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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सीता की खोज। जटायु का अंतिम संस्कार। अशोक वाटिका में सीताजी

रामायण : Episode 33

सीता की खोज। जटायु का अंतिम संस्कार। अशोक वाटिका में सीताजी

राम और लक्ष्मण वन वन भटक कर सीता की खोज करते हैं। व्याकुल राम वन में हर पशु, पक्षी और भँवरों के समूहों से पूछते जाते हैं कि उन्होंने उनकी मृगनयनी सीता को कहीं देखा है। वन में राम को जटायु घायलावस्था में मिलते हैं। जटायु मरने से पहले राम को बताते हैं कि रावण सीता को आकाश मार्ग से दक्षिण दिशा की ओर ले गया है। जटायु रावण पर विजय पाने का आशीर्वाद देकर राम की गोद में अपने प्राण त्याग देते हैं। राम जटायु को पितातुल्य बताकर पुत्र भाँति उनका अन्तिम संस्कार करते हैं। उधर रावण सीता को लेकर लंका पहुँचता है और उन्हें अशोक वाटिका में राक्षसियों के पहरे में एक वृक्ष के नीचे रखता है। सीता रावण से कहती हैं कि उसने देवताओं को परास्त किया होगा किन्तु एक पवित्र सतीव्रता नारी के सत्यबल का सामना उसकी भ्रष्ट शक्तियाँ नहीं कर सकेंगी। उसका समूल नाश अवश्यंभावी है। सीता छलबल से उसका हरण करने के लिये रावण को धिक्कारती हैं। रावण सीता को जबरन अंगीकार करने के लिये आगे बढ़ता है। सीता घास के एक तिनके को तोड़ कर अपने और रावण के बीच रख देती हैं और धरती की परम सती नारी माता अनुसूइया को साक्षी मान कर कहती हैं कि एक सती नारी और परपुरूष के बीच एक तिनके की दीवार भी अभेद्य होती है, यदि रावण इस तिनके को लाँघने का दुस्साहस करेगा तो वो भस्म हो जायेगा। रावण अपने मद में सीता को बाल पकड़ कर घसीटते हुए ले जाने की बात कहता है और अपना हाथ आगे बढ़ाता है। तभी रावण को सावधान करते हुए आकाशवाणी होती है कि वो नलकुबेर के श्राप को याद करे। रावण को याद आता है कि उसने अपने सौतेले भाई नलकुबेर की पत्नी रंभा का बलपूर्वक शीलभंग किया था। तब नलकुबेर ने उसे श्राप दिया था कि यदि वह किसी परस्त्री की इच्छा के विरूद्ध उसका सतीत्व भंग करेगा तो उसके सिर के सात टुकड़े हो जायेंगे। रावण सीता की ओर बढ़ा अपना हाथ वापस खींच लेता है लेकिन दिखावा ऐसा करता है मानो वह प्रेमवश सीता के साथ जबरदस्ती नहीं कर रहा है। वह सीता को एक वर्ष का समय देता है कि वह स्वयं उसकी रानी बनना स्वीकार करें अथवा फिर उसके रसोईये सीता को काटकर उसका कलेवर तैयार करेंगे। रावण सीता का आत्मसमर्पण करवाने के लिये राक्षसियों को निर्देश देकर चला जाता है। राक्षसियाँ सीता को डराने का प्रयत्न करती हैं। अशोक वाटिका की मुख्य प्रहरी राक्षसी त्रिजटा उन्हें बाहर भेजकर सीता को सांत्वना देती हैं और उनके लिये सात्विक भोजन के प्रबन्ध का आश्वासन देती हैं। रावण की पटरानी मन्दोदरी एक अन्य रानी भैरवी को अपने नये राजसी वस्त्र देती है कि वह इन्हें सीता को भेंट करे। सीता मन्दोदरी की भेंट विनयपूर्वक अस्वीकार कर देती हैं और सन्देश भिजवाती है कि वे अपने पति रावण को समझाऐं अन्यथा उसका समूल नाश हो जायेगा। रावण मन्दोदरी के कक्ष में प्रवेश करता है। मन्दोदरी रावण से सीता को लंका के लिये अमंगलकारी बताकर राम के पास वापस भेजने की मांग करती है। रावण मन्दोदरी का तिरस्कार करता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Kaikeyi - कैकेयी

