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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : शूर्पणखा द्वारा रावण को सीता हरण के लिये उकसाना।मारीच का स्वर्ण मृग रूप धारण करना।

रामायण : Episode 31

शूर्पणखा द्वारा रावण को सीता हरण के लिये उकसाना।मारीच का स्वर्ण मृग रूप धारण करना।

अपनी कटी नाक लेकर शूर्पणखा रावण की राजसभा में जाकर दुहाई देती है। उसकी दशा देखकर रावण क्रोधित होता है। वो शूर्पणखा से राम और लक्ष्मण के बारे में सुनता है लेकिन जब रावण को खर दूषण के मारे जाने का पता चलता है तो उसे इसके पीछे देवताओं के षड्यन्त्र का सन्देह होता है। शूर्पणखा रावण को भड़काते के लिये झूठ कहती है कि राम और लक्ष्मण के साथ एक अनुपम सुन्दर स्त्री सीता है और वो भाई रावण के लिये उस स्त्री को उठाने गयी थी तब उन दोनों भाईयों ने उसकी यह दशा की और रावण को चुनौती दी कि यदि उसमें साहस है तो वो स्वयं आकर सीता को ले जाए। सेनापति अकम्पन लंकापति को राम और लक्ष्मण के राजकुल और उनकी वीरता के बारे में बताता है। विभीषण भी राम द्वारा अपने राज्य की रक्षा हेतु असुरों के वध को नीतिसंगत बताते हैं। रावण को विभीषण की बातें अच्छी नहीं लगती। वह राम पर आक्रमण करने को उद्धत होता है। सेनापति अकम्पन रावण को परामर्श देता है कि पहले छलबल से सीता का हरण कर लिया जाये। इससे राम का मनोबल टूट जायेगा और तब आसानी से राम लक्ष्मण को मारा जा सकता है। विभीषण एक बार पुनः परस्त्रीहरण को धर्म विरूद्ध बताते हैं लेकिन रावण कहता है कि धर्म अधर्म का विचार शक्तिहीन करते हैं। महल में रानी मन्दोदरी भी रावण को समझाती है कि राजा की गलती का परिणाम समस्त प्रजा को भोगना पड़ता है। लेकिन शूर्पणखा फिर से सीता की सुन्दरता का बखान कर रावण का मन उनपर आसक्त कर देती है। रावण विमान से मामा मारीच के पास जाता है। मारीच राम के बाण से घायल होने के बाद से सन्यासी बन चुका होता है। रावण उससे मायावी विद्याओं की सहायता माँगता है। मारीच उसे राम की शक्ति के बारे में बताता है। तब रावण चेतावनी देता है कि मारीच उसकी प्रार्थना को राजाज्ञा मानकर पूरी करे अथवा परिणाम भोगने के लिये तैयार हो जाय। मारीच मान जाता है। रावण मारीच को स्वर्ण मृग का रूप धारण कर राम व लक्ष्मण को अपने पीछे भगाने की योजना देता है। मारीच एक बार फिर रावण को समझाता है कि राम से वैर मोल लेकर वो अपने कुल का नाश कर लेगा। अंहकार में डूबा रावण मारीच को दो विकल्प देता है। मारीच अभी इसी क्षण उसके हाथ मरना स्वीकार करे अथवा उसकी आज्ञा का पालन करे। मारीच समझ जाता है कि आज उसकी मौत निश्चित है। वो रावण की बजाय प्रभु राम के हाथों मरना पसन्द करता है और रावण की आज्ञानुसार स्वर्ण मृग का रूप रखकर पर्णकुटी के पास भ्रमण करने लगता है। सीता उसे देखकर मोहित होती हैं और राम लक्ष्मण को बुला लाती हैं। सीता राम से मृग को पकड़ लाने के लिये कहती हैं। लक्ष्मण मृग के अलौकिक रूप से सशंकित होते हैं लेकिन राम कहते हैं कि यदि ये कोई राक्षसी माया है तो उसका अन्त होना भी आवश्यक है। राम लक्ष्मण को सीता की सुरक्षा हेतु कुटिया में रहने को कहते हैं और मृग के पीछे जाते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Hanuman - हनुमान

