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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : बालि-सुग्रीव युद्ध। बालि का वध।

रामायण : Episode 38

बालि-सुग्रीव युद्ध। बालि का वध।

राम के कहने पर सुग्रीव बालि के महल के बाहर जाकर उसे युद्ध के लिये ललकारता है। रानी तारा के मना करने के पर भी बालि सुग्रीव से लड़ने जाता है। राम पेड़ों के झुरमुट से धनुष से निशाना साधते हैं लेकिन पहचान की दुविधा में पड़कर बाण नहीं चलाते। बालि सुग्रीव पर काफी आघात कर उसे भागने पर विवश कर देता है। जामवन्त लेप लगाकर सुग्रीव का उपचार करते हैं। सुग्रीव राम को उलाहना देत है। तब राम उसे बताते हैं कि दोनों भाईयों में काफी समानता होने के कारण वे युद्ध के दौरान बालि और सुग्रीव में भेद नहीं कर पा रहे थे और यदि बाण धोखे से उसे लग जाता तो अनर्थ हो जाता। राम सुग्रीव को अपने हाथ का स्पर्श देते हैं। सुग्रीव की सारी पीड़ा जाती रहती है। राम सुग्रीव को पुनः बालि से लड़ने भेजते हैं किन्तु पहचान के लिये उसे एक पुष्पमाला पहना देते हैं। सुग्रीव फिर से बालि के महल पर जाकर ललकार लगाता है। रानी तारा बालि को रोकते हुए समझाती है कि युद्ध से भागा हुआ सुग्रीव राम से प्रोत्साहन पाकर उन्हें ललकार रहा है। तारा आज का युद्ध टालने के लिये कहती है किन्तु बालि लड़ने जाता है। लड़ाई में बालि एक बार फिर हावी होता है। पेड़ों के पीछे से राम उसपर बाण से आघात करते हैं। बालि घायल होकर गिर पड़ता है। बालि सुग्रीव को कुलद्रोह करने के लिये घिक्कारता है। राम उसके पास जाते हैं। बालि पूछता है कि छिपकर वार करके राम ने कौन सी मर्यादा का पालन किया है? बालि उनका वैरी और सुग्रीव क्यों प्यारा है? बालि कहता है कि राम सुग्रीव की बजाय उसकी मदद लेते तो वो रावण से उनकी सीता वापस लाकर देने की क्षमता रखता था। राम बालि से कहते हैं कि वह आज मरते समय धर्म का बात कह रहा है जबकि जीवन भर वो अधर्म के कार्य करता रहा। उसने छोटे भाई सुग्रीव को राज्य से निष्कासित रखा। सुग्रीव की पत्नी को अपनी पत्नी की भाँति आधीन रखा जबकि छोटे भाई की पत्नी बेटी समान होती है। राम कहते हैं कि इन पापकर्मो के कारण उसे मनुस्मृति के अनुसार मृत्युदण्ड दिया गया है। बालि को अपने अपराधों का बोध होता है। वो राम के चरण पर गिरता है और मोक्ष की कामना करता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Mandodari - मंदोदरी

मंदोदरी रामायण की प्रमुख पात्रों में से एक हैं। वह रावण की पत्नी थीं और लंका की रानी। मंदोदरी ने अपनी सुंदरता, साहसिकता और विवेकपूर्ण बुद्धि के कारण लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी थी। उन्होंने अपने प्रतिष्ठित पति रावण को अपनी आदर्श पत्नी के रूप में प्रतिष्ठित किया।

मंदोदरी गौरवशाली परिवार में पैदा हुई थीं। उनके पिता मायावी और माता श्रीमती की आँखों के सामने वे एक राजकुमारी के रूप में पली बढ़ीं। वे बचपन से ही विद्यालय में ग्रहण रचना, कला और संगीत में माहिर थीं। मंदोदरी एक सुंदर, बुद्धिमान और सहज स्वभाव की धनी व्यक्ति थीं। वे अपने समर्पण, साधारणता और त्याग के कारण प्रसिद्ध थीं।

मंदोदरी की विवाह बालियों के राजा बालि से हुआ था। बालि एक महान योद्धा थे और उन्होंने उत्कृष्ट कुशलता के साथ अपने राज्य को प्रबंधित किया था। मंदोदरी का विवाह बालि के साथ होने के बाद, वे उनकी पत्नी बनीं और लंका में राजमहल में निवास करने लगीं। वह लंका की रानी के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में समर्थ थीं।

मंदोदरी एक पत्नी के रूप में विश्वासनीयता, समर्पण और धैर्य का प्रतीक थीं। वह अपने पति की प्रेमिका सीता के प्रति सर्वसम्मति और आदर्शता को स्वीकार करने में सदैव संतुष्ट रहीं। मंदोदरी ने अपने संयम, ब्रह्मचर्य और नैतिकता के माध्यम से रावण को प्रेरित किया कि वह श्रीराम के बलिदान के पश्चात उसे विनाश मिलेगा।

मंदोदरी एक माता के रूप में भी अपने परिवार के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक थीं। उन्होंने अपने पुत्र के लिए प्रेम, संयम और संकल्प दिखाएं और उन्हें आदर्श मानसिकता के साथ पाला। मंदोदरी ने अपने पुत्र को धार्मिक और नैतिक मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया। वह उनकी पढ़ाई, कला और योग्यता में संक्रमण करने में मदद कीं और उन्हें एक शक्तिशाली और सशक्त शासक के रूप में तैयार किया।

मंदोदरी का पातन विश्वविद्यालय के प्राचीनतम रामायण ग्रंथों में उल्लेख किया गया है। उनकी विद्या, सौंदर्य, सामरिक योग्यता और धैर्य ने उन्हें एक प्रमुख पात्र बनाया है। मंदोदरी ने अपने जीवन के धार्मिक और नैतिक मूल्यों को पालन किया और अपने परिवार, समाज और राष्ट्र की सेवा की। उन्होंने साहस, संकल्प, समर्पण और समय पर निर्णय लेने की कला के माध्यम से लोगों के मनोबल को बढ़ाया।

मंदोदरी रामायण के महत्वपूर्ण चरित्रों में से एक हैं और उनकी प्रतिष्ठा, सौंदर्य और साहस की गरिमा रावण की पत्नी के रूप में बनी रही है। वे एक आदर्श पत्नी, माता और नागरिक होने के साथ-साथ धार्मिक और नैतिक मूल्यों के पालन का प्रतीक हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.