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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सीता-अनसूया मिलन | पतिव्रत धर्म का ज्ञान | विराध वध | शरभंग प्रसंग

रामायण : Episode 27

सीता-अनसूया मिलन | पतिव्रत धर्म का ज्ञान | विराध वध | शरभंग प्रसंग

मिथिला की रानी सुनयना अयोध्या की राजमाता कौशल्या से मिलने आती हैं। कौशल्या उनके समक्ष शर्मिन्दा हैं कि उनकी बेटी सीता राजरानी बनने की बजाय वन के दुःख भोग रही है। किन्तु सुनयना अपनी बेटियों के कर्तव्य पथ पर डटे रहने से गौरवान्वित हैं। सुनयना उर्मिला, माण्डवी और श्रुतकीर्ति को कैकेयी से सीख लेने को कहती है जिससे वे मंथरा जैसी कुटिल दासियों से बच कर रहें। वे अपनी पुत्रियों को तभी मायके आने को कहती हैं जब ससुराल में सब कुछ ठीक हो जाए। उधर राम दण्डाकारण्य जाने से पहले ऋषि अत्रि के आश्रम में पहुँचते हैं। यहाँ राम सीता को अत्रि ऋषि की पत्नी सती अनुसूइया से मिलवाते हैं और उन्हें बताते हैं कि दस वर्षो तक सूखा पड़ने पर माता अनुसूइया ने कठिन तपस्या करके गंगा मैया को प्रसन्न किया था और उनकी एक धारा मन्दाकिनी को चित्रकूट तक लायीं थी। राम सीता से माता अनुसूइया से सीख लेने को कहते हैं। सती अनुसूइया को धरती पर परम पतिव्रता स्त्रियों में गिना जाता है। वे सीता को पतिव्रत धर्म का ज्ञान देती है। वे सीता के पति संग वनगमन की प्रशंसा करती हैं। माता अनुसूइया बताती हैं कि धीरज, धर्म, मित्र और नारी की परख आपतकाल में होती है और उन्हें राम के इस आपतकाल में पूरा साथ देना चाहिये। वे सीता को कभी मलिन न पड़ने वाले दिव्य वस्त्र व आभूषण भी प्रदान करती हैं। ऋषि अत्रि राम को दण्डकारण्य में सबसे शरभंग मुनि के आश्रम में जाने को कहते हैं क्योंकि शरभंग अपनी देह त्यागने से पहले राम के दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऋषि अत्रि उन्हें दण्डकारण्य के नरभक्षी राक्षसों से सावधान भी करते हैं। राम उन्हें इस क्षेत्र को राक्षसमुक्त करने का वचन देते हैं। दण्डकारण्य की सीमा पर विशालकाय राक्षस विराध राम का मार्ग रोकता है। वह हाथी की भाँति चिंघाड़ते हुए बुरी नीयत से सीता को अपनी मुठ्ठी में उठा लेता है। वह राम और लक्ष्मण द्वारा चलाये गये बाणों को तीली की भाँति मसल देता है। तब दोनों भाईयों ने अभिमंत्रित बाणों से उसकी दोनों भुजाएं काट दीं। राम लक्ष्मण और सीता यहाँ से आगे बढ़ते हैं और शरभंग मुनि के आश्रम तक पहुँचते हैं। ठीक उसी समय देवराज इन्द्र का विमान वहाँ उतरता है। इन्द्र मुनिवर को सशरीर इन्द्रलोक ले जाने स्वयं आये हैं। लेकिन शरभंग मुनि उन्हें यह कहकर वापस भेज देते हैं कि इस समय वे इन्द्रलोक जाने की बजाय एक विशेष अतिथि के आने की प्रतीक्षा करेंगे। राम शरभंग मुनि से मिलते हैं। मुनिवर कहते हैं कि राम के दर्शन के सामने इन्द्र का निमन्त्रण बहुत तुच्छ था। शरभंग ऋषि अपने तपोबल से अर्जित समस्त सिद्धियाँ राम को देना चाहते हैं किन्तु राम इसे पुरुषार्थ के विरूद्ध बताते हैं। शरभंग मुनि राम को अन्तिम प्रणाम कर योगाग्नि से अपने पार्थिव शरीर को स्वयं भस्म करके अविनाशी पथ की ओर जाते हैं। राम उनकी शान्ति के लिये ओम का उच्चारण करते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Ahilya - अहिल्या

