×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : विभीषण श्रीराम के शरणागत। श्रीराम का विभीषण को लंकापति घोषित करना।

रामायण : Episode 50

विभीषण श्रीराम के शरणागत। श्रीराम का विभीषण को लंकापति घोषित करना।

अपनी माँ कैकसी से अनुमति मिलने के बाद विभीषण राम के शरणागत होने के लिये आकाश मार्ग से प्रस्थान करते हैं। सागर तट पर युद्धाभ्यास कर रहे वानरों ने विभीषण को आते देखा तो उन्हें शत्रु का दूत समझकर महाराज सुग्रीव को इसकी सूचना भेजी। सुग्रीव सागर तट पर जाकर विभीषण का परिचय और उनका मंतव्य पूछते हैं और राम तक सारी सूचना पहुँचाते हैं। सुग्रीव और उनके समस्त मंत्री रावण का भाई होने के कारण विभीषण के साथ शत्रुवत व्यवहार करने का परामर्श देते हैं लेकिन हनुमान राम को बताते हैं कि राक्षसकुल का होने पर भी विभीषण लंका में माता सीता के परम हितैषी हैं। लक्ष्मण राम से कहते हैं कि जो संकट में अपने भाई को छोड़ दे, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। किन्तु राम का तर्क है कि हर भाई भरत और लक्ष्मण के समान निष्ठावान नहीं हो सकता। वे महर्षि कुण्डू के वचनों का उद्धरण देते हुए कहते हैं कि यदि शत्रु भी शरण में आना चाहे तो उसे निराश नहीं करना चाहिये। शरणागत का त्याग करना पाप है। राम विभीषण को लाने के लिये युवराज अंगद को भेजते हैं। विभीषण राम के समक्ष पहुँच कर बताते हैं कि उन्होने सीता को ससम्मान आपके पास पहुँचाने का परामर्श दिया तो रावण ने उन्हें देश निकाला दे दिया। विभीषण राम से उन्हें अपनी शरण में लेने की प्रार्थना करते हैं। राम विभीषण को आसन ग्रहण कराते हैं और उन्हें लंकेश कहकर सम्बोधित करते हैं। राम कहते हैं कि रावण की मृत्यु समीप है, तत्पश्चात लंका का शासन विभीषण को सम्भालना है। विभीषण को लंका की आम प्रजा की चिन्ता है। राम उन्हें वचन देते हैं कि उनकी वानर सेना आम लंकावासियों को हानि नहीं पहुँचायेगी। केवल युद्धोन्मत राक्षसों का ही नाश किया जायगा। राम अपनी छावनी में ही सागर जल से विभीषण का राज्याभिषेक करते हैं और लंका राज्य उन्हें सौंपते हैं। रावण का एक गुप्तचर शार्दूल वानर वेश में सब कुछ देखता है और सारा हाल रावण तक पहुँचाता है। रावण कुछ विचलित होता है और इसे राम की कूटनीतिक चाल कहता है। मेघनाद निश्चिन्त है कि वानर सेना समन्दर पार नहीं आ सकेगी। नाना माल्यवान मेघनाद को शत्रु से सतर्क रहने को कहते हैं। वह कहते हैं कि राम ने इसी प्रकार सुग्रीव का राज तिलक किया था और आखिरकार उसे किष्किंधा का राजा बना ही दिया। इसी प्रकार आज विभीषण का राज्याभिषेक राम के वचनबद्धता को दर्शाता है। वह कहते हैं कि राम ने विभीषण को लंकापति घोषित करके लंका की प्रजा में फूट डाल दी है। अब कई लोग विभीषण को अगला राजा मान कर रावण के प्रति निष्ठावान नहीं रह जायेंगे। माल्यवान की बातें रावण को चिन्ता में डालती हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Dasharatha - दशरथ

दशरथ एक महान और प्रसिद्ध राजा थे, जो त्रेतायुग में आये। वे कोसल राजवंश के अंतर्गत राजा थे। दशरथ का जन्म अयोध्या नगर में हुआ। उनके माता-पिता का नाम ऋष्यरेखा और श्रृंगर था। दशरथ की माता ऋष्यरेखा उनके पिता की दूसरी पत्नी थीं। दशरथ की प्रथम पत्नी का नाम कौशल्या था, जो उनकी पत्नी के रूप में सदैव निर्देशक और सहायक थी।

