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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : श्रवण कुमार प्रसंग। दशरथ की मृत्यु

रामायण : Episode 20

श्रवण कुमार प्रसंग। दशरथ की मृत्यु

मंत्री सुमन्त राजमहल में जाने से पहले महर्षि वशिष्ठ के आश्रम जाते हैं और उनसे राजमहल साथ चलने का निवेदन करते हैं। वस्तुतः जाते समय राजा दशरथ ने सुमन्त से कहा था कि वो राम को वन में दो चार दिन रहने के बाद वापस ले आयें। राम न आयें तो कम से कम सीता को अवश्य वापस ले आयें। लेकिन सुमन्त इस कार्य में विफल रहते हैं। सुमन्त का विचार है कि यदि महर्षि वशिष्ठ साथ होंगे तो वे अपने वचनों से स्थिति संभाल लेंगे। दशरथ सुमन्त को राम सीता के बिना देखकर व्याकुल होते हैं। महर्षि वशिष्ठ उन्हें नीतिज्ञान देते हैं। रानी कैकयी के महल में मंथरा सुमन्त के अकेले वापस आने का समाचार पहुँचाती है। कैकयी उससे दशरथ की स्थिति के बारे में पूछती है। बिस्तर पड़े दशरथ को अपना अन्त समय निकट जान पड़ता है। उन्हें कुछ भी दिखना बन्द हो जाता है, तब उन्हें श्रवण कुमार के अंध माता पिता द्वारा दिया गया श्राप स्मरण आता है। दशरथ अपनी युवावस्था में आवाज की दिशा में निशाना लगाने में निपुण थे। एक बार आखेट के दौरान वे झाड़ियों में छिपकर सरयू नदी में किसी जंगली जानवर के पानी पीने आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। तभी उन्हें पानी में हलचल की आवाज सुनायी पड़ी। उन्होने शब्दभेदी बाण चलाया जो लक्ष्य पर लगा। किन्तु किसी मानव की चीत्कार सुनकर वे भाग कर वहाँ गये और एक युवक के सीने पर अपना बाण लगा पाया। यह युवक कोई और नहीं, अपने अंध माता पिता को तीर्थयात्रा कराने निकला श्रवण कुमार था। प्राण निकलने से पहले श्रवण कुमार दशरथ से प्रार्थना करता है कि उसके माता पिता प्यासे हैं। वे उन्हें जल अवश्य पिला दें। दशरथ कलश में जल लेकर श्रवण कुमार के अंध माता पिता के पास जाते हैं। वे पश्चाताप में डूबे हुए हैं। दशरथ के हाथों से कलश लेते समय हाथ का स्पर्श होने से अंधा पिता समझ जाता है कि आगन्तुक उसका पुत्र नहीं है। दशरथ उन्हें श्रवण की मृत्यु के बारे में बताते हैं। पुत्र के मौत का समाचार सुन उसकी माता बिना पानी पिये प्राण त्याग देती हैं। अंध पिता भी अपने प्राण त्यागने का निर्णय लेता है किन्तु मरने से पहले दशरथ को श्राप देता है कि वो भी उनकी तरह पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर मरेंगे। इस पुरानी बात को स्मरण करते हुए दशरथ धरती पर गिर पड़ते हैं और राम राम कहते हुए अपने प्राण त्याग देते हैं। उधर पर्णकुटी में राम को ध्यान योग के दौरान पिता का रथ आकाश मार्ग से जाने का अहसास होता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sage Vasishta - मुनि वसिष्ठ

मुनि वसिष्ठ रामायण महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। वह एक प्रमुख ऋषि हैं और वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण के कथानक में महाराज दशरथ के परिवार के गुरु बने हुए हैं। मुनि वसिष्ठ एक पूर्वज ब्रह्मा जी के मनस्पुत्र और सृष्टि के पिता हैं। वे ब्रह्मा जी के आदेश पर आकाशगंगा से उत्पन्न हुए थे।

