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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा, अहिल्या उद्धार

रामायण : Episode 5

विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा, अहिल्या उद्धार

ऋषि विश्वामित्र के आदेश का पालन करते हुए श्रीराम राक्षसी ताड़का का वध कर देते हैं। राम के बारे में अपना आंकलन सही देखकर ऋषि विश्वामित्र अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। उनको विश्वास हो जाता है कि भविष्य के सभी संकटों पर राम विजय प्राप्त कर सकते हैं। ऋषि विश्वामित्र राम को दिव्यास्त्रों का ज्ञान देने का निश्चय करते हैं। वे उन्हें क्षत्रिय धर्म का महत्व बताते हैं और सचेत करते हैं कि क्षत्रिय को धर्मपालक के रूप में शस्त्र धारण करना चाहिये। उसे न तो अकारण अस्त्र-शस्त्र का उपयोग करना चाहिये और न ही किसी निर्दोष पर शस्त्र प्रहार करना चाहिये। ऋषि विश्वामित्र राम को दिव्यास्त्रों का महत्व और उनके मंत्र बताते हैं। दिव्य अस्त्र कितने प्रकार के होते हैं, इसका ज्ञान देते हुए वे श्रीराम को शिव का शूलमक नामक अस्त्र, ब्रह्मास्त्र, श्रीनारायण अस्त्र आदि दिव्यास्त्रों से राम को आत्मसात कराते हैं। ऋषि विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहुति के दिन आश्रम में रावण के गुप्तचर असुर सुबाहु और मारीच आते है और यज्ञ में विघ्न डालने की चेष्टा करते हैं। भ्राता लक्ष्मण के साथ वहाँ पहरा दे रहे श्रीराम सुबाहु का वध कर देते हैं। राम जी के बाण से आहत होकर मारीचि दूर दक्षिण में समुद्र तट पर जा गिरता है। इससे प्रसन्न होकर ऋषि विश्वामित्र श्रीराम का आभार मानते हैं। वे राम को आपने साथ मिथिला चलने के लिये आमंत्रित करते है जहाँ सीता जी का स्वयंवर होने वाला है। मिथिला नरेश जनक के पास भगवान शिव का एक अनोखा धनुष है जिस पर प्रत्यन्चा चढ़ाने वाले वीर से सीता का विवाह करने की जनक ने प्रतिज्ञा ली होती है। मार्ग में ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को पवित्र नदी गंगा के दर्शन करवाते है और गंगावतरण की कथा सुनाते हैं। वे राम लक्ष्मण को बताते हैं कि गंगा मैया किस प्रकार पृथ्वी को उनके एक पूर्वज की देन है। इक्ष्वाकु वंश में एक राजा सगर हुआ करते थे। एक बार राजा सगर अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे। इन्द्र उनसे ईर्ष्या करता था। वह राजा सगर के यज्ञ का घोड़ा चुराकर पाताल लोक ले गया और वहाँ कपिल मुनि के आश्रम में छोड़ गया। राजा सगर के पुत्र घोड़े को ढूंढ़ते हुए कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और वहाँ उन्होने मुनिवर का अपमान किया। इससे कपिल मुनि क्रोधित हुए और उन्होंने श्राप देकर राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को भस्म कर दिया। आगे चलकर राजा सगर के वंशज भगीरथ ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की और उनसे अपने पूर्वजों को तारने के के लिये गंगाजी को पृथ्वी पर भेजने का वर मांगा। किन्तु गंगा का वेग पृथ्वी सम्भाल नहीं सकती थीं तो ब्रह्मा जी के कहने पर महाराज भगीरथ ने पुनः तप करके शिवजी को प्रसन्न किया। शिवजी प्रकट हुए। महादेव ने भगीरथ को वचन दिया वो गंगा को अपने शीश पर धारण कर लेगें। ब्रह्मा के आदेश पर भगवान विष्णु के चरणों से निकलकर गंगा जी आकाश से धरती पर आयी। शिवजी ने उन्हें अपनी जटाओं में समेट लिया और उनकी एक धारा को धरती पर बहने दिया। गंगा के अवतरण से पाताल लोक और पृथ्वी लोक पर सबका कल्याण हुआ। इसके पश्चात ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को अहिल्या की कथा भी सुनाते हैं कि किस प्रकार देवराज इंद्र के कपट से अहिल्या जी को अपने पति गौतम ऋषि से श्राप मिलता है और वे शिला बन जाती है। तब राम जी के चरण स्पर्श से अहिल्या का उद्धार होता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Hanuman`s Mother - हनुमान की मां

हनुमान जी, भगवान श्री राम के भक्त और सेवक, एक प्रमुख पात्र हैं जो महाकाव्य रामायण में प्रमुखता से प्रदर्शित हुए हैं। हनुमान जी को माता अंजनी ने जन्म दिया था, जो एक आदिवासी महिला थीं। हनुमान जी की माता जी का नाम अंजना था। माता अंजना ने विनायक पूजा करके ईश्वर की कृपा प्राप्त की थी और तब ही हनुमान जी को अपने गर्भ में धारण किया था। इस प्रकार हनुमान जी का जन्म हुआ।

हनुमान जी की माता अंजना बहुत ही भक्तिमय और पवित्र महिला थीं। वे वानर राजा केशरी की पत्नी थीं। माता अंजना ब्रह्मा जी की आशीर्वाद से हनुमान जी को धारण करने का भाग्य प्राप्त की थीं। उनकी पूजा-अर्चना विशेष थी और वे सदैव भगवान शिव की अर्चना करती थीं। एक दिन जब वे शिव जी की पूजा कर रही थीं, तो वायुदेवता के आवाज से उन्हें बताया गया कि उन्हें हनुमान जी को जन्म देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यह सुनकर अंजना ने अत्यंत आ नंदित होकर अपने गर्भ में हनुमान जी को धारण किया।

हनुमान जी के जन्म के समय केरल के वनों में ब्रह्मा, विष्णु और शिव द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा की गई। हनुमान जी ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भगवान श्री राम की सेवा में बिताया। हनुमान जी ने राम भक्ति के लिए विशेष योगदान दिया और रामायण के महाकाव्य में अपने साहस, शक्ति और नीतिशास्त्र के अद्भुत ज्ञान के आधार पर अपनी महिमा प्रकट की।

हनुमान जी की माता अंजना ने अपने बेटे को धारण करके उसे स्वर्णिम वर्षा वल्लरी नदी में स्नान कराया था, जिससे हनुमान जी को अद्भुत बल, प्रतिभा और बुद्धि प्राप्त हुई। उनकी विद्या और ब्रह्मचर्य ने उन्हें अन्य सभी वानरों से अलग बना दिया। हनुमान जी ने बचपन से ही विद्या और अद्भुत शक्ति का संचार किया और अपनी माता अंजना की कृपा से हर कठिनाई को सुलझा दिया।

इस प्रकार, हनुमान जी की माता अंजना ने अपनी भक्ति और प्रेम से अपने बेटे को पाला और उन्हें देवताओं की अनुग्रह से भगवान राम की सेवा में भेजा। हनुमान जी ने रामायण में अपने अद्भुत कारनामों के माध्यम से भगवान श्री राम की सेवा की और उनकी विजय में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे माता अंजना के प्रेम और आदर्शों के प्रतीक हैं और हिंदू धर्म में उनकी पूजा विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.