×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सुग्रीव रावण का मल्ल युद्ध। रावण द्वारा युद्धकाल की घोषणा।

रामायण : Episode 55

सुग्रीव रावण का मल्ल युद्ध। रावण द्वारा युद्धकाल की घोषणा।

विभीषण एक उँचे स्थान से राम लक्ष्मण और सुग्रीव को सोने की लंका का अवलोकन कराते हैं। विभीषण कहते हैं कि हनुमान द्वारा जलायी गयी लंका का रावण ने भगवान विश्वकर्मा और अपने ससुर मयदानव की सहायता से पुनर्निर्माण कर लिया है। विभीषण लंका की दुर्ग संरचना का भेद देते हैं कि इसके पूर्वी द्वार की सुरक्षा रावण के द्वितीय पुत्र प्रहस्त के हाथों है तो पश्चिमी द्वार को युवराज मेघनाद ने सम्भाला हुआ है। इन्द्र पर विजय पाने के कारण रावण ने उसे इन्द्रजीत की उपाधि दी है। दक्षिण द्वार के निकट भूगर्भ में रावण का अक्षय शस्त्र भण्डार है जिसपर निरन्तर पहरा रहता है। उत्तर द्वार के गोपुरम से रावण स्वयं लंका की हर गतिविधि पर नजर रखता है। विभीषण राम को यह जानकारी दे रहे होते हैं तभी रावण गोपुरम पर दिखायी पड़ता है। राम व रावण की दृष्टि आपस में टकराती हैं। सुग्रीव रावण को देखकर अपना आपा खो देते हैं और छलांग लगाकर गोपुरम पहुँच जाते हैं। रावण और सुग्रीव में मल्लयुद्ध होता है। सुग्रीव रावण पर भारी पड़ता है। रावण बचने के लिये माया का सहारा लेता है और ऐसा दिशा भ्रम पैदा करता है कि सुग्रीव समझ नहीं पाते कि रावण किधर खड़ा है। अन्त में रावण छलपूर्वक प्रहार कर सुग्रीव को भागने पर विवश कर देता है। रावण सुग्रीव मल्लयुद्ध की सूचना पाकर मन्दोदरी चिन्तित होती है। वह रावण को समझाने के लिये अपने पिता मयदानव से मिलती हैं। रावण राज्य में युद्धकाल की घोषणा करता है। मेघनाद दुर्ग से बाहर निकलकर शत्रुदल पर आक्रमण करने के पक्ष में है लेकिन रावण निर्णय लेता है कि उसकी सारी सेना परकोटे के भीतर रहे ताकि शत्रुदल लंका के सुदृढ़ परकोटों को तोड़ने के प्रयास में थककर चूर हो जाये और फिर उसपर आक्रमण करके आसानी से हराया जा सकता है। रावण मेघनाद को सर्वोच्च सेनापति नियुक्त करता है। विभीषण अपने गुप्तचरों से प्राप्त रावण की दुर्गबन्दी का भेद राम को देते हुए बताते हैं कि उसने दक्षिण द्वार को जानबूझकर कर कमजोर रखा है ताकि आप उसपर आक्रमण करें और तभी मेघनाद पश्चिमी द्वार खोलकर पीछे से आप पर धावा बोल दे। ऐसे में राम निर्णय लेते हैं कि उनकी सेना हर द्वार पर एक साथ धावा बोलेगी ताकि रावण का कोई भी सेनापति अपने द्वार को छोड़कर दूसरे की मदद को न जा सके। राम अपनी रणनीति तैयार करते हैं। वह अंगद को दक्षिण द्वार, हनुमान को पश्चिम द्वार और नील को पूर्वी द्वार पर आक्रमण करने की जिम्मेदारी देते हैं। उत्तरी द्वार पर जहाँ रावण मौजूद रहता है, वहाँ राम लक्ष्मण के साथ स्वयं आक्रमण करने का जिम्मा उठाते हैं। राम सुग्रीव, जामवन्त और विभीषण को सेना के मध्य भाग में रहने का निर्देश देते हैं ताकि वे चारों तरफ चौकसी बरत सकें और सैन्य आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। अगली सूर्योदय आक्रमण करना तय होता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Ahilya - अहिल्या

