम के द्वारा हत्या किए जाने की घटना के बाद हुई।

मारीच का चरित्र रामायण में महत्वपूर्ण है और वह रावण के मामा के रूप में एक गहरी राष्ट्रीयता, नीतिशास्त्र, और धर्म की प्रतिष्ठा का प्रतीक है। उनकी प्रशंसा उनकी योग्यताओं, विचारधारा और सच्चे मन की प्रशंसा है। यह चरित्र मारीच को रामायण का महत्वपूर्ण और आदर्श व्यक्ति बनाता है, जो धर्म, न्याय और सत्य के मानकों का पालन करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.