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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : भरत-शत्रुघ्न का आगमन और शोक। भरत-कौशल्या संवाद।

रामायण : Episode 21

भरत-शत्रुघ्न का आगमन और शोक। भरत-कौशल्या संवाद।

राजा दशरथ का पार्थिव शरीर अन्तिम दर्शनों के लिये रघुकुल के पूर्वजों के कक्ष में रखा है। पूरी अयोध्या नगरी शोक में डूबी है। महर्षि वशिष्ठ दशरथ को धर्म और सत्य के लिये प्राणों की आहुति देने वाला महात्मा बताकर उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। मंत्री सुमन्त राजा की अन्तिम आज्ञा पूरी न कर पाने की ग्लानि के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। कैकयी समेत तीनों रानियाँ भी अश्रुपूरित नेत्रों से पुष्प अर्पित करती हैं। राजा दशरथ के अन्तिम संस्कार और राज्य को नया राजा देने के लिये महर्षि वशिष्ठ भरत व शत्रुघ्न को ननिहाल से बुलाने का निर्णय लेते हैं। भरत के आने तक कार्यकारी दायित्व सुमन्त को सौंपे जाते हैं। वशिष्ठ एक अन्य मंत्री श्रीधर को भरत को लिवाने कैकेय देश भेजते हैं और विशेष निर्देश देते हैं कि वहाँ राम वनवास और दशरथ के निधन की सूचना न दी जाय और सामान्य भाव से भरत को अयोध्या लाया जाय। श्रीधर से वशिष्ठ का सन्देश पाकर भरत और शत्रुघ्न अपने नानाजी से आशीर्वाद लेकर अयोध्या आते हैं। भरत को मार्ग में नगरवासियों से तिरस्कार और महल में उदास वातावरण मिलता है। इससे वे चिन्तित होते हैं। मंथरा उन्हें माता कैकेयी के कक्ष में ले जाती है जहाँ उसने भरत की स्वागत आरती का प्रबन्ध कर रखा है। लेकिन कैकेयी वैधव्य रूप में हैं। भरत इसका कारण पूछते हैं। कैकेयी उन्हें उनके पिता राजा दशरथ के परलोक सिधारने का समाचार देती है। भरत के कन्धे से धनुष गिर पड़ता है। कैकेयी भरत को सांत्वना देने का प्रयास करती है। जब भरत को यह पता चलता है कि मृत्यु से पहले उनके पिता भैया राम को चौदह वर्ष के लिये वनवास भेज चुके हैं तो वो माता से इसका कारण पूछते हैं। कैकेयी उन्हें अपने दोनों वरदान के बारे में बताते हुए धूर्त वाणी से कहती है कि अब अयोध्या के साम्राज्य पर वो निष्कंटक राज्य कर सकता है। भरत अपनी माता कैकेयी के इस कृत्य पर क्रोधित होते हैं। वे कैकेयी का वध करना चाहते हैं लेकिन भैया राम का विचार कर ऐसा करने से रुक जाते हैं। फिर भी वे माता कैकेयी का सदैव के लिये परित्याग करने और भैया राम को वन से वापस लाने की घोषणा कर कक्ष से बाहर चले जाते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Shurpanakha - शूर्पणखा

शूर्पणखा भारतीय महाकाव्य रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र है। वह एक राक्षसी है जिसे वाल्मीकि द्वारा दिए गए महाकाव्य में विस्तार से वर्णित किया गया है। शूर्पणखा का नाम संस्कृत में "चुभने वाली नखें" का अर्थ होता है। वह रावण की बहन है और खूबसूरती और अत्यधिक बुद्धिमान होने के कारण अपने भाई के नेतृत्व में राक्षसों की सेना में शामिल होती है।

शूर्पणखा का वर्णन रामायण में बहुत ही रोचक है। वह सुंदरता की प्रतीक है और उसकी बड़ी नखें उसके चेहरे को और अधिक आकर्षक बनाती हैं। उसके बाल लम्बे और काले होते हैं और उसकी आँखों में शातिरता और कर्मठता की चमक होती है। शूर्पणखा वाल्मीकि के काव्य में अभिप्रेत पात्रों में से एक है जो रामायण की कहानी को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण काम करती है।

शूर्पणखा के पास असाधारण शक्ति होती है और वह दूसरों को राक्षस बनाने की क्षमता रखती है। उसका स्वभाव उत्तेजित और प्रबल होता है और वह आसानी से राक्षसों की सेना का नेतृत्व कर सकती है। शूर्पणखा की प्रधान पहचान उसकी खुदाई की जाती है, जिसमें उसके पैरों के निशान भी दिखाई देते हैं। वह उसे अपनी राक्षसी शक्ति और प्रबलता का प्रतीक मानती है और इसे अपने भाई रावण को दिखाने के लिए उपयोग करती है।

शूर्पणखा के अभिप्रेत कार्यों में से एक राम के पास पहुंचकर उसे प्रेम करने का प्रयास करना है। जब वह राम को देखती है, तो उसकी सुंदरता और प्रभाव में मग्न हो जाती है और उसे उससे प्रेम हो जाता है। वह राम को प्रतिबिंबित करने के लिए अपने भाई खर और दूषण के साथ राम के निवासस्थान पर आती है।

हालांकि, शूर्पणखा का प्रेम प्रकट होने पर राम उसे अपनी पत्नी सीता के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, शूर्पणखा भयानक रूप में तब्दील हो जाती है और उसे लक्ष्मण द्वारा नास्तिक्रियता का दंड दिया जाता है।

शूर्पणखा का पात्र रामायण के कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण बदलाव प्रदान करता है। उसकी प्रेम कथा उसकी उच्चता और विपरीतता को दर्शाती है जहां प्रेम निःस्वार्थ और सत्य होने के बावजूद उसका परिणाम विनाशकारी हो जाता है। शूर्पणखा का चरित्र रामायण के पुरुषार्थ, धर्म, और नर और नारी के संबंधों को गहराई से समझने का एक माध्यम है। उसकी कथा द्वारा हमें यह भी सिखाया जाता है कि न केवल दया और प्रेम में ही जीवन का अर्थ होता है, बल्कि सत्य, धर्म, और अपने कर्तव्यों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।

शूर्पणखा रामायण की एक प्रमुख चरित्र है जो राम, सीता, और लक्ष्मण की कथा में एक महत्वपूर्ण संचालक है। उसका पात्र उदारता, सुंदरता, अपार बुद्धिमत्ता, और राक्षसी शक्ति के साथ भरा होता है। शूर्पणखा की कथा हमें अदालती, स्वार्थ, और सम्प्रेषण के मामलों में विवेचना करने के लिए प्रेरित करती है। उसकी कथा द्वारा हमें यह भी समझने का अवसर मिलता है कि आत्म-प्रतिष्ठा और विश्वास का महत्व क्या होता है और धर्म के मार्ग में बरकरार रहना क्यों जरूरी है। शूर्पणखा रामायण की पाठशाला में एक महत्वपूर्ण चरित्र है जो हमें धर्म, नैतिकता, और जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को समझाने में मदद करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.