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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राजा दशरथ की अन्त्येष्टि। भरत द्वारा राजसिंहासन को ठुकरना।

रामायण : Episode 22

राजा दशरथ की अन्त्येष्टि। भरत द्वारा राजसिंहासन को ठुकरना।

भरत माता कैकेयी पर क्रोधित हैं तो शत्रुघ्न मंथरा को पीटते हुए महल से निकाल रहे हैं। उन्हें पता चल जाता है कि इस षड्यन्त्र के पीछे मंथरा की ही कुटिल बुद्धि है। भरत शत्रुघ्न को भैया राम का वास्ता देकर हिंसा करने से रोकते हैं। भरत बड़ी माता कौशल्या से मिलने उनके कक्ष में जाते हैं। कौशल्या भरत से उन्हें राम के पास वन में भिजवाने को कहती हैं। भरत इससे दुःखी होते हैं। वे माता कौशल्या से कहते हैं कि वे उन्हें भैया राम के पास वन नहीं भेजेंगे बल्कि राम को वन से वापस लायेंगे। भरत के मन में ग्लानि से है कि पापकर्म उसकी माता ने किया है किन्तु सम्पूर्ण विश्व उसे भ्रातद्रोही कहेगा। महर्षि वशिष्ठ भरत को शोक त्याग कर पिता दशरथ के पार्थिव शरीर का अन्तिम संस्कार करने का परामर्श देते हैं। पूरी अयोध्या नगरी अपने महाराज की अन्तिम यात्रा में शामिल होती है। दशरथ के सत्कर्मों की यादकर प्रजा उनकी जय जयकार करती है। भरत पिता की चिता को अग्नि देते हैं। जब अस्थि कलश को सरयू नदी में प्रवाहित करने की बारी आती है तो भरत भाव विह्वल होते हैं और कलश नदी में प्रवाहित नहीं कर पाते। वशिष्ठ उन्हें मोह त्यागकर विधान पूरा करने का उपदेश देते हैं। अगले दिन राजसभा में महर्षि वशिष्ठ और मंत्री परिषद भरत से राजसिंहासन सम्भालने को कहती है। सुमन्त कहते हैं कि राजा के बिना राज्य असुरक्षित रहता है। शत्रु हमला कर सकते हैं। तब भरत सवाल उठाते हैं कि जब यही सभा युवराज राम को राजा चुन चुकी थी और महाराज ने अपनी रानी के कहने पर युवराज को वन भेज दिया था तो किसी मंत्री ने इसके विरूद्ध आवाज क्यों नहीं उठायी। भरत कहते हैं कि ज्येष्ठ होने के कारण राम ही राजसिंहासन के अधिकारी हैं। भरत पूरी राजसभा को कहते हैं कि वो उन्हें राम को वन से वापस लाने में सहयोग करे। वशिष्ठ भरत की प्रशंसा करते हैं। भरत माता कौशल्या को भी साथ चलने के लिये राजी कर लेते हैं और कहते हैं कि वे वन में ही भैया राम का राज्याभिषेक करेंगे। रानी कैकेयी को भी अब अपनी गलती का अहसास है। वो भी पश्चाताप करने भरत के साथ वन जाने का अनुरोध करती है। कौशल्या के कहने पर भरत इस पर सहमत होते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sugriva - सुग्रीव

सुग्रीव, एक प्रमुख पाताल देश का राजा था, जिसे "किष्किंधा" के नाम से भी जाना जाता है। रामायण में सुग्रीव को वानरराजा के रूप में जाना जाता है और वह एक महान सामरिक कौशल से युक्त था। सुग्रीव के बाल उत्तेजनाएँ और उसके शक्तिशाली देह से प्रकट होने वाला उसका रंग, सभी वानरों को उनके युद्ध क्षेत्र में अद्वितीय बनाता था। उसके मुख पर आकर्षक ब्राह्मणी मुद्रा थी, जो उसकी प्रभावशाली प्रतिष्ठा को और बढ़ाती थी।

