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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : हनुमान द्वारा द्रोणागिरी पर्वत को उठा लाना। लक्ष्मण की मूर्च्छा भंग।

रामायण : Episode 69

हनुमान द्वारा द्रोणागिरी पर्वत को उठा लाना। लक्ष्मण की मूर्च्छा भंग।

रावण के भेजे मायावी असुर कालनेमि के जाल में फँसकर हनुमान सरोवर में स्नान करने हेतु उतरते हैं। एक मगरमच्छ हनुमान पर हमला करता है। हनुमान उसे मुख से फाड़कर मार देते हैं। मृत मगरमच्छ से एक देवकन्या प्रकट होती है जो ऋषि श्रापवश मगरमच्छ बन गयी थी। देवकन्या हनुमान को भेद देती है कि साधुवेश में कालनेमि नामक मायावी असुर उन्हें मार डालने के इरादे से आया है। हनुमान कालनेमि का वध कर देते हैं और अपने यात्रा पथ पर आगे बढ़ते हैं। हनुमान हिमालय के एक भाग द्रोणगिरी पर जगमग प्रकाश देखकर वहाँ उतरते हैं। यह प्रकाश दिव्य औषधियों का था किन्तु किसी आगन्तुक को आता पाकर औषधियाँ लुप्त हो जाती हैं। हनुमान दिव्य औषधियों के अदृश्य संरक्षक को अपना परिचय देते हैं और अपने आने का प्रयोजन बताते हैं। तब अदृश्य देवता उनके समक्ष प्रकट होकर हनुमान को औषधि ले जाने की अनुमति देते हैं। दिव्य औषधियाँ पुनः प्रकाशमान होती हैं किन्तु हनुमान पहचान नहीं पाते कि इनमें से मृतसंजीवनी बूटी कौन सी है। तब हनुमान बिना एक पल भी व्यर्थ गवाएं, पूरा द्रोणागिरी पर्वत को उठा ले जाने का निर्णय लेते हैं। हनुमान द्रोणागिरी पर्वत समेत आकाश मार्ग से वापस लौट रहे थे, उनके मार्ग में अयोध्या नगरी पड़ती है। अयोध्या के प्रहारी भरत को सूचना देते हैं कि कोई बड़ी आफत उनके नगर के ऊपर मण्डरा रही है। भरत हनुमान को कोई निशाचर समझते हैं और उस पर बाण चला देते हैं। बाण लगते ही हनुमान धरती पर आ गिरते हैं। हनुमान पीड़ा में राम का स्मरण करते हैं। उनके मुख से राम का नाम सुनकर भरत उन्हें चेतना में लाते हैं। हनुमान को जब यह ज्ञात होता है कि उनके समक्ष उनके प्रभु के अनुज भ्राता भरत खड़े हैं तो वे काफी भाव विह्वल होते हैं। भरत हनुमान से भाई राम लक्ष्मण और भाभी सीता की कुशलक्षेम पूछते हैं। हनुमान बिलखते हुए उन्हें पूरी बात बताते हैं। भरत स्तब्ध होते हैं फिर कुछ सम्भल कर हनुमान से कहते हैं कि वह उनके शक्ति बाण पर बैठ जायें, वह उन्हें कुछ देर में लंका पहुँचा देंगे। किन्तु हनुमान कहते हैं कि राम नाम की शक्ति से वह स्वयं सूर्योदय से पहले लंका पहुँच जायेंगे। हनुमान विशालरूप् धारण कर पुनः द्रोणागिरी पर्वत के साथ लंका को प्रस्थान करते हैं। भरत को पश्चाताप होता है कि उनके कारण ही उनके भाईयों को ये दारुण दुःख सहने पड़ रहे हैं। उधर राम रात्रि बीतने जाने के साथ लक्ष्मण के प्राणों को लेकर चिन्तित हैं। वे बारम्बार लक्ष्मण से आँखें खोलने को कहते हैं, मुख से कुछ बोलने को कहते हैं। राम बार बार पूछते हैं कि हनुमान अभी तक पहुँचे क्यों नहीं हैं। प्रतीक्षा की घड़ियाँ खत्म होती हैं। हनुमान सूर्योदय से पहले लक्ष्मण के प्राण के रूप में संजीवनी बूटी लेकर पहुँच जाते हैं। सुषेण वैद्य दिव्य वनस्पति की स्तुति कर लक्ष्मण को ठीक करने के लिये संजीवनी प्राप्त करते हैं और उसके रस से लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर करते हैं। लक्ष्मण चेतना में आते ही मेघनाद को ललकारते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Tara - तारा

श्रीमद् रामायण में तारा का चरित्र एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण रूप से उभरता है। तारा, किष्किंधा नगर के महान वानर राजा वाली की पत्नी थीं। वाली और तारा का विवाह वानर समुदाय में प्रेम के एक उदाहरण के रूप में माना जाता था। तारा का पूरा नाम अत्यंत सुंदरी ताराका था, जो उनकी सुंदरता को व्यक्त करता था। उनकी स्नेही और सदैव परोपकारी स्वभाव ने उन्हें वानर समुदाय में महत्वपूर्ण बना दिया था।

तारा एक बुद्धिमान, विद्वान् और साहसिक महिला थीं। वाली की साहसिक गुणवत्ता के कारण, उन्होंने वानरों के बीच एक अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान बनाया था। उन्होंने वानर समुदाय के सभी सदस्यों का सम्मान किया और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास किए। तारा बुद्धिमान वैद्यकीय ज्ञान की धारा थीं और उन्होंने वानर सेना की चिकित्सा और उनकी सेवाओं का प्रबंधन किया। वानर समुदाय में उनका उदाहरणीय आदर्श स्थान था और वे वानरों के लिए एक माता के समान थीं।

तारा की उपस्थिति वानर सेना के लिए एक आधारभूत सामर्थ्य थी। वाली द्वारा नेतृत्व किए जाने वाले सेनानायक के रूप में तारा की बुद्धि और वाणी का महत्वपूर्ण योगदान था। वानर सेना के प्रमुख नेता के रूप में, उन्होंने वानरों के बीच न्याय और समानता के सिद्धांत को स्थापित किया। तारा वाली के साथ एक ऐसी जीवन जीती थी जिसमें संयम और न्याय का महत्वपूर्ण स्थान था।

तारा अपनी श्रद्धा और निष्ठा के लिए भी प्रसिद्ध थीं। उन्होंने वानर समुदाय में आध्यात्मिक संघ के गठन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने वानर समुदाय के सदस्यों को धार्मिक शिक्षा दी और उनके आध्यात्मिक विकास का समर्थन किया। तारा धार्मिक और मनोवैज्ञानिक सुधारों को समर्थन करती थीं और उन्होंने वानर समुदाय के सदस्यों को धार्मिकता के मार्ग पर अग्रसर किया।

तारा रामचरितमानस में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वाल्मीकि जी महर्षि द्वारा लिखित इस ग्रंथ में उनका वर्णन किया गया है और उनकी साहसिकता, विवेक और धार्मिकता की प्रशंसा की गई है। उन्होंने लक्ष्मण के साथ राम को सम्पूर्णता के रूप में शरण दी और उन्हें वानर सेना का नेतृत्व सौंपा।

तारा की प्रतिभा, शक्ति और साहस ने उन्हें एक प्रमुख चरित्र बना दिया है। उनका प्रेम और समर्पण उन्हें वानर समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान देता है और उन्हें एक आदर्श पत्नी के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। उनका चरित्र रामायण के महान काव्य में सुंदरता और प्रेरणा का स्रोत बनता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.