×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ व श्री राम का जन्म

रामायण : Episode 1

राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ व श्री राम का जन्म

ब्रह्मा और महादेव के वरदान से राक्षसराज रावण को असीम शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। रावण इन शक्तियों का उपयोग पृथ्वी और देव लोक के विनाश के लिये करने लगता है। उसके पापकर्मो से पृथ्वी पर धर्म और सत्य की हानि होने लगती है। पृथ्वी पर असुरों की शक्तियाँ बढ़ने लगती हैं और साधु-सन्तों की शक्तियाँ उनका प्रतिकार नहीं कर पाती है। रावण से भयभीत सभी देवी देवता जानते हैं कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ने लगता है तो धर्म की पुनर्स्थापना के लिये भगवान को मानव रूप में अवतार लेना होता है। इसी आशा के साथ वे सभी भगवान विष्णु के पास गुहार लगाने जाते हैं। उधर पृथ्वी पर अयोध्या के राजा दशरथ अपनी कोई सन्तान न होने के कारण चिन्तित हैं। उन्हें अपने राज्य के लिए उत्तराधिकारी चाहिये। समस्या निवारण के लिये राजा अपनी रानियों के साथ महर्षि वशिष्ठ के पास जाते हैं। वशिष्ठ उन्हें पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्ठि यज्ञ का उपाय सुझाते हैं। रानी कौशल्या महर्षि वशिष्ठ से यज्ञ करने का निवेदन करती हैं किन्तु वशिष्ठ उन्हें बताते हैं कि इस यज्ञ को अथर्व वेद के ज्ञाता श्रृंग मुनि ही सम्पन्न करा सकते हैं। छोटी रानी कैकेयी श्रृंग मुनि को आमंत्रित करने की बात कहती हैं, किन्तु महर्षि वशिष्ठ उन्हें टोकते हैं कि दशरथ को राजा बनकर नहीं, एक याची के रूप में स्वयं उनके पास जाना होगा। राजा दशरथ नंगे पांव श्रृंग मुनि के आश्रम जाते हैं और अपने आँसुओं से उनकी चरण वन्दना करते हैं। श्रृंग मुनि अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और उनका मनोरथ पूर्ण करने के लिये यज्ञ करते हैं। यज्ञकुण्ड से अग्निदेव प्रकट होते हैं और राजा दशरथ को खीर के एक पात्र के साथ इच्छापूर्ति का वरदान देते हैं। दशरथ वह खीर कौशल्या व कैकेयी को खाने के लिये दे देते हैं। दोनो रानियां स्नेहवश अपनी खीर का आधा-आधा अंश छोटी रानी सुमित्रा को दे देती हैं। समय बीतने के साथ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में तीनों रानियों को पुत्र प्राप्ति होती है। बड़ी रानी कौशल्या और मंझली रानी कैकेयी को एक-एक पुत्र और खीर के दो अंश मिलने के कारण छोटी रानी सुमित्रा को जुड़वां पुत्र होते हैं। इसके साथ ही देवी-देवताओ और पृथ्वीवासियों की प्रतीक्षा की घड़ी समाप्त होती है। महर्षि वशिष्ठ द्वारा चारो बच्चों का नामकरण किया जाता है। वशिष्ठ कहते हैं कि धर्म और सत्य की रक्षा करने के लिए और अखिल विश्व को आनंद देने आये ज्येष्ठ पुत्र का दो अक्षर का नाम “राम“ होगा, रानी कैकेयी के पुत्र का नाम “भरत“ और रानी सुमित्रा के जुड़वाँ पुत्रों के नाम “लक्ष्मण और शत्रुघ्न“ होंगे। महर्षि वशिष्ठ चारों भ्राताओं में परस्पर अटूट प्रेम रहने की भविष्यवाणी भी करते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sage Vasishta - मुनि वसिष्ठ

मुनि वसिष्ठ रामायण महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। वह एक प्रमुख ऋषि हैं और वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण के कथानक में महाराज दशरथ के परिवार के गुरु बने हुए हैं। मुनि वसिष्ठ एक पूर्वज ब्रह्मा जी के मनस्पुत्र और सृष्टि के पिता हैं। वे ब्रह्मा जी के आदेश पर आकाशगंगा से उत्पन्न हुए थे।