कैकेयी एक प्रमुख चरित्र है जो प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण में दिखाई देती है। वह माता कैकेयी थीं, और उन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ की रानी के रूप में भी जानी जाती है। कैकेयी का चरित्र व्यापक रूप से विवरणशील रूप से विकसित किया गया है और उनके भूमिका ने कहानी को महत्वपूर्ण धाराओं पर प्रभाव डाला है। कैकेयी के जीवन की घटनाओं ने रामायण के प्लॉट को प्रभावित किया है, खासकर उनके पति दशरथ और पुत्र राम की जीवन पर।

कैकेयी को परंपरागत रूप से सुंदरी, शक्तिशाली, और साहसिक राजमाता के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। उन्हें समाज की महत्त्वाकांक्षी और आदर्श नारी के रूप में दिखाया जाता है, जो अपनी परिवारिक महत्त्वाकांक्षाओं के लिए अत्यंत साहसिक और कट्टरता के साथ काम करती है। वे राजमहल के बाहर स्वतंत्र रूप से राजनीतिक कार्यों में हिस्सा लेती हैं और अपनी आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करती हैं। कैकेयी एक महत्त्वाकांक्षी रानी की भूमिका में पूर्णता के साथ उभरती हैं और राजनीतिक निर्णयों के लिए उदार और प्रगट होती हैं।

कैकेयी के कई गुणों ने उन्हें एक विवादास्पद पात्री बनाया है। उनकी सबसे महत्वपूर्ण गुणधर्म उनकी नीति और बुद्धिमत्ता हैं, जो उन्हें अपने परिवार की रक्षा करने के लिए उच्चतम समाजिक और नैतिक मानकों का पालन करने पर मजबूर करती हैं। हालांकि, इसके बावजूद, उनके कदमों ने रामायण की कथा में घमंड और नीतिबद्धता की उच्चता को भी दर्शाया है। उन्होंने राजा दशरथ को दशरथ नहीं होने के लिए दोषी ठहराया जब उन्होंने राम को अयोध्या के राजा के रूप में चुनने की मांग की। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने राम को वनवास भेजने का निर्णय लिया, जो राम के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया।

कैकेयी का चरित्र द्वितीयकांड के दौरान विस्तारपूर्वक विकसित किया गया है। उनके चरित्र में बदलाव देखने के लिए कई पात्रों के साथ उनके संवाद और प्रतिक्रियाएँ दिखाई गई हैं। उनका मूख्य उद्देश्य अपने पुत्र भरत को राजमहल के राजा के रूप में चुनने की होती है, और उन्होंने इसके लिए उनके पति दशरथ को मनाने के लिए विभिन्न रचनात्मक उपाय अपनाए। उनके चरित्र का यह पहलु दिखाता है कि वे मातृभाव की महत्त्वाकांक्षाओं के लिए उत्साहवान हैं और उन्हें अपने परिवार के लिए उच्चतम भूमिका में देखना चाहती हैं।

कैकेयी का चरित्र भारतीय साहित्य में अपनी विवादास्पद प्रकृति के लिए प्रसिद्ध है। उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का शिकार किया गया है। कुछ लोग कैकेयी को अनुशासनशील, साहसिक, और स्वाभिमानी महिला के रूप में मानते हैं, जो अपने परिवार की सुरक्षा के लिए लड़ती हैं। वे उनकी नीतिबद्धता की प्रशंसा करते हैं और उन्हें अपनी प्रबल व्यक्तित्व के कारण समर्थन देते हैं। हालांकि, दूसरी ओर, कुछ लोग कैकेयी को भ्रष्ट, आदर्शों से विचलित, और अहंकारी महिला के रूप में देखते हैं, जो अपनी नीतिबद्धता के लिए अपराधी मानी जाती है। उन्हें उनके कदमों के कारण घमंड और स्वार्थपरता का दोषी ठहराया जाता है।

समग्र रूप से कहें तो, कैकेयी एक महिला है जिसे उसकी परिवारिक और सामाजिक महत्त्वाकांक्षाएं निरंतर मुड़ाती रहती हैं। उनका चरित्र व्यापकता से विकसित है, जो उन्हें साहसिकता, नीतिबद्धता, और स्वतंत्रता के साथ दिखाता है। वे परिवार के लिए उच्चतम भूमिका का ख्याल रखती हैं, जिसके लिए वे नकारात्मक परिणामों को भी सहन करने को तैयार हैं। कैकेयी का चरित्र एक द्वंद्वात्मक पात्री की उदाहरण है, जिसने विवादास्पद परिणाम लाए हैं और जिसके कारण उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का हिस्सा बना दिया है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.