दशरथ का रंग गहरे मिटटी के बराबर सुनहरा था, और उनके बाल मध्यम लंबाई के साथ काले थे। वे बहुत ही शक्तिशाली और ब्राह्मण गुणों से युक्त थे। दशरथ धर्मिक और सामर्थ्यपूर्ण शासक थे, जो अपने राज्य की अच्छी तरह से देखभाल करते थे। वे एक मानवीय राजा थे जिन्होंने न्याय, सच्चाई और धर्म को अपना मूल मंत्र बनाया था।

दशरथ के विद्यालयी शिक्षा का स्तर बहुत ऊँचा था। वे वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान रखते थे। उन्होंने सभी धर्मों को समान दृष्टि से स्वीकार किया और अपने राज्य की न्यायिक प्रणाली को न्यायपूर्ण और उच्चतम मानकों पर स्थापित किया।

दशरथ एक सामर्थ्यशाली सेनापति भी थे। वे बड़े ही साहसी और पराक्रमी योद्धा थे, जो अपने शत्रुओं को हरा देने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उन्होंने अपनी सेना के साथ कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया और वीरता से वापस आए। दशरथ की सेना का नागरिकों के द्वारा बहुत सम्मान किया जाता था और उन्हें उनके साहस और समर्पण के लिए प्रशंसा मिलती थी।

दशरथ एक आदर्श पिता भी थे। वे अपने तीन पुत्रों को बहुत प्रेम करते थे और उन्हें सबकुछ प्रदान करने के लिए तत्पर रहते थे। दशरथ के पुत्रों के नाम राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न थे। वे सभी धर्मात्मा और धर्म के पुजारी थे। दशरथ के प्रति उनके पुत्रों का आदर बहुत गहरा था और वे उनके उच्च संस्कारों को सीखते थे।

दशरथ एक सच्चे और वचनबद्ध दोस्त भी थे। वे अपने मित्रों की सहायता करने में निपुण थे और उन्हें हमेशा समर्थन देते थे। उनकी मित्रता और संगठनशीलता के कारण वे अपने देश में बड़े ही प्रसिद्ध थे।

दशरथ एक सामरिक कला के प्रेमी भी थे। वे धनुर्विद्या और आयुध शस्त्रों में माहिर थे और युद्ध कला के उदात्त संगीत का भी ज्ञान रखते थे। उन्हें शास्त्रों की गहरी ज्ञान थी और वे अपने शिष्यों को भी शिक्षा देते थे। उनकी सामरिक कला में निपुणता के कारण वे आदर्श योद्धा माने जाते थे।

दशरथ एक सामर्थ्यशाली और दायालु राजा थे। वे अपने राज्य के लोगों के प्रति मानवीयता और सद्भावना का पालन करते थे। दशरथ अपने लोगों के लिए निरंतर विकास की योजनाएं बनाते और सुनिश्चित करते थे। वे अपने राज्य की संपत्ति को न्यायपूर्ण और सामर्थ्यपूर्ण तरीके से व्यय करते थे।

एक शांतिप्रिय और धर्माचार्य राजा के रूप में, दशरथ को अपने पुत्र राम के विवाह के लिए स्वयंवर आयोजित करना पड़ा। उन्होंने संपूर्ण राज्य को आमंत्रित किया और अपने राजमहल में एक विशाल सभा स्थापित की। दशरथ के स्वयंवर में विभिन्न राज्यों के राजकुमारों ने भाग लिया और राम ने सीता का चयन किया, जो बाद में उनकी पत्नी बनी।

दशरथ के बारे में कहा जाता है कि वे एक विद्वान्, धर्मात्मा, धैर्यशाली और सदैव न्यायप्रिय राजा थे। उनकी प्रशासनिक क्षमता और वीरता के कारण वे अपने समय के मशहूर और प्रमुख राजाओं में गिने जाते थे। दशरथ की मृत्यु ने राजवंश को भारी नुकसान पहुंचाया और उनके निधन के बाद उनके पुत्र राम को अयोध्या का राजा बनाया गया। दशरथ की साधुपन्थी और न्यायप्रिय व्यक्तित्व ने उन्हें देश और विदेश में विख्यात बनाया।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.