×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : कबन्ध उद्धार। शबरी के बेर। सुग्रीव का पता मिलना।

रामायण : Episode 34

कबन्ध उद्धार। शबरी के बेर। सुग्रीव का पता मिलना।

सीता की खोज में राम और लक्ष्मण को एक स्थान पर सीता द्वारा फेंके गये आभूषण मिलते हैं। इससे उन्हें ज्ञात होता है कि वे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। तभी वन में उनका सामना कबन्ध राक्षस से होता है। कबन्ध एक विशालकाय डरावना राक्षस है जिसकी एक आँख है, गर्दन नहीं है। उसका शरीर मोटे मास के पिण्ड जैसा है। वह अपनी एक योजन लम्बी भुजाएं बढ़ाकर राम लक्ष्मण को घेर लेता है। लक्ष्मण तलवार से दोनों भुजाएं काट देते हैं। कबन्ध राम और लक्ष्मण को अपना वास्तविक परिचय देकर बताता है कि ऋषि स्थूलशिरा के श्राप के कारण वह गन्धर्व से राक्षस बन गया है। कबन्ध को ब्रह्मा का वरदान है कि उसे किसी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। इसलिये कबन्ध राम लक्ष्मण से कहता है कि वे उसके शरीर को गड्ढे में डालकर जला दें, इससे वह शापमुक्त हो जायेगा और गन्धर्व रूप में वापस आकर सीता का पता बताने में उनकी मदद करेगा। राम कबन्ध की चिता जलाते हैं। शापमुक्त गन्धर्व दनु प्रकट होता है और राम को रावण के कुल के बारे में बताता है और परामर्श देता है कि दक्षिण की ओर जाने पर उन्हें ऋष्यमूक पर्वत पर वानरराज सुग्रीव मिलेंगे। उनसे मित्रता करके वे सीता की खोज कर सकेंगे और अन्त में रावण पर विजय पायेंगे। गन्धर्व यह भी कहता है कि सुग्रीव तक जाने का सम्पूर्ण मार्ग उन्हें भीलनी शबरी दिखायेगी जो मतंग ऋषि की शिष्या है और वो वर्षों से प्रभु राम के आने की प्रतीक्षा कर रही है। शबरी हर रोज वन से पुष्प चुनकर अपनी कुटिया के मार्ग पर बिछाती है। उसे विश्वास है कि एक न एक दिन उसके प्रभु राम के चरण उसकी कुटिया में पड़ेंगे। आखिरकार वो घड़ी आती है। राम लक्ष्मण शबरी की कुटिया में प्रवेश करते हैं। शबरी उन्हें खाने के लिये बेर देती है। हर बेर मीठा हो, यह सुनिश्चित करने के लिये शबरी ने उन्हें चखा हुआ है। राम उसकी भक्ति पर अभिभूत हैं। वे चाव से बेर खाते हैं। लक्ष्मण राम को शबरी के जूठे बेर खाता देकर मुँह बनाते हैं लेकिन बड़े भाई की आज्ञा पर उन्हें भी शबरी के जूठे बेर खाने पड़ते हैं। शबरी उन्हें बताती है कि उनके गुरु के तपोबल के कारण मतंग वन के हिंसक पशु भी हिंसा छोड़ चुके हैं। वनस्पति सदैव हरी भरी रहती है। शबरी यह भी कहती है कि ऋषि मतंग उसे सीता की खोज में निकले राम को सुग्रीव का पता बताने की आज्ञा देकर परलोक सिधार गये थे। शबरी बताती है कि यहाँ से आगे जाने पर उन्हें पम्पापुर सरोवर मिलेगा। उसके निकट दो पर्वत श्रेणियों पर उन्हें सुग्रीव और हनुमान मिलेंगे। इसके बाद राम शबरी के साथ ऋषि मतंग के दिव्य साधना स्थल के दर्शन करने जाते हैं। राम शबरी की प्रार्थना पर उसे भक्ति ज्ञान देते हैं। शबरी राम की आज्ञा लेकर यहाँ से परम धाम की ओर प्रस्थान करती है। इस प्रसंग के साथ रामायण के अरण्य काण्ड का समापन होता है। अन्त में रामानन्द सागर शबरी प्रसंग का उल्लेख करते हुए सीख देते हैं कि यदि यह देश रामायण को मानता है तो यहाँ ऊँच नीच और जात पात की बात नहीं की जानी चाहिये।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Manthara - मंथरा

मंथरा रामायण में एक प्रमुख पात्र है जिसने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह एक रंकिनी थी जो कैकेयी, कैशपति दशरथ की द्वितीय पत्नी, की सेविका थी। मंथरा का अस्तित्व राजमहल में एक उच्च और प्रभावशाली स्थान देता था। वह एक महाविद्यालयीन बुद्धिमान व्यक्ति थी जिसका मुख्य उद्देश्य कैकेयी की इच्छाओं को पूरा करना था।

मंथरा को विवेकी, कपटी, और नीच चरित्र का प्रतीक माना जाता है। उसका रंग सांवला था और उसकी आंखें भ्रमरी जैसी थीं जो हमेशा चोरी करने के लिए ढ़ेरों चीजें तलाशती थीं। उसके रूप, आचरण, और व्यवहार से जाहिर होता था कि वह लोगों में विद्वान्त, विद्रोहीता और सम्मानहीनता को उत्पन्न करने का उद्देश्य रखती है।

मंथरा एक अभिनय प्रेमी थी और उसकी कार्यशैली में वह बदलाव लाने की कला को दर्शाती थी। वह अक्सर मुखौटे धारण करती थी ताकि लोग उसकी असली पहचान नहीं कर पाते। इसके बावजूद, उसकी गतिविधियों का परिणाम हमेशा आशान्ति और विपरीत प्रभाव होता था।

मंथरा ने विवेकपूर्ण चोरी करके कैकेयी के आपक्ष में जाने की योजना बनाई थी। उसने कैकेयी को उसके पति राजा दशरथ और उनके राज्य की प्रशंसा के बारे में मनभावन और प्रलोभनकारी विचारों से प्रभावित किया। उसने कैकेयी को यह भ्रम दिया कि अगर उसे उनके पुत्र राम का राज्याभिषेक नहीं किया जाता है, तो उसके और उसके पति की मर्यादा और सम्मान को छलनी किया जाएगा।

मंथरा की मनियत के चलते, कैकेयी ने राजा दशरथ से अनुरोध किया कि वह राम को वनवास भेजें और उनके पुत्र भरत को राज्य का उपदेश्य बनाएं। यह घटना रामायण की कथा के महत्वपूर्ण पट को पलटने के लिए साबित हुई।

मंथरा के पापी चरित्र ने उन्हें राम और सीता द्वारा जगह जगह निन्दा का शिकार बनाया। उन्होंने शूर्पणखा को भी प्रेरित किया था जो फिर सीता के साथ जंगल में बदले और उसके परिवार को भी आपत्ति में डाला। मंथरा ने अपनी चालाकी और कपट के द्वारा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी संभावित मार्गों का प्रयास किया।

मंथरा का वर्णन रामायण में एक योग्यता के रूप में प्रदर्शित किया गया है जो उसे एक अभिनयी और चालाक खिलाड़ी बनाती है। वह अपने चालों के जरिए कैकेयी के मन को भ्रमित करती है और उसे अपनी ही हानि का कारण बनाती है। उसका पात्र मंथरा रामायण का महत्वपूर्ण रूपांकन है जो दर्शाता है कि चालाकी और विद्वान्त का प्रयोग किया जाए तो कितनी हानिकारक हो सकती है।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.