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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : जटायु से भेंट। पंचवटी निवास। शूर्पणखा प्रसंग।

रामायण : Episode 29

जटायु से भेंट। पंचवटी निवास। शूर्पणखा प्रसंग।

दण्डकवन में राम, लक्ष्मण और सीता की भेंट महर्षि अगस्त्य से होती है। यहाँ अभूतपूर्व दृश्य उपस्थित होता है। तीनों अगस्त्य को प्रणाम करते हैं तो अगस्त्य उन्हें भी प्रणाम करते हैं। राम और अगस्त्य भी परस्पर एक दूसरे से आशीष लेते और देते हैं। वस्तुतः महर्षि अगस्त्य जानते हैं कि देवताओं के उद्देश्य को पूरा करने हेतु स्वयं भगवान विष्णु, शेषनाग और देवी लक्ष्मी उनके आश्रम पधारे हैं। राम धरती पर अवतरित होने का उद्देश्य पूर्ण करें, इसके लिये महर्षि अगस्त्य उन्हें पंचवटी में कुटिया बनाकर रहने का परामर्श देते हैं। यहाँ से राक्षसों की छावनी निकट है। अगस्त्य दिव्य शक्ति से जान लेते हैं कि राम के सामने अब संकटों का दौर शुरू होने वाला है इसलिये वे उन्हें अनेक दैवीय अस्त्र शस्त्र प्रदान करते हैं। इसमें विश्वकर्मा द्वारा निर्मित भगवान विष्णु का धनुष शामिल है जो अकाट्य है। वे राम लक्ष्मण को अक्षय तुण्डीर देते हैं, इसमें रखे चारों बाण शत्रु का नाश करने के बाद तुण्डीर में वापस आ जाते हैं। महर्षि अगस्त्य तीनों लोकों पर जीत दिलाने में सक्षम तलवार लक्ष्मण को देते हैं। वे शिव का वो अमोघ बाण भी राम को देते हैं जिससे उन्होंने त्रिपुरासुर का वध किया था। राम पंचवटी को रवाना होते हैं। गोदवारी नदी के पास उन्हें गिद्धराज जटायु मिलते हैं। देवासुर संग्राम में जटायु की राजा दशरथ से मित्रता हो गयी थी। जटायु उन्हें बताते हैं कि महर्षि कश्यप के दो पुत्र थे। एक पुत्र गरूण भगवान विष्णु की सेवा में गये तो दूसरा पुत्र अरूण भगवान सूर्य में लीन हो गये। जटायु इन्हीं अरूण के पुत्र हैं। जटायु उन्हें पंचवटी की रक्षा का वचन देते हैं। लक्ष्मण पंचवटी में बहुत ही सुन्दर पर्णकुटी का निर्माण करते हैं। वनवास को बारह वर्ष बीत चुके हैं। सीता शेष दो वर्ष पंचवटी में रहने की इच्छा व्यक्त करती हैं। राम माता कौशल्या को याद कर बहुत अधीर होते हैं। अब वनवास का शेष समय काटना राम और कौशल्या दोनों के लिये कठिन साबित हो रहा है। लेकिन राम के जीवन की सबसे कठिन परीक्षा की घड़ी मुँह बाये खड़ी हो जाती है। एक दिन आकाश मार्ग से जाते समय राक्षसी शूर्पणखा पंचवटी में ध्यानमग्न राम को देखती है। वह उनपर मोहित हो जाती है। शूर्पणखा एक सुन्दर नारी का रूप रखकर राम के रामने आती है और उनका ध्यान भंग कर अपना परिचय देती है। शूर्पणखा कहती है कि वह महर्षि पुलत्स्य के पौत्र व ऋषि विश्रवा के पुत्र रावण की बहन है। वह अपने भाईयों कुम्भकरण, खर व दूषण के बारे में भी बताती है और राम के समक्ष प्रणय निवेदन करती है। राम शूर्पणखा को अपनी पत्नी सीता का परिचय देते हैं। शूर्पणखा सीता को खा जाने अथवा उन्हें दासी बनाकर रखने का विकल्प देकर राम पर विवाह के लिये पुनः जोर देती है। राम शूर्पणखा को उकसाते हुए मना करते हैं। तभी शूर्पणखा की कामुक दृष्टि लक्ष्मण पर पड़ती है। अब वह उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव लेकर जाती है। लक्ष्मण शूर्पणखा से कहते हैं कि वो अपने भाई के दास है, शूर्पणखा को दास और स्वामी के बीच का अन्तर समझना चाहिये। लक्ष्मण शूर्पणखा को फिर से राम के पास जाकर प्रणय प्रस्ताव रखने को कहते हैं। शूर्पणखा इससे अकुला जाती है। उसे लगता है कि सीता के कारण राम उसका प्रणय प्रस्ताव अस्वीकार कर रहे हैं। वो अपने असली राक्षसी रूप में आकर सीता पर हमला करती है। तभी राम का संकेत पाकर लक्ष्मण तलवार से शूर्पणखा की नाक काट देते हैं। शूर्पणखा इस अपमान का बदला लेने की चेतावनी देकर वहाँ से चली जाती है। राम कुछ बुरा घटने को लेकर सशंकित होते हैं। वे लक्ष्मण को सचेत रहने को कहते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Lord Rama - भगवान राम