अहिल्या रामायण में एक प्रमुख पात्र है जिसकी विदाई कहानी अत्यंत रोमांचक है। वह एक राजमहिला थी जो अपनी शानदार सुंदरता के लिए मशहूर थी। अहिल्या को भगवान गौतम ऋषि की पत्नी के रूप में जाना जाता है। वह एकमात्र राजमहिला थी जिसने अपने आप को विधवा का दर्जा दिया था जब उनके पति की मृत्यु हो गई।

अहिल्या ने राजमहल की दीर्घ विरासत को सुरक्षित रखा था और उनके राजसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह धर्म, संस्कृति और कला के दृष्टिकोण से महान थीं और उनके राज्य के लोग उन्हें प्रेम और सम्मान से देखते थे। उनका व्यक्तित्व गर्व, सहानुभूति और सद्भावना से भरा हुआ था। उन्होंने जीवन के धन्य और निर्मल उदाहरण स्थापित किए थे और अपनी अद्भुत साहसिक कथाएं सुनाई थीं। वे अपने दरबार में न्याय के प्रतीक थे और लोगों के आदर्श हीरो थे।

हालांकि, अहिल्या की खूबसूरती और प्रभावशाली व्यक्तित्व के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा था। वह एक दिन गौतम ऋषि के आश्रम में जाने का निर्णय लिया, जहां उन्हें अपनी मातृभाषा, तत्त्वज्ञान और ध्यान की ज्ञान प्राप्त होती है। यह आश्रम एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान था जहां ऋषियों और तपस्वियों का आवास था।

अहिल्या ऋषि गौतम के पास पहुंची और उन्हें धर्माचार्य के रूप में पूजा करने की निवेदन की। ऋषि गौतम, अहिल्या के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, ध्यान के माध्यम से उनके मन में निर्मलता के लिए प्रकाश डालने की विधि सिखाते हैं।

एक दिन, अहिल्या भगवान गौतम की कड़ी तपस्या को बहुत ही अभिभूत होकर, उन्हें मोहित करने का प्रयास करती हैं। ध्यान के माध्यम से, ऋषि गौतम सभी आंतरिक बाधाओं को पहचानते हैं और जानते हैं कि अहिल्या की मनमानी और आत्मविश्वास का कारण उसकी शानदार सुंदरता है।

गौतम ऋषि की प्रतिक्रिया में, वे अहिल्या को शाप देते हैं कि वह पत्नी रूप से असह्य दोषों में रहेगी और केवल भगवान राम के संदेश से ही मुक्ति पा सकेगी। वे भगवान राम से विनती करते हैं कि वह अहिल्या को शाप से मुक्त करें।

अहिल्या का जीवन एक समय से बदल जाता है। वह तपस्विनी बनती है, जो अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगती है और नई आदर्शों की प्राप्ति के लिए प्रयास करती है। भगवान राम उनके सामर्थ्य, साहस और परिश्रम को देखकर विश्वास रखते हैं और अहिल्या को शाप से मुक्त करते हैं।

अहिल्या अपने नये जीवन को ग्रहण करती हैं और वह भगवान राम के साथ जुड़कर मानवता के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण बनती हैं। उनकी कथा एक प्रेरणादायक संदेश देती है कि चाहे हम जैसे भी हों, हमें हमारे अवगुणों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा सत्य, धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए।

अहिल्या रामायण का एक महत्वपूर्ण और आदर्श पात्र है जो भगवान राम के जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रकट होती है। उनकी कहानी हमें उत्कृष्टता, ध्यान, और साहस की महत्ता को समझाती है और हमें सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, हम अपने अवगुणों को सच्चाई, प्रेम और परम धर्म के साथ समाप्त कर सकते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.