मुनि वसिष्ठ एक अत्यंत ज्ञानी और साधु ऋषि हैं। उन्होंने अनेकों शिष्यों को ज्ञान और आध्यात्मिकता की शिक्षा दी है। वे शान्तिपूर्ण, धर्मात्मा, और न्यायप्रिय हैं। मुनि वसिष्ठ का आदर्श जीवन और आचरण उन्हें एक प्रमुख आचार्य बनाता है। उन्होंने सत्य, धर्म, और न्याय के मार्ग पर चलने का उदाहरण प्रस्तुत किया है।

मुनि वसिष्ठ का शरीर और मन शुद्ध और पवित्र है। वे संतानों के सच्चे पिता के रूप में माने जाते हैं। उनकी महानता और तपस्या ने उन्हें देवर्षि के रूप में प्रस्तुत किया है। मुनि वसिष्ठ को दिव्य दृष्टि है और वे भूत, भविष्य और वर्तमान की ज्ञानी हैं।

मुनि वसिष्ठ ने महाराज दशरथ को धर्म का अच्छा पालन करने की सलाह दी और उन्हें वेदों का ज्ञान दिया। वे राजा के मन्त्री हैं और राजनीतिक मामलों में महाराज की सलाह देते हैं। उनके अद्वितीय बुद्धि और न्यायप्रिय मतों के कारण उन्हें राजा और प्रजा का आदर्श आचार्य माना जाता है।

मुनि वसिष्ठ के आध्यात्मिक शिष्यों में से एक थे राजा हरिष्चंद्र और उन्होंने उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान का उपदेश दिया। मुनि वसिष्ठ का ज्ञान और अनुभव उन्हें आध्यात्मिक और लोकाचार सम्प्रदाय का समझदार और अच्छा नेतृत्व करने में मदद करता है।

मुनि वसिष्ठ एक परम ऋषि होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ गुरु भी हैं। उनके पास अद्वितीय ज्ञान, आध्यात्मिक शक्ति और तत्त्वज्ञान की अमूल्य धारा है। मुनि वसिष्ठ ने श्री राम को शास्त्रों का ज्ञान और सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया था। उनकी आध्यात्मिक शिक्षा ने श्री राम को धार्मिक और मानवीय मूल्यों का समझने में मदद की।

मुनि वसिष्ठ ने अपने जीवन में अनेक यज्ञ और तप किए हैं। उन्होंने देवताओं के लिए हवन और पूजा की विधि का ज्ञान प्राप्त किया है। वे तपस्या और आध्यात्मिक साधना में प्रवीण थे और इसलिए देवर्षि के रूप में अत्यधिक प्रशंसा प्राप्त करते हैं।

मुनि वसिष्ठ एक अत्यंत गर्वित और विनम्र व्यक्ति हैं। उनके प्रति लोगों का सम्मान और आदर्शन अपार है। उनका विचारधारा और उपदेश लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। उनका प्रतिष्ठान पूरे ऋषि समुदाय में उच्च है और उन्हें आदर्श ऋषि का दर्जा प्राप्त है।

यथार्थ में, मुनि वसिष्ठ एक प्रतिष्ठित और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उनकी सच्ची भक्ति, न्यायप्रिय मतभेद और आध्यात्मिक शक्ति उन्हें अद्वितीय बनाती हैं। उनका चरित्र और आचरण लोगों के मन, विचार और जीवन को प्रभावित करता है।

यहां तक कि आज भी, मुनि वसिष्ठ का चरित्र और जीवन लोगों के द्वारा मान्यता प्राप्त करते हैं और उन्हें एक महान आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्मरण किया जाता है। उनका योगदान रामायण की कथा में महत्वपूर्ण है और उन्होंने श्री राम को आध्यात्मिक और धार्मिक राजनीति का ज्ञान दिया है।

समर्पित ऋषि और आचार्य के रूप में, मुनि वसिष्ठ ने लोगों को धार्मिकता, सत्य, न्याय और आध्यात्मिकता के मार्ग पर प्रेरित किया है। उनकी गहन ज्ञान और आध्यात्मिक अनुभव से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति का ज्ञान मिला है। वे एक महान व्यक्ति हैं जिनका योगदान रामायण के कथानक को आध्यात्मिक और धार्मिक रूप में संपूर्ण करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.