मुनि वसिष्ठ एक अत्यंत ज्ञानी और साधु ऋषि हैं। उन्होंने अनेकों शिष्यों को ज्ञान और आध्यात्मिकता की शिक्षा दी है। वे शान्तिपूर्ण, धर्मात्मा, और न्यायप्रिय हैं। मुनि वसिष्ठ का आदर्श जीवन और आचरण उन्हें एक प्रमुख आचार्य बनाता है। उन्होंने सत्य, धर्म, और न्याय के मार्ग पर चलने का उदाहरण प्रस्तुत किया है।

मुनि वसिष्ठ का शरीर और मन शुद्ध और पवित्र है। वे संतानों के सच्चे पिता के रूप में माने जाते हैं। उनकी महानता और तपस्या ने उन्हें देवर्षि के रूप में प्रस्तुत किया है। मुनि वसिष्ठ को दिव्य दृष्टि है और वे भूत, भविष्य और वर्तमान की ज्ञानी हैं।

मुनि वसिष्ठ ने महाराज दशरथ को धर्म का अच्छा पालन करने की सलाह दी और उन्हें वेदों का ज्ञान दिया। वे राजा के मन्त्री हैं और राजनीतिक मामलों में महाराज की सलाह देते हैं। उनके अद्वितीय बुद्धि और न्यायप्रिय मतों के कारण उन्हें राजा और प्रजा का आदर्श आचार्य माना जाता है।

मुनि वसिष्ठ के आध्यात्मिक शिष्यों में से एक थे राजा हरिष्चंद्र और उन्होंने उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान का उपदेश दिया। मुनि वसिष्ठ का ज्ञान और अनुभव उन्हें आध्यात्मिक और लोकाचार सम्प्रदाय का समझदार और अच्छा नेतृत्व करने में मदद करता है।

मुनि वसिष्ठ एक परम ऋषि होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ गुरु भी हैं। उनके पास अद्वितीय ज्ञान, आध्यात्मिक शक्ति और तत्त्वज्ञान की अमूल्य धारा है। मुनि वसिष्ठ ने श्री राम को शास्त्रों का ज्ञान और सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया था। उनकी आध्यात्मिक शिक्षा ने श्री राम को धार्मिक और मानवीय मूल्यों का समझने में मदद की।

मुनि वसिष्ठ ने अपने जीवन में अनेक यज्ञ और तप किए हैं। उन्होंने देवताओं के लिए हवन और पूजा की विधि का ज्ञान प्राप्त किया है। वे तपस्या और आध्यात्मिक साधना में प्रवीण थे और इसलिए देवर्षि के रूप में अत्यधिक प्रशंसा प्राप्त करते हैं।

मुनि वसिष्ठ एक अत्यंत गर्वित और विनम्र व्यक्ति हैं। उनके प्रति लोगों का सम्मान और आदर्शन अपार है। उनका विचारधारा और उपदेश लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। उनका प्रतिष्ठान पूरे ऋषि समुदाय में उच्च है और उन्हें आदर्श ऋषि का दर्जा प्राप्त है।

यथार्थ में, मुनि वसिष्ठ एक प्रतिष्ठित और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उनकी सच्ची भक्ति, न्यायप्रिय मतभेद और आध्यात्मिक शक्ति उन्हें अद्वितीय बनाती हैं। उनका चरित्र और आचरण लोगों के मन, विचार और जीवन को प्रभावित करता है।

यहां तक कि आज भी, मुनि वसिष्ठ का चरित्र और जीवन लोगों के द्वारा मान्यता प्राप्त करते हैं और उन्हें एक महान आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्मरण किया जाता है। उनका योगदान रामायण की कथा में महत्वपूर्ण है और उन्होंने श्री राम को आध्यात्मिक और धार्मिक राजनीति का ज्ञान दिया है।

समर्पित ऋषि और आचार्य के रूप में, मुनि वसिष्ठ ने लोगों को धार्मिकता, सत्य, न्याय और आध्यात्मिकता के मार्ग पर प्रेरित किया है। उनकी गहन ज्ञान और आध्यात्मिक अनुभव से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति का ज्ञान मिला है। वे एक महान व्यक्ति हैं जिनका योगदान रामायण के कथानक को आध्यात्मिक और धार्मिक रूप में संपूर्ण करता है।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.