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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सीता हरण। जटायु-रावण संघर्ष

रामायण : Episode 32

सीता हरण। जटायु-रावण संघर्ष

सीता के आग्रह पर राम, स्वर्ण मृग के पीछे जाते हैं। मायावी मृग दौड़ लगाकर राम को कुटिया से काफी दूर ले जाता है। राम लक्ष्य साधकर बाण चलाते हैं। बाण लगते ही मारीच अपने असली स्वरूप में आ जाता है। मारीच घायलावस्था में राम की आवाज में सीता और लक्ष्मण को पुकारता है। पर्ण कुटिया में अपने स्वामी की चीत्कार भरी पुकार सुन कर सीता घबड़ा जाती हैं। वे लक्ष्मण को राम की सहायता के लिये जाने को कहती हैं किन्तु लक्ष्मण को इस आवाज के पीछे कोई प्रपंच लगता है। वे भाभी सीता की रक्षा हेतु भाई की आज्ञा का पालन करते हुए कुटिया में रहने का निर्णय लेते हैं। सीता उन्हें काफी उलाहना देती हैं। तब लक्ष्मण अभिमंत्रित बाण से कुटिया के चारों ओर एक रेखा खींचते हैं और सीता से इस रेखा के बाहर कदम न रखने का अनुरोध करके आवाज की दिशा में चले जाते हैं। रावण अवसर पाकर साधु का वेश धारण करता है और कुटिया के बाहर आकर भिक्षा माँगता है। सीता उसके लिये भोजन लाने कुटिया के भीतर जाती हैं। रावण भी कुटिया के भीतर प्रवेश करना चाहता है लेकिन लक्ष्मण रेखा को पार नहीं कर पाता। तब वो कुटिया के बाहर धूनी रमा कर बैठ जाता है। वो सीता से कुटिया के बाहर भोजन देने को कहता है। सीता के इनकार करने पर रावण स्वर्ण मृग के सींगों से राम की मृत्यु होने का श्राप देने का नाटक करता है। सीता घबड़ा कर लक्ष्मण रेखा से पार कर रावण के पास आ जाती हैं। तब साधुवेश रावण सीता से राम का त्यागकर कर लंकापति रावण के साथ विवाह करने का पाप वचन कहता है। रावण अपने असली स्वरूप में आता है और सीता का हरण कर विमान से लंका की ओर उड़ता है। सीता सहायता के लिये पुकारती है। जटायु आकाश मार्ग में रावण को रोकने का प्रयास करते हैं। दोनों के बीच संघर्ष होता है किन्तु रावण तलवार से जटायु के पर काटकर उन्हें धरती पर गिरा देता है। उधर राम और लक्ष्मण कुटिया में वापस आते हैं और सीता को वहाँ न पाकर उन्हें वन में चारों ओर खोजने निकलते हैं। आकाश मार्ग में रावण के आधीन सीता अपने आभूषण उतारकर पोटली में बांधती हैं और उसे नीचे फेंककर वनवासियों से कहती हैं कि यदि राम उन्हें खोजते हुए उधर आयें तो यह आभूषण दिखाकर रावण द्वारा उनके हरण की सूचना दें। रावण को भरोसा है कि कोई वनवासी राम को लंका का पता नहीं दे पायेगा लेकिन सीता को भी विश्वास है कि उनके स्वामी उनका पता खोज लेगें।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Kaikeyi - कैकेयी

कैकेयी एक प्रमुख चरित्र है जो प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण में दिखाई देती है। वह माता कैकेयी थीं, और उन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ की रानी के रूप में भी जानी जाती है। कैकेयी का चरित्र व्यापक रूप से विवरणशील रूप से विकसित किया गया है और उनके भूमिका ने कहानी को महत्वपूर्ण धाराओं पर प्रभाव डाला है। कैकेयी के जीवन की घटनाओं ने रामायण के प्लॉट को प्रभावित किया है, खासकर उनके पति दशरथ और पुत्र राम की जीवन पर।

