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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : अशोक वाटिका विध्वंस। अक्षय कुमार वध। मेघनाद का हनुमान को ब्रह्मास्त्र में बाँधना।

रामायण : Episode 45

अशोक वाटिका विध्वंस। अक्षय कुमार वध। मेघनाद का हनुमान को ब्रह्मास्त्र में बाँधना।

हनुमान सीता को प्रभु राम की करुण दशा के बारे में बताते हैं। सीता भी उनके दुखों का अनुभव करती हैं। सीता को संशय है कि ये छोटे छोटे वानर रावण से युद्ध में राम की किस प्रकार मदद कर पायेंगे। तब हनुमान उन्हें अपना विशाल रूप दिखाते हैं। सीता को भरोसा हो जाता है। हनुमान सीता से आज्ञा माँगते हैं कि वे उन्हें अपनी पीठ पर बैठाकर उड़ते हुए राम जी के पास पहुँचा दें। सीता इनकार करते हुए कहती हैं कि परपुरुष का स्पर्श उनके पतिव्रत धर्म के विरुद्ध होगा। वे कहती हैं कि रावण को मारकर उन्हें मुक्त कराने की यश उनके पति राम को मिलना चाहिये। सीता कहती हैं कि हनुमान राम तक उनका ये सन्देश पहुँचा दें कि वे अब आने में देर न करें। हनुमान कहते हैं कि गुप्तचर का कार्य का होता है कि वो शत्रु के सैन्यबल की थाह ले, इसलिये अभी वे अभी कुछ देर लंका में रुकेंगे। यह जानकारी युद्ध में काम आयेगी। वे जाने से पहले अपनी लीला से शत्रु को भयभीत भी करना चाहते हैं। अतएव वे अशोक वन से फल तोड़कर अपनी भूख मिटाने के लिये सीता की आज्ञा लेते हैं लेकिन वे फल कम खाते हैं, वृक्ष अधिक तोड़ते हैं। रावण के सैनिक जब हनुमान को रोक नहीं पाते, तो एक सिपहसलार इसकी सूचना रावण को देता है। रावण अपने छोटे पुत्र अक्षय कुमार को स्थिति से निपटने के लिये भेजता है लेकिन माया युद्ध में वह हनुमान के हाथों मारा जाता है। एक वानर के हाथों अक्षय कुमार के मारे जाने की सूचना से रावण सोच में पड़ जाता है। उसे इसमें देवताओं की कोई चाल नजर आती है। मेघनाद भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये रावण से अनुमति माँगता है। रावण उसे हनुमान से युक्तियुक्त युद्ध करने और जीवित पकड़ कर लाने को कहता है। मेघनाद अशोक वाटिका में हनुमान को चोरी से घुसने का अपराधी कहता है तो हनुमान रावण को भी चोर कहते हैं क्योंकि उसने चोरी से एक स्त्री का हरण किया है। वे इस कृत्य के लिये रावण को प्रथम दण्डनीय ठहराते हैं। इससे क्रोधित होकर मेघनाद हनुमान पर दिव्यास्त्रों से वार करता है। हनुमान हर वार को बेकार कर देते हैं। अन्ततः मेघनाद ब्रह्मास्त्र चलाता है। हनुमान भगवान ब्रह्मा का मान रखने के लिये स्वयं ब्रह्मास्त्र में बँध जाते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Vibhishana - विभीषण

विभीषण, एक महान राजा और भगवान राम के महाकाव्य रामायण में महत्वपूर्ण एक पात्र है। विभीषण का अर्थ होता है "भयभीत होने वाला" या "भयभीत हो जाने वाला"। विभीषण राक्षस राजा रावण का छोटा भाई था, जिसने अपने भ्राता के दुराचारों और दुष्टताओं के प्रतियोगिता से परेशान होकर उसे छोड़ दिया। इसके पश्चात, विभीषण ने श्रीराम की शरण ली और उन्हें उसकी सेवा करने का वचन दिया।

विभीषण एक ईमानदार, न्यायप्रिय, और तत्पर राजा था। उसकी विशेषताएं उसके स्वभाव को व्यक्त करती थीं। वह धर्म का पालन करने वाला था और सत्य का पुजारी। विभीषण ने अपनी भ्रातृभक्ति के बावजूद रावण के दुराचारों को नहीं सहा और उसने सत्य के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। वह अन्याय से घृणा करता था और असली धर्म को समझता था। उसकी ईमानदारी और श्रद्धा ने उसे श्रीराम की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सफलता दिलाई।

विभीषण एक विदेशी राजा था, जिसने लंका नगरी के शासन करते समय अपने देश के सांस्कृतिक मूल्यों और मानवाधिकारों का संरक्षण किया। वह रावण के शासनकाल में लंका में अन्याय और उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों की मदद करता था। विभीषण ने अपनी प्रजा के आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक उन्नति के लिए कई नीतियों को लागू किया। उसने शिक्षा, स्वास्थ्य, और विकास के क्षेत्र में प्रगति के लिए प्रयास किया।

विभीषण रामायण में राम के भक्त और समर्थनकर्ता बने। उसने श्रीराम के पास जाकर उसे अपनी दुःख और संकट का वर्णन किया और वहाँ शरण ली। विभीषण की आपत्तियों के बावजूद, श्रीराम ने उसे अपने परिवार में स्वीकार किया और उसे अपने आश्रम में आने के लिए आमंत्रित किया। इससे पहले कि राम ने विभीषण का स्वागत किया, हनुमान ने उसे अच्छी तरह से जांचा था, ताकि उसकी नियति सत्यवादी और धर्मनिष्ठ होने की पुष्टि हो सके।

विभीषण ने श्रीराम की सेवा करने का संकल्प लिया और उसके आदेशों का पालन किया। वह राम के लिए महत्वपूर्ण सलाहकार, विश्वासपात्र और आपत्ति सुनने वाला व्यक्ति बन गया। विभीषण ने रावण के दुराचारों के बारे में राम को सूचना दी, जिससे राम ने राक्षस सेना को हराने के लिए सही रणनीति बनाई। विभीषण ने भगवान राम की सहायता करके राक्षसों के साम्राज्य को समाप्त किया और लंका को धर्म और न्याय के आदर्शों के साथ फिर से स्थापित किया।

विभीषण एक प्रेरणादायक पात्र है, जो न्याय की प्राथमिकता को स्थापित करता है और धर्म के मार्ग पर चलने की महत्त्वपूर्णता को दर्शाता है। उसकी विश्वासपूर्णता, धैर्य और धर्मनिष्ठा सभी के मनोभाव को प्रभावित करती हैं। विभीषण का पात्र रामायण की एक महत्वपूर्ण और प्रेरक कथा का हिस्सा है, जो धर्म, न्याय, और सत्य के महत्व को प्रकट करती है। वह एक उदाहरण है, जिसके माध्यम से हम सीख सकते हैं कि ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और धर्म के पालन में स्थायित्व रखना कितना महत्वपूर्ण है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.