हनुमान एक प्रमुख हिंदू देवता हैं, जो महाभारत और रामायण काल में प्रमुख भूमिका निभाते थे। हनुमान को वानर सेना का प्रमुख कहा जाता है, जो कि भगवान राम के साथ सीता माता की खोज करने में मदद करने के लिए जानी जाती थी। हनुमान को वानरराज भी कहा जाता है और उन्हें वानरपति के रूप में भी जाना जाता है। वे वायु पुत्र माने जाते हैं और हनुमानजी की पूजा और आराधना भारतीय धार्मिक आदिकार्यों और भक्तों द्वारा व्यापक रूप से की जाती है।

हनुमान का वर्णन करते समय, उनके शरीर की बात करना अनिवार्य है। हनुमान के शरीर का रंग सुनहरा होता है और उनकी सुंदर बालकों वाली चौड़ी लगाम उनकी पहचान है। उनकी आँखें लाल रंग की होती हैं और उनके सर पर मुकुट सजा होता है। हनुमान के हाथ में गदा होता है, जो उनकी महाशक्ति का प्रतीक है। उनके शरीर में शक्ति की ओर संकेत करने वाली तीन चिह्न होते हैं - वज्र, खड्ग और शंख।

हनुमान की प्रमुख कथाओं में से एक हैं कि वे भगवान राम की सेवा करने के लिए लंका जाते हैं और वहां सीता माता का पता लगाते हैं। हनुमान ने अपनी ब्रह्मचर्य और अद्भुत शक्तियों के कारण सभी का मोह खो दिया और वे केवल राम की सेवा में लगे रहे। हनुमान का माना जाता है कि वे देवताओं में अद्वितीय हैं और उनकी आशीर्वाद से सभी संकट और संशयों का नाश हो सकता है।

हनुमान जी के कई नाम हैं, जैसे पवनपुत्र, अंजनीसुत, मारुतिनंदन, बजरंगबली, अविचल, रामदूत, रामभक्त आदि। हिंदू धर्म में हनुमान को भक्ति, वीरता, सेवा और ब्रह्मचर्य के प्रतीक के रूप में मान्यता दी जाती है। उनकी चाल तेज़ होती है और वे अद्भुत बालस्वरूप होते हैं, जो उन्हें सभी की रक्षा करने की क्षमता प्रदान करता है। हनुमान भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके सभी संकटों को दूर करने का प्रयास करते हैं।

हनुमान के कार्यक्षेत्र विशाल हैं और वे धरती, पाताल और स्वर्ग तक के सभी लोकों में अपनी अद्वितीय पहुंच रखते हैं। वे अद्वितीय ब्रह्मचारी होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट बुद्धिमान, साहसी और समर्पित भक्त हैं। हनुमान जी की आराधना और पूजा के द्वारा लोग उन्हें अपनी बुद्धि, बल, समर्पण, और धैर्य में सुधार करते हैं।

हनुमान जी का ध्यान मन्त्र बहुत प्रसिद्ध है, जिसका उच्चारण भक्तों को ऊर्जा, शक्ति और सुख का आनंद प्रदान करता है। हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र भक्तों के बीच काफी प्रचलित हैं और उनकी पाठ और गायन से लोग उन्हें आनंदित होते हैं।

हनुमान को भारतीय धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता माना जाता है, जिसकी पूजा और आराधना से भक्त उनसे आशीर्वाद, सुख, शक्ति और आनंद की प्राप्ति करते हैं। हनुमान जी द्वारा प्रदर्शित की गई सेवा और वीरता की प्रेरणा से लोग भी वीरता, समर्पण, और धैर्य की प्राप्ति करते हैं। हनुमान जी का ध्यान और आराधना करके भक्त अपने जीवन को धार्मिक और सफल बनाने के साथ-साथ आत्मविश्वास और प्रगति को प्राप्त करते हैं।

सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में हनुमान जी को उनकी वीरता, निष्ठा, और सेवाभाव के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनकी कथाएं, कार्यक्षेत्र, गुण, और महिमा लोगों के मन में गहरी भक्ति और आदर का संचार करती हैं। हनुमान जी का अधिकारिक स्थान हिंदू पंथ के मुख्य देवताओं में है, और उन्हें देश और विदेश में लाखों भक्तों द्वारा मान्यता दी जाती है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.