अहिल्या रामायण में एक प्रमुख पात्र है जिसकी विदाई कहानी अत्यंत रोमांचक है। वह एक राजमहिला थी जो अपनी शानदार सुंदरता के लिए मशहूर थी। अहिल्या को भगवान गौतम ऋषि की पत्नी के रूप में जाना जाता है। वह एकमात्र राजमहिला थी जिसने अपने आप को विधवा का दर्जा दिया था जब उनके पति की मृत्यु हो गई।

अहिल्या ने राजमहल की दीर्घ विरासत को सुरक्षित रखा था और उनके राजसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह धर्म, संस्कृति और कला के दृष्टिकोण से महान थीं और उनके राज्य के लोग उन्हें प्रेम और सम्मान से देखते थे। उनका व्यक्तित्व गर्व, सहानुभूति और सद्भावना से भरा हुआ था। उन्होंने जीवन के धन्य और निर्मल उदाहरण स्थापित किए थे और अपनी अद्भुत साहसिक कथाएं सुनाई थीं। वे अपने दरबार में न्याय के प्रतीक थे और लोगों के आदर्श हीरो थे।

हालांकि, अहिल्या की खूबसूरती और प्रभावशाली व्यक्तित्व के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा था। वह एक दिन गौतम ऋषि के आश्रम में जाने का निर्णय लिया, जहां उन्हें अपनी मातृभाषा, तत्त्वज्ञान और ध्यान की ज्ञान प्राप्त होती है। यह आश्रम एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान था जहां ऋषियों और तपस्वियों का आवास था।

अहिल्या ऋषि गौतम के पास पहुंची और उन्हें धर्माचार्य के रूप में पूजा करने की निवेदन की। ऋषि गौतम, अहिल्या के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, ध्यान के माध्यम से उनके मन में निर्मलता के लिए प्रकाश डालने की विधि सिखाते हैं।

एक दिन, अहिल्या भगवान गौतम की कड़ी तपस्या को बहुत ही अभिभूत होकर, उन्हें मोहित करने का प्रयास करती हैं। ध्यान के माध्यम से, ऋषि गौतम सभी आंतरिक बाधाओं को पहचानते हैं और जानते हैं कि अहिल्या की मनमानी और आत्मविश्वास का कारण उसकी शानदार सुंदरता है।

गौतम ऋषि की प्रतिक्रिया में, वे अहिल्या को शाप देते हैं कि वह पत्नी रूप से असह्य दोषों में रहेगी और केवल भगवान राम के संदेश से ही मुक्ति पा सकेगी। वे भगवान राम से विनती करते हैं कि वह अहिल्या को शाप से मुक्त करें।

अहिल्या का जीवन एक समय से बदल जाता है। वह तपस्विनी बनती है, जो अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगती है और नई आदर्शों की प्राप्ति के लिए प्रयास करती है। भगवान राम उनके सामर्थ्य, साहस और परिश्रम को देखकर विश्वास रखते हैं और अहिल्या को शाप से मुक्त करते हैं।

अहिल्या अपने नये जीवन को ग्रहण करती हैं और वह भगवान राम के साथ जुड़कर मानवता के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण बनती हैं। उनकी कथा एक प्रेरणादायक संदेश देती है कि चाहे हम जैसे भी हों, हमें हमारे अवगुणों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा सत्य, धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए।

अहिल्या रामायण का एक महत्वपूर्ण और आदर्श पात्र है जो भगवान राम के जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रकट होती है। उनकी कहानी हमें उत्कृष्टता, ध्यान, और साहस की महत्ता को समझाती है और हमें सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, हम अपने अवगुणों को सच्चाई, प्रेम और परम धर्म के साथ समाप्त कर सकते हैं।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.