कैकेयी को परंपरागत रूप से सुंदरी, शक्तिशाली, और साहसिक राजमाता के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। उन्हें समाज की महत्त्वाकांक्षी और आदर्श नारी के रूप में दिखाया जाता है, जो अपनी परिवारिक महत्त्वाकांक्षाओं के लिए अत्यंत साहसिक और कट्टरता के साथ काम करती है। वे राजमहल के बाहर स्वतंत्र रूप से राजनीतिक कार्यों में हिस्सा लेती हैं और अपनी आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करती हैं। कैकेयी एक महत्त्वाकांक्षी रानी की भूमिका में पूर्णता के साथ उभरती हैं और राजनीतिक निर्णयों के लिए उदार और प्रगट होती हैं।

कैकेयी के कई गुणों ने उन्हें एक विवादास्पद पात्री बनाया है। उनकी सबसे महत्वपूर्ण गुणधर्म उनकी नीति और बुद्धिमत्ता हैं, जो उन्हें अपने परिवार की रक्षा करने के लिए उच्चतम समाजिक और नैतिक मानकों का पालन करने पर मजबूर करती हैं। हालांकि, इसके बावजूद, उनके कदमों ने रामायण की कथा में घमंड और नीतिबद्धता की उच्चता को भी दर्शाया है। उन्होंने राजा दशरथ को दशरथ नहीं होने के लिए दोषी ठहराया जब उन्होंने राम को अयोध्या के राजा के रूप में चुनने की मांग की। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने राम को वनवास भेजने का निर्णय लिया, जो राम के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया।

कैकेयी का चरित्र द्वितीयकांड के दौरान विस्तारपूर्वक विकसित किया गया है। उनके चरित्र में बदलाव देखने के लिए कई पात्रों के साथ उनके संवाद और प्रतिक्रियाएँ दिखाई गई हैं। उनका मूख्य उद्देश्य अपने पुत्र भरत को राजमहल के राजा के रूप में चुनने की होती है, और उन्होंने इसके लिए उनके पति दशरथ को मनाने के लिए विभिन्न रचनात्मक उपाय अपनाए। उनके चरित्र का यह पहलु दिखाता है कि वे मातृभाव की महत्त्वाकांक्षाओं के लिए उत्साहवान हैं और उन्हें अपने परिवार के लिए उच्चतम भूमिका में देखना चाहती हैं।

कैकेयी का चरित्र भारतीय साहित्य में अपनी विवादास्पद प्रकृति के लिए प्रसिद्ध है। उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का शिकार किया गया है। कुछ लोग कैकेयी को अनुशासनशील, साहसिक, और स्वाभिमानी महिला के रूप में मानते हैं, जो अपने परिवार की सुरक्षा के लिए लड़ती हैं। वे उनकी नीतिबद्धता की प्रशंसा करते हैं और उन्हें अपनी प्रबल व्यक्तित्व के कारण समर्थन देते हैं। हालांकि, दूसरी ओर, कुछ लोग कैकेयी को भ्रष्ट, आदर्शों से विचलित, और अहंकारी महिला के रूप में देखते हैं, जो अपनी नीतिबद्धता के लिए अपराधी मानी जाती है। उन्हें उनके कदमों के कारण घमंड और स्वार्थपरता का दोषी ठहराया जाता है।

समग्र रूप से कहें तो, कैकेयी एक महिला है जिसे उसकी परिवारिक और सामाजिक महत्त्वाकांक्षाएं निरंतर मुड़ाती रहती हैं। उनका चरित्र व्यापकता से विकसित है, जो उन्हें साहसिकता, नीतिबद्धता, और स्वतंत्रता के साथ दिखाता है। वे परिवार के लिए उच्चतम भूमिका का ख्याल रखती हैं, जिसके लिए वे नकारात्मक परिणामों को भी सहन करने को तैयार हैं। कैकेयी का चरित्र एक द्वंद्वात्मक पात्री की उदाहरण है, जिसने विवादास्पद परिणाम लाए हैं और जिसके कारण उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का हिस्सा बना दिया है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.