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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : श्रीराम का वानरों की सेना के साथ समुद्र तट पर पहुँचना

रामायण : Episode 48

श्रीराम का वानरों की सेना के साथ समुद्र तट पर पहुँचना

राम सीता को मुक्त कराने की रणनीति बनाने के लिये सुग्रीव और उसके मंत्री परिषद के साथ मंत्रणा करते हैं। जामवन्त कहते हैं कि रावण ने सीता माता को निर्णय लेने के लिये एक मास का समय दिया है। हालाँकि नल कुबेर के श्राप के कारण वो सीता का सतीत्व भंग नहीं कर सकता किन्तु उनकी हत्या कर सकता है, इसलिये हमारे पास सीता को मुक्त कराने के लिये अधिकतम एक मास का समय है। सुग्रीव राम से लंका कूच करने वाली वानर दल के सेना नायक का पद सम्भालने का निवेदन करते हैं। राम सेनानायक के तौर पर लंका के सारे भेद जानना चाहते हैं और हनुमान से इसका वर्णन करने को कहते हैं। हनुमान लंका की दुर्ग संरचना से लेकर सैन्य तैयारियों व सामग्रियों का विवरण देते हैं। हनुमान बताते हैं कि लंका के चार द्वार हैं जिनके सामने खाई है। हनुमान यह भी बताते हैं कि वे लंका की खाई को पाट आये हैं और रावण की तमाम युद्ध सामग्री आग के हवाले कर आये हैं। राम लंका कूच करने के लिये ऐसा मार्ग निर्धारित करते हैं जिससे वानर सेना को रसद सामग्री मिलती रहे। वे शत्रु के गुप्तचरों से सावधान रहने को कहते हैं तथा प्रमुख वानर यूथपतियों की स्थिति क्या रहेगी, यह भी तय करते हैं। राम अपने सुसज्जित सैन्य बल में उत्साह का संचार करने वाला सम्बोधन देते हैं। वे अपनी लड़ाई को असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय बताते हैं। हर हर महादेव और जय भवानी के उद्घोष के साथ रामजी की सेना कूच करती है। राम सबसे आगे चल रहे हैं। उनका एक ही लक्ष्य है, वो रावण जिसने ‘‘वयम् रक्षाम’’ का मन्त्र दिया है, उसका समूल नाश करना है। राम सेना के साथ राम सागर तट पर पहुँच कर पड़ाव डालते हैं। अब उनके सामने समस्या सागर पार जाने की है। संसार में सागर को अपनी मर्यादा में रहने के लिये जाना जाता है। राम भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। राम सागर को प्रणाम करते हैं। अशोक वाटिका में सीता को शुभ शगुन मिलते हैं। वे अपनी खुशी त्रिजटा से बाँटती है। उधर मंदोदरी को अपशगुनों का अनुभव होता है किन्तु रावण को लगता है कि यह मंदोदरी का सौतिया डाह है और वह बहाने से सीता को उसकी जिन्दगी से हटाना चाहती है। एक गुप्तचर रावण को राम और उनकी सेना के सिन्धु के उसपार आने की सूचना देता है। त्रिजटा भी यह सुखद समाचार सीता को देती है। सीता अम्बे माँ का स्मरण करती हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Jatayu - जटायु

रामायण में जटायु एक महत्वपूर्ण पात्र है जो योद्धा और वानर वंश का सदस्य है। वह एक गरुड़ विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, जो सूर्य और वायु देवताओं के बेटे के रूप में प्रस्तुत होता है। जटायु का नाम उसकी बाहुओं के झुलसने के लिए उन्हें एक झूला जैसा आकार देने वाले विशेष पट्टों से प्राप्त हुआ है।

जटायु एक महान स्वतंत्र जीवी हैं, जो पहाड़ों और जंगलों में घूमते रहते हैं। वह बड़े पंखों और संचालन क्षमता वाले मुखवाले के साथ एक विशाल शरीर हैं जो उसे ऊँची ऊँची उड़ानें भरने की क्षमता प्रदान करता है। जटायु के पंख पीले और धूसर रंग के होते हैं, जिनमें धूप के बीजों के समान चमक होती है। उसकी आंखें तेज और प्रज्वलित होती हैं, जैसे कि वह अस्त चमक और तपती धूप के सामर्थ्य का प्रतीक है।

जटायु को उसकी विशेष बुद्धिमत्ता के लिए भी पहचाना जाता है। वह बहुत ही ज्ञानी और सत्यनिष्ठ हैं, और उसका विचारधारा परम धर्मवत सत्य के आधार पर निर्मित है। जटायु ने अपना जीवन वीरता और निष्ठा के साथ बिताया है और उसकी प्रामाणिकता और निष्ठा के कारण वह अपने वंश के बीच मान्यता प्राप्त करता है।

जटायु की प्रमुख भूमिका रामायण में समय आती है, जब राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान रावण द्वारा हरण किए जाते हैं। जब राम और लक्ष्मण रावण की खोज में निकलते हैं, तो जटायु उन्हें देखकर वन में दौड़ता है और रक्षा के लिए आगे आता है। वह रावण के साथ लड़ता है और उसकी विपरीत बल से जूझता है, लेकिन दुःख के साथ, उसे हार का सामना करना पड़ता है।

जटायु के महान कर्तव्य के बीच, उसके पास परमात्मा राम का दर्शन होता है। राम उसके पास जाते हैं और जटायु के शरण में अपनी दुःखभरी कथा सुनते हैं। जटायु राम को उसकी प्राणों की गाथा बताता है और उसे द्वंद्व निद्रा में से जगाकर रक्षा करता है। जब जटायु इस युद्ध में मारा जाता है, तो राम उसे अपने आवागमन के लिए सलामी देते हैं और उसकी महिमा को मान्यता देते हैं।

जटायु का पात्र रामायण में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो विशेष रूप से सेवा और बलिदान का प्रतीक है। उसकी प्रमाणिकता, त्याग, और शक्ति दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। जटायु ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सब कुछ समर्पित किया और अपनी वीरता और विश्वास के कारण एक महान योद्धा के रूप में याद किया जाता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.