सुग्रीव के बारे में कहानी बताती है कि उसका भाई वाली ने उसे वन में अनुचित तरीके से उठा लिया था और उसे उसकी राजसत्ता से वंचित कर दिया था। सुग्रीव की प्रतिष्ठा और वानरों की सेना उसे वानरराजा के रूप में मान्यता देती थी, लेकिन उसके अधिकार को छिन लेने के लिए उसे किष्किंधा के अंदर जेल में बंद कर दिया गया था। सुग्रीव ने वानर वंश की उत्पत्ति के संबंध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जब उसने पूरे वन के वानरों को उनके मूल स्थान पर लौटाया और उन्हें वानर संस्कृति के गर्व से जोड़ा।

जब सुग्रीव वन में विचरण कर रहा था, तो उसे श्रीराम की प्रेमिका सीता द्वारा श्रीराम का चित्र प्राप्त हुआ। उसने देखा कि सीता श्रीराम के साथ अयोध्या को छोड़कर वन में आई थी और उसे रावण ने हरण कर लिया था। सुग्रीव ने श्रीराम का साथ देने का निश्चय किया और उसने अपने अद्वितीय सेना के साथ किष्किंधा के बाहरी क्षेत्र में श्रीराम की खोज शुरू की।

श्रीराम के साथ लंका यात्रा करते समय, सुग्रीव ने हनुमान को भेजकर सीता की खोज करने के लिए नेतृत्व करने का निर्णय लिया। हनुमान ने सीता को ढूंढ़ने के लिए लंका में गुप्त रूप से प्रवेश किया और उसे मिलकर सीता के संदेश और राम के पत्र ले आया। सुग्रीव ने अपनी सेना के साथ राम को सहायता प्रदान करने के लिए लंका के विलाप क्षेत्र में जुट गया।

सुग्रीव की एक महत्वपूर्ण विशेषता उसकी मित्रता और वचनवद्धता थी। उसने श्रीराम के साथ वचन बंध किया कि जब वह लंका में वापस लौटेंगे, तो सुग्रीव अपने राज्य को वापस प्राप्त करेगा। श्रीराम ने सुग्रीव की मित्रता को स्वीकार करते हुए अपना वायदा किया और उन्होंने युद्ध में सामरिक सहायता प्रदान की।

सुग्रीव की प्रमुखता और धैर्य के कारण, श्रीराम ने उसे लंका के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका दी और उसे रावण के पुत्र मेघनाद के साथ संघर्ष करने के लिए चुना। सुग्रीव ने मेघनाद के साथ युद्ध करते समय वीरता का परिचय दिया और उसे अंतिम रूप से जीत दिया। उसने रावण के निधन के बाद लंका में श्रीराम को विजय प्राप्त कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सुग्रीव के बारे में कही गई एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि उसे श्रीराम के साथ अपने प्रेमिका तारा की साझा भाग्यविधान मिली। सुग्रीव ने तारा को अपनी धर्मपत्नी के रूप में स्वीकार किया और उससे उत्तम संबंध बनाए रखा। यह उनकी प्रेम और साहचर्य की अद्वितीय उदाहरण थी, जो सुग्रीव को श्रीराम की विशेष प्रीति का प्रमाण दिखाती थी।

सुग्रीव का चरित्र रामायण में महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह एक विश्वासपात्र, धैर्यशाली और सामरिक दक्षता का प्रतीक है। उसकी मित्रता, वचनवद्धता और सेवाभाव ने उसे एक महान वानरराजा बना दिया है, जिसने श्रीराम को उसकी यात्रा में साथ दिया और उसकी सहायता की। उसकी प्रेमिका तारा के साथ उसका धार्मिक और नैतिक संबंध भी उसके चरित्र की महिमा को बढ़ाते हैं। सुग्रीव रामायण में एक प्रमुख चरित्र है, जिसका योगदान पूरी कथा को मजबूती और महिमा प्रदान करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.