×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : अशोक वाटिका विध्वंस। अक्षय कुमार वध। मेघनाद का हनुमान को ब्रह्मास्त्र में बाँधना।

रामायण : Episode 45

अशोक वाटिका विध्वंस। अक्षय कुमार वध। मेघनाद का हनुमान को ब्रह्मास्त्र में बाँधना।

हनुमान सीता को प्रभु राम की करुण दशा के बारे में बताते हैं। सीता भी उनके दुखों का अनुभव करती हैं। सीता को संशय है कि ये छोटे छोटे वानर रावण से युद्ध में राम की किस प्रकार मदद कर पायेंगे। तब हनुमान उन्हें अपना विशाल रूप दिखाते हैं। सीता को भरोसा हो जाता है। हनुमान सीता से आज्ञा माँगते हैं कि वे उन्हें अपनी पीठ पर बैठाकर उड़ते हुए राम जी के पास पहुँचा दें। सीता इनकार करते हुए कहती हैं कि परपुरुष का स्पर्श उनके पतिव्रत धर्म के विरुद्ध होगा। वे कहती हैं कि रावण को मारकर उन्हें मुक्त कराने की यश उनके पति राम को मिलना चाहिये। सीता कहती हैं कि हनुमान राम तक उनका ये सन्देश पहुँचा दें कि वे अब आने में देर न करें। हनुमान कहते हैं कि गुप्तचर का कार्य का होता है कि वो शत्रु के सैन्यबल की थाह ले, इसलिये अभी वे अभी कुछ देर लंका में रुकेंगे। यह जानकारी युद्ध में काम आयेगी। वे जाने से पहले अपनी लीला से शत्रु को भयभीत भी करना चाहते हैं। अतएव वे अशोक वन से फल तोड़कर अपनी भूख मिटाने के लिये सीता की आज्ञा लेते हैं लेकिन वे फल कम खाते हैं, वृक्ष अधिक तोड़ते हैं। रावण के सैनिक जब हनुमान को रोक नहीं पाते, तो एक सिपहसलार इसकी सूचना रावण को देता है। रावण अपने छोटे पुत्र अक्षय कुमार को स्थिति से निपटने के लिये भेजता है लेकिन माया युद्ध में वह हनुमान के हाथों मारा जाता है। एक वानर के हाथों अक्षय कुमार के मारे जाने की सूचना से रावण सोच में पड़ जाता है। उसे इसमें देवताओं की कोई चाल नजर आती है। मेघनाद भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये रावण से अनुमति माँगता है। रावण उसे हनुमान से युक्तियुक्त युद्ध करने और जीवित पकड़ कर लाने को कहता है। मेघनाद अशोक वाटिका में हनुमान को चोरी से घुसने का अपराधी कहता है तो हनुमान रावण को भी चोर कहते हैं क्योंकि उसने चोरी से एक स्त्री का हरण किया है। वे इस कृत्य के लिये रावण को प्रथम दण्डनीय ठहराते हैं। इससे क्रोधित होकर मेघनाद हनुमान पर दिव्यास्त्रों से वार करता है। हनुमान हर वार को बेकार कर देते हैं। अन्ततः मेघनाद ब्रह्मास्त्र चलाता है। हनुमान भगवान ब्रह्मा का मान रखने के लिये स्वयं ब्रह्मास्त्र में बँध जाते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sumitra - सुमित्रा

सुमित्रा, भगवान राम के पिता राजा दशरथ की तीसरी पत्नी और भरत की मां थीं। वह एक समझदार, सुंदर और धैर्यशाली महिला थीं जिन्हें उनकी पति और परिवार द्वारा गहरी सम्मान प्राप्त थी। सुमित्रा के द्वारा भी कई महत्वपूर्ण कार्यों को संपादित किया गया था। वह राजमहल में उच्च स्थान पर होती थीं और रानी के रूप में अपने दायित्वों को सम्भालती थीं।

सुमित्रा को सभी लोग एक सज्जन, नेतृत्व कुशल और संतानों के प्रति विशेष स्नेह रखने वाली महिला के रूप में जानते थे। वह अपनी महान पतिव्रता और उदारता के लिए प्रसिद्ध थीं। सुमित्रा ने दशरथ राजा के प्रेम को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ स्वीकार किया और राजमहल में एक मान्य और सम्मानित स्थान प्राप्त किया। वह राजमहल की सभी महिलाओं के लिए एक आदर्श मार्गदर्शक थीं।

सुमित्रा की पत्नी और माता के रूप में वह अपनी संतानों को नहीं सिखाती थीं, बल्कि उनके बारे में अपनी महत्त्वपूर्ण सूचनाओं का संचालन करती थीं। वह अपने पति के और बाकी सभी परिवार सदस्यों के साथ मिलकर मित्रता और समझौते की भावना को बढ़ावा देती थीं। सुमित्रा ने सुंदरकांड में अपने त्याग और निर्भयता के लिए प्रसिद्ध हुईं।

सुमित्रा ने अपनी संतानों के उच्चतम मूल्यों के प्रति आदर्शवादी भावना को बढ़ावा दिया। वह अपने पुत्र भरत के साथ विचार-विमर्श करती थीं और उन्हें सही मार्गदर्शन देने का प्रयास करती थीं। उन्होंने भरत के धर्म, नैतिकता और न्याय के प्रति अपार सम्मान रखा था। उन्होंने भरत के साथ भाई-भाई के नाते की उच्चता और मान्यता को सदैव बनाए रखा।

सुमित्रा ने सीता की पत्नी और रामचंद्र जी की सहधर्मीन के रूप में भी अपने पात्र को सच्ची भावना के साथ निभाया। वह सीता के प्रति आदर्श दौलती थीं और अपने पुत्र लक्ष्मण के साथ उनकी सेवा में सहायता करती थीं। सुमित्रा के माध्यम से आदर्श प्रेम, सदभाव, एकता और परिवार के महत्व की महानता का संदेश सभी लोगों तक पहुंचा।

सुमित्रा राजा दशरथ की प्रिय पत्नी थीं, जो उन्हें धार्मिक और सामरिक विचारों में समर्थन देती थीं। उन्होंने अपने पति के और अन्य परिवार सदस्यों के साथ सामंजस्य और एकता को स्थापित किया। सुमित्रा राजमहल में विभिन्न कार्यों को संपादित करने के साथ-साथ परिवारिक और सामाजिक जीवन का संचालन करती थीं।

सुमित्रा की मूल्यवान गुणों की सूची में सहानुभूति, संयम, समर्पण, त्याग, धैर्य, उदारता और संवेदनशीलता शामिल थी। उन्होंने अपने पुत्रों को समय और प्रेम के साथ पाला, जो उन्हें सभी लोगों की नजरों में प्रशंसा के योग्य बनाता था। सुमित्रा रामायण में एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी नेतृत्व कौशल के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की है।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.