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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राम के बाण से रावण का मुकुट व छत्र गिरना। रावण के गुप्तचर पकड़े जाना।

रामायण : Episode 54

राम के बाण से रावण का मुकुट व छत्र गिरना। रावण के गुप्तचर पकड़े जाना।

रावण त्रिकुट पर्वत के शिखर पर बने अपने विलास महल में है। महल के प्रांगण में वह पटरानी मंदोदरी के साथ आमोद प्रमोद कर रहा है। उसके समक्ष नर्तकियां नृत्य कर रही हैं। रावण के मुकुट और मन्दोदरी के कर्णफूल पर जड़ी मणियों की चमक छावनी में बैठे राम की आँखों तक पहुँचती है। विभीषण इस चमक का भेद राम को बताते हैं। लक्ष्मण अचरज करते हैं कि शत्रु के सीमा में घुस आने पर भी रावण आमोद प्रमोद में तल्लीन है। विभीषण कहते हैं कि रावण ने संगीत सभा का आयोजन इसलिये किया है ताकि प्रजा आश्वस्त रहे कि राज्य में सब कुछ ठीक चल रहा है। राम रावण को एक चेतावनी भेजने का निर्णय लेते हैं। दूर छावनी में बैठकर राम अपना बाण त्रिकुट पर्वत की ओर चलाते हैं। बाण रावण के मुकुट और मन्दोदरी के कर्णफूल को भेदकर वापस राम के तुण्डीर में आ जाता है। मन्दोदरी इस घटना से विचलित होती है। लेकिन रावण इसे राम का टोटका कहता है और मन्दोदरी को आश्वस्त करता है। अगले दिन राजसभा में मेघनाद कहता है कि आज रात्रि ही राम की छावनी पर आक्रमण बोल देना चाहिये। शूक परामर्श देता है कि वह और सारण पहले छावनी में जाकर उनकी व्यूह रचना का पता लगा आयें अन्यथा ऐसा न हो कि विभीषण ने असुरों की भाँति सैन्य रणनीति अपनायी हो और हमारी सेना वहाँ जाकर घिर जाये। शूक और सारण वानरों का रूप धर राम की छावनी का भेद लेते हैं। विभीषण की दृष्टि उन दोनों पर पड़ जाती है और उन्हें पकड़ कर राम के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। विभीषण राम को बताते हैं कि शूक इसके पहले सुग्रीव के पास रावण का प्रलोभन भरा संधि प्रस्ताव लेकर आया था और आज गुप्तचर बनकर भेद लेने आया है। सुग्रीव कहते हैं कि पहले शूक दूत बनकर आया था, इसलिये राजनीति के तहत उसे दण्डित नहीं किया था किन्तु अब वह गुप्तचर बनकर आया है तो उसे युद्धनीति के तहत मृत्युदण्ड दिया जा सकता है। राम अपने रण कौशल से युद्ध जीतना चाहते हैं। वे दोनों गुप्तचरों को मुक्त करने का आदेश देते हैं और उनसे कहते हैं कि वे यहाँ से जुटाई जानकारी रावण को दे सकते हैं। रावण के समक्ष पहुँच कर शूक राम की दयालुता की प्रशंसा करता है लेकिन मातृभूमि लंका के प्रति अपनी निष्ठा बनाये रखते हुए रावण को राम की छावनी के तमाम भेद भी बताता है। रावण त्रिकुट शिखर से राम की छावनी का अवलोकन करता है। शूक रावण को दिखाता है कि राम की सेना के प्रमुख नायकगण देवताओं और गन्धर्वों के औरस पुत्र और नाती हैं, जिनकी ताकत और माया किसी से कम नहीं। यहाँ रावण पहली बार राम को देखता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Shurpanakha - शूर्पणखा

शूर्पणखा भारतीय महाकाव्य रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र है। वह एक राक्षसी है जिसे वाल्मीकि द्वारा दिए गए महाकाव्य में विस्तार से वर्णित किया गया है। शूर्पणखा का नाम संस्कृत में "चुभने वाली नखें" का अर्थ होता है। वह रावण की बहन है और खूबसूरती और अत्यधिक बुद्धिमान होने के कारण अपने भाई के नेतृत्व में राक्षसों की सेना में शामिल होती है।

शूर्पणखा का वर्णन रामायण में बहुत ही रोचक है। वह सुंदरता की प्रतीक है और उसकी बड़ी नखें उसके चेहरे को और अधिक आकर्षक बनाती हैं। उसके बाल लम्बे और काले होते हैं और उसकी आँखों में शातिरता और कर्मठता की चमक होती है। शूर्पणखा वाल्मीकि के काव्य में अभिप्रेत पात्रों में से एक है जो रामायण की कहानी को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण काम करती है।

शूर्पणखा के पास असाधारण शक्ति होती है और वह दूसरों को राक्षस बनाने की क्षमता रखती है। उसका स्वभाव उत्तेजित और प्रबल होता है और वह आसानी से राक्षसों की सेना का नेतृत्व कर सकती है। शूर्पणखा की प्रधान पहचान उसकी खुदाई की जाती है, जिसमें उसके पैरों के निशान भी दिखाई देते हैं। वह उसे अपनी राक्षसी शक्ति और प्रबलता का प्रतीक मानती है और इसे अपने भाई रावण को दिखाने के लिए उपयोग करती है।

शूर्पणखा के अभिप्रेत कार्यों में से एक राम के पास पहुंचकर उसे प्रेम करने का प्रयास करना है। जब वह राम को देखती है, तो उसकी सुंदरता और प्रभाव में मग्न हो जाती है और उसे उससे प्रेम हो जाता है। वह राम को प्रतिबिंबित करने के लिए अपने भाई खर और दूषण के साथ राम के निवासस्थान पर आती है।

हालांकि, शूर्पणखा का प्रेम प्रकट होने पर राम उसे अपनी पत्नी सीता के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, शूर्पणखा भयानक रूप में तब्दील हो जाती है और उसे लक्ष्मण द्वारा नास्तिक्रियता का दंड दिया जाता है।

शूर्पणखा का पात्र रामायण के कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण बदलाव प्रदान करता है। उसकी प्रेम कथा उसकी उच्चता और विपरीतता को दर्शाती है जहां प्रेम निःस्वार्थ और सत्य होने के बावजूद उसका परिणाम विनाशकारी हो जाता है। शूर्पणखा का चरित्र रामायण के पुरुषार्थ, धर्म, और नर और नारी के संबंधों को गहराई से समझने का एक माध्यम है। उसकी कथा द्वारा हमें यह भी सिखाया जाता है कि न केवल दया और प्रेम में ही जीवन का अर्थ होता है, बल्कि सत्य, धर्म, और अपने कर्तव्यों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।

शूर्पणखा रामायण की एक प्रमुख चरित्र है जो राम, सीता, और लक्ष्मण की कथा में एक महत्वपूर्ण संचालक है। उसका पात्र उदारता, सुंदरता, अपार बुद्धिमत्ता, और राक्षसी शक्ति के साथ भरा होता है। शूर्पणखा की कथा हमें अदालती, स्वार्थ, और सम्प्रेषण के मामलों में विवेचना करने के लिए प्रेरित करती है। उसकी कथा द्वारा हमें यह भी समझने का अवसर मिलता है कि आत्म-प्रतिष्ठा और विश्वास का महत्व क्या होता है और धर्म के मार्ग में बरकरार रहना क्यों जरूरी है। शूर्पणखा रामायण की पाठशाला में एक महत्वपूर्ण चरित्र है जो हमें धर्म, नैतिकता, और जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को समझाने में मदद करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.