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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : हनुमान का सीताजी से चूड़ामणि निशानी पाना। किष्किंधा लौटना। राम का लंका कूच का आदेश।

रामायण : Episode 47

हनुमान का सीताजी से चूड़ामणि निशानी पाना। किष्किंधा लौटना। राम का लंका कूच का आदेश।

लंका दहन उपरान्त रावण मंत्री परिषद की बैठक बुलाता है। मंत्रीगण सन्देह व्यक्त करते हैं कि विभीषण की हनुमान से मिलीभगत थी अन्यथा हनुमान द्वारा लगायी गयी आग से सभी के महल भस्म हो गये किन्तु विभीषण का घर बचा रहा। रावण का नाना माल्यवान रावण को सीता के प्रति अपना हठ त्यागने का परामर्श देता है किन्तु रावण नाना का तिरस्कार करता है। रावण मेघनाद से कहता है है कि लंका का जीर्णोद्धार करने के लिये भगवान विश्वकर्मा को आदेश दिया जाये। हनुमान अशोक वाटिका वापस आकर माता सीता से मिलते हैं। वह सीता से कहते हैं कि वे उन्हें ऐसी कोई निशानी दें जिससे प्रभु राम को विश्वास हो जाय कि वह सीता माता से मिलकर आये हैं। हनुमान को आशंका है कि सम्भवतः राम केवल एक आभूषण देखकर उनकी बात का भरोसा न करें। तब सीता उन्हें राम को सुनाने के लिये जयन्त का प्रसंग कहती हैं। एक बार इन्द्र के पुत्र जयन्त ने कौवे का रूप धारण कर सीता के पैर में चोंच मार दी थी। तब राम ने जयन्त पर सरकण्डे के बाण चलाया था। जयन्त तीनों लोकों में भागता फिरा लेकिन उसका बाण से पीछा नहीं छूटा। अन्ततः वो राम की शरण में ही आया। राम ने उसकी एक आँख फोड़कर उसे दण्डित किया लेकिन प्राणदान दे दिया। हनुमान सीता माता को धीरज रखने का ढाँढस बँधा कर वापस किष्किंधा को रवाना होते हैं। उधर राम चिन्तित हैं कि काफी समय बीतने के बावजूद अभी तक खोजी वानर दलों की तरफ से कोई सूचना नहीं आयी है। सुग्रीव उन्हें बताते है दक्षिण दिशा को गया दल किलकारियाँ भरता हुआ वापस आ रहा है तो कोई अच्छा समाचार लेकर ही आया होगा। जामवन्त, अंगद और हनुमान राम के समक्ष उपस्थित होते हैं। हनुमान सीता माता की दारुण दशा राम को बताते हैं। राम की आँखों में अश्रु आते हैं। हनुमान राम को सीता का सन्देश देते हैं कि यदि एक मास के भीतर वे सीता को मुक्त नहीं कराते हैं तो वे उन्हें जीवित नहीं पायेंगे। हनुमान सीता की क्षमायाचना भी लक्ष्मण तक पहुँचाते हैं। लक्ष्मण दुखी होते हैं। हनुमान सीता माता की चूड़ामणि राम को देते हैं। राम इसे देखकर भावुक होते हैं। हनुमान जयन्त प्रसंग को सुनाकर राम को विश्वास दिलाते हैं कि वे सचमुच माता सीता से मिलकर आये हैं। राम हनुमान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। हनुमान राम के चरणों पर लोट जाते हैं। राम स्नेह से रुद्रावतार हनुमान के सिर पर हाथ फेरते हैं। उधर कैलाश पर्वत पर विराजमान भगवान शिव को ऐसा प्रतीत होता है मानों प्रभु उनके सिर पर हाथ फेर रहे हों। पार्वती अचरज में पड़ती हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Kabandha - कबंध

कबंध रामायण महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण पात्र है, जो हनुमान का पहला लड़ाका था। कबंध एक विशालकाय राक्षस था जिसकी विशेषता थी कि उसके दो पैर, दो हाथ और दो मुख थे। उसके एक पैर और एक हाथ के नुकीले नख थे जिन्हें वह लोगों को दहला देने के लिए प्रयोग करता था। कबंध को लंका के राजा रावण ने अपने राजमहल में निवास कराया था।

कबंध के बारे में कहानी रामायण महाकाव्य में समरेश्वर हनुमान के मुख्य भूमिका को विस्तृत करती है। हनुमान ने सूंदरकांड के दौरान कबंध को मार दिया था।

हनुमान कबंध के पास पहुंचे और उससे युद्ध के लिए मुक़ाबला करने का आग्रह किया। वह ज्ञात करने के लिए पूछता है कि कौन हैं वे और उनका धर्म क्या है। कबंध उसे जवाब देता है कि वह एक राक्षस है और उसका धर्म अहंकार को दृढ़ करना है। उसने कहा कि वह उसे छोड़ देगा जो भगवान श्रीराम का स्वरूप है।

हनुमान कबंध के बारे में और बेहतर जानने के लिए उससे विस्तृत बातचीत करते हैं। इसके पश्चात हनुमान ने कबंध को युद्ध के लिए मुक़ाबला करने का प्रस्ताव दिया। हनुमान और कबंध के बीच हुए युद्ध में हनुमान ने अपनी भयंकर शक्ति दिखाई और उसने उसके दोनों हाथ और एक पैर को काट दिया।

इस रूप में कबंध बिना उसकी कुछ शक्तियों के लड़ नहीं सकता था। हनुमान कबंध के प्राण लेने के लिए तैयार हो गया था, लेकिन प्राण लेने से पहले उसने कबंध के मुंह से सुना कि राम कौन है और उसके बारे में जानने की इच्छा की है। यह सुनकर कबंध ने अपने अपने अंतिम शब्दों में हनुमान को बताया कि राम सबके श्रेष्ठ और परम आत्मा हैं, और उनका ध्यान और भक्ति सबके लिए मोक्ष का साधन है।

कबंध की मृत्यु के बाद, हनुमान ने उसके पूरे शरीर को आग के समान जला दिया। यह भगवान राम के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास था, क्योंकि उसने राक्षसों के संगठन में दंगा मचाया था और उनका सर्वनाश किया था। इस तरह, कबंध रामायण के कथा में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली पात्र के रूप में प्रस्तुत होता है, जो हनुमान के पाठकों को राम के महान गुणों का अनुभव कराता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.