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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : विभीषण का रावण को समझाना। विभीषण का लंका से निष्कासन।

रामायण : Episode 49

विभीषण का रावण को समझाना। विभीषण का लंका से निष्कासन।

रामसेना के कूच की सूचना पाकर रावण आपात सभा आहूत करता है और मंत्रियों के साथ विचार विमर्श करता है। मेघनाद कहता है कि यदि उस दिन हनुमान को जीवित न छोड़ा जाता तो राम को लंका का पता भी न चलता। सेनापति अकम्पन का विचार है कि राम सेना लंका पहुँचने के लिये सौ योजन समुद्र पार नहीं कर सकेगी। विभीषण टोकते हैं कि राम का एक दूत अकेले लंका पहुँच चुका है तो लंका की सुरक्षा अभेद्य नहीं रह गयी है। विभीषण राम को सम्मानजनक शब्दों से सम्बोधित करते हैं तो रावण क्रोधित होता है। मेघनाद चाचा विभीषण को राक्षसकुल का द्रोही कहता है। विभीषण भतीजे मेघनाद को अनुभवहीन बालक कहकर नीति समझाने का प्रयास करते हैं। तब मेघनाद अपनी वीरता का बखान करता है कि उसने ऐरावत हाथी का दाँत तोड़कर उसपर सवार इन्द्र को आकाश से धरती पर ला पटका था और इन्द्रजीत कहलाया था, उसे नासमझ बालक कैसे कहा जा सकता है। विभीषण लंकेश से कहते हैं कि वह राम के शौर्य की गाथा न भूले। राम के बाणों से सुबाहु, कबन्ध, विराध, खर दूषण, त्रिशिरा और बालि जैसे महायोद्धा मारे जा चुके हैं। उनके दूत के शौर्य से लंका के विनाश चिन्ह आज भी दिखायी पड़ रहे हैं। विभीषण कहते हैं कि जिस राजा के मंत्री चाटुकार होते हैं और भयवश राजा से सिर्फ प्रिय बात कहते हैं, उस राजा और उसके राज्य का शीघ्र नाश हो जाता है। इसलिये विभीषण रावण से चाटुकार मंत्रियों की बजाय उनकी बात पर विचार करने का अनुरोध करते हैं। रावण विभीषण पर हनुमान को लंका के भेद बताने का दोषी करार देता है और उन्हें राज्य से निष्कासित करते हुए पद प्रहार करता है। विभीषण नीचे गिरते हैं। पूरी राजसभा विभीषण के यूँ अपमान पर हँसती है। विभीषण के हितैषी परामर्शदाता उनसे कहते हैं कि उनके पास इतना सैन्यबल नहीं है कि वे राज विद्रोह करके रावण को सिंहासन से उतार सकें, इसलिये उन्हें राम की शरण में जाकर उनके साथ मिल जाना चाहिये। विभीषण धर्मसंकट में पड़ जाते हैं। वे अपनी माँ कैकसी से परामर्श लेने जाते हैं। कैकसी कहती हैं कि अगर विभीषण लंका में रुके तो रावण उन्हें बन्दी बना सकता है। वो विभीषण से लंका के बाहर जाकर लंका की प्रजा के हित के लिये कार्य करने को कहती हैं। कैकसी कहती है कि उनके पिता ऋषि विश्रवा पहले ही भविष्यवाणी कर चुके थे कि भगवान विष्णु ने रघुकुल में जन्म ले लिया है और उनके हाथों रावण के कुल का नाश होगा लेकिन छोटा पुत्र विभीषण राक्षस जाति को खत्म होने से बचायेगा। विनाश काले, विपरीत बु़द्धि, विभीषण आखिरी बार रावण को समझाने जाते हैं लेकिन रावण की बुद्धि, रावण का साथ नहीं देती।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Tara - तारा

श्रीमद् रामायण में तारा का चरित्र एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण रूप से उभरता है। तारा, किष्किंधा नगर के महान वानर राजा वाली की पत्नी थीं। वाली और तारा का विवाह वानर समुदाय में प्रेम के एक उदाहरण के रूप में माना जाता था। तारा का पूरा नाम अत्यंत सुंदरी ताराका था, जो उनकी सुंदरता को व्यक्त करता था। उनकी स्नेही और सदैव परोपकारी स्वभाव ने उन्हें वानर समुदाय में महत्वपूर्ण बना दिया था।

तारा एक बुद्धिमान, विद्वान् और साहसिक महिला थीं। वाली की साहसिक गुणवत्ता के कारण, उन्होंने वानरों के बीच एक अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान बनाया था। उन्होंने वानर समुदाय के सभी सदस्यों का सम्मान किया और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास किए। तारा बुद्धिमान वैद्यकीय ज्ञान की धारा थीं और उन्होंने वानर सेना की चिकित्सा और उनकी सेवाओं का प्रबंधन किया। वानर समुदाय में उनका उदाहरणीय आदर्श स्थान था और वे वानरों के लिए एक माता के समान थीं।

तारा की उपस्थिति वानर सेना के लिए एक आधारभूत सामर्थ्य थी। वाली द्वारा नेतृत्व किए जाने वाले सेनानायक के रूप में तारा की बुद्धि और वाणी का महत्वपूर्ण योगदान था। वानर सेना के प्रमुख नेता के रूप में, उन्होंने वानरों के बीच न्याय और समानता के सिद्धांत को स्थापित किया। तारा वाली के साथ एक ऐसी जीवन जीती थी जिसमें संयम और न्याय का महत्वपूर्ण स्थान था।

तारा अपनी श्रद्धा और निष्ठा के लिए भी प्रसिद्ध थीं। उन्होंने वानर समुदाय में आध्यात्मिक संघ के गठन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने वानर समुदाय के सदस्यों को धार्मिक शिक्षा दी और उनके आध्यात्मिक विकास का समर्थन किया। तारा धार्मिक और मनोवैज्ञानिक सुधारों को समर्थन करती थीं और उन्होंने वानर समुदाय के सदस्यों को धार्मिकता के मार्ग पर अग्रसर किया।

तारा रामचरितमानस में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वाल्मीकि जी महर्षि द्वारा लिखित इस ग्रंथ में उनका वर्णन किया गया है और उनकी साहसिकता, विवेक और धार्मिकता की प्रशंसा की गई है। उन्होंने लक्ष्मण के साथ राम को सम्पूर्णता के रूप में शरण दी और उन्हें वानर सेना का नेतृत्व सौंपा।

तारा की प्रतिभा, शक्ति और साहस ने उन्हें एक प्रमुख चरित्र बना दिया है। उनका प्रेम और समर्पण उन्हें वानर समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान देता है और उन्हें एक आदर्श पत्नी के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। उनका चरित्र रामायण के महान काव्य में सुंदरता और प्रेरणा का स्रोत बनता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.