भगवान राम भारतीय मिथक और धर्मग्रंथों में एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं। वे प्राचीन भारतीय काव्य महाकाव्य रामायण के मुख्य पात्र हैं और हिंदू धर्म में एक आदर्श पुरुष के रूप में पूजे जाते हैं। राम अयोध्या के सम्राट दशरथ के एकमात्र पुत्र थे और उनकी पत्नी का नाम सीता था। राम अपने जीवन के लिए न्याय, सत्य और धर्म के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं।

राम ने अपने जीवन में अनेक महान कर्म किए। उनका प्रमुख कार्य रावण नामक राक्षस के प्रति युद्ध करना था। राम और उनके भक्त वानर सेना ने लंका पर आक्रमण किया और रावण को मार गिराया। इससे पहले राम ने अपनी पत्नी सीता को उसी द्वारा किये गए अपहरण के बाद छोड़ने के लिए खोजने का प्रयास किया।

राम के जीवन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू हैं, उनका वनवास। उन्हें पिता की अभियोग्य वचन सत्य करने के लिए 14 वर्षों तक वन में व्यतीत करना पड़ा। राम, सीता और उनके चहेते भाई लक्ष्मण ने अयोध्या को छोड़कर अज्ञातवास में रहते हुए वन में बहुत संघर्ष किया। उन्होंने वन में आश्रमों का निर्माण किया, राक्षसों से युद्ध किया और धर्म का पालन किया।

राम एक अत्यंत धैर्यशाली, उदार और सहनशील पुरुष थे। उन्होंने अपने दोस्तों, अनुयायियों, साधु-संतों, वानरों और गरीबों की सहायता की। राम का प्रमुख गुण संयम था और उन्होंने हमेशा सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का पालन किया। उन्होंने अपनी पत्नी सीता के प्रति वफादारी और प्रेम दिखाया और उन्हें उनकी प्राथमिकता के रूप में स्वीकारा।

रामायण में राम के साथ जुड़ी कई प्रमुख कथाएं हैं, जैसे की शबरी और सुग्रीव की मित्रता, हनुमान के वीरता, लक्ष्मण की समर्पण और रावण के वध की कथा। इन कथाओं के माध्यम से, राम ने अच्छाई, सत्य, उदारता, और न्याय के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।

राम ने अपने जीवन में बहुत सारे परीक्षणों का सामना किया और सभी परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखा। उन्होंने धर्म का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों को पूरा किया और धर्म के लिए लड़ने के लिए अपनी शक्ति का सही उपयोग किया।

भगवान राम के जीवन के आदर्श और मूर्तिमान बने रहने के कारण, वे हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व रखते हैं। उनके जीवन का अध्ययन नये पीढ़ी को आदर्श और मार्गदर्शन प्रदान करता है। उनकी वीरता, साहस, धैर्य, और न्यायप्रिय आचरण लोगों के मन में उन्हें सदैव याद रखने के लिए बना रखते हैं।

इस प्रकार, भगवान राम एक प्रमुख धार्मिक चरित्र हैं जो विभिन्न महान कार्यों के माध्यम से अद्वितीयता, साहस, और आदर्श दिखाते हैं। उनकी कथाएं और उनके आदर्शों का अनुसरण करने से हम सब एक उच्चतम और धार्मिक जीवन जी सकते हैं। रामायण के माध्यम से राम का चरित्र और उनके महान कर्म हमेशा हमारे साथ रहते हैं और हमें सत्य, न्याय, और परम धर्म की ओर प्रेरित करते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.