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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राम का श्रंगवेरपुर पहुँचना। निषादराज से मिलन। सुमन्त का लौटना।

रामायण : Episode 17

राम का श्रंगवेरपुर पहुँचना। निषादराज से मिलन। सुमन्त का लौटना।

तमसा नदी के तट पर राम सीता और अयोध्यावासी रात्रि विश्राम करते हैं। राम सूर्योदय से पहले उठते हैं और प्रजा को सोता छोड़कर चुपचाप यह स्थान छोड़ने का निर्णय लेते हैं। वे सुमन्त के साथ रथ पर सवार होकर श्रंगवेरपुर पहुँचते हैं जो निषादराज गुह का राज्य है। निषादराज राम के मित्र हैं। एक सैनिक निषादराज को राम के रथ के राज्य सीमा में प्रवेश की सूचना देता है। निषादराज बंधु बांधवों के साथ उनसे मिलते हैं। वो राम को तपस्वी वेश में देखकर अचम्भित है। वे कैकेयी की चाल समझ जाते हैं। उधर दशरथ अपने महल में पुत्र विरह में जल रहे हैं। उन्होने अन्न जल त्याग दिया है। निषादराज राम से अपने छोटे से वनप्रदेश श्रंगवेरपुर की सत्ता सम्भालने का अनुरोध करते हैं। राम इसे अस्वीकार करते हैं और वृक्ष के नीचे घासफूस के बिछौने पर रात्रि विश्राम करते हैं। लक्ष्मण माता सुमित्रा के आदेश का पालन करते हुए रात्रि प्रहरा देते हैं। सवेरे राम निषादराज से गंगा पार कराने के लिये नौका का प्रबन्ध करने का अनुरोध करते हैं। राम आर्य सुमन्त से वापस अयोध्या जाने, पिता दशरथ को सम्भालने और भरत के राज्याभिषेक की व्यवस्था करने का निवेदन करते हैं। सुमन्त राजा दशरथ की इच्छानुसार सीता को वापस अयोध्या भेजने का अनुरोध राम से करते हैं। सीता उन्हें अपने पत्नी धर्म का भान कराकर इनकार कर देती हैं। राम गंगा पार जाने का उद्धत होते हैं। लक्ष्मण उन्हें खड़ाऊ पहनाना चाहते हैं। लेकिन राम इसका भी त्याग कर देते हैं। लक्ष्मण भी बड़े भाई का अनुसरण करते हुए अपनी चरण पादुकाऐं उतार देते हैं। निषादराज कहते हैं कि वन के पथरीले मार्ग पर नंगे पाव चलना दुष्कर होगा। तब राम को स्मरण आता है कि बाल्यकाल में गुरू वशिष्ठ ने उन्हें अपने आश्रम में कठोर तप का प्रशिक्षण देकर वनवासी जीवन जीने के अनुकूल बना दिया था। राम समझ जाते हैं कि गुरू वशिष्ठ त्रिकालदर्शी हैं और सम्भवतः वे भाँप चुके थे कि भविष्य में क्या होने वाला है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sumantra - सुमंत्र

सुमंत्र रामायण का महत्वपूर्ण पात्र है जो एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और राजा दशरथ के मन्त्री के रूप में जाना जाता है। सुमंत्र अपनी बुद्धिमत्ता, विवेक, और सच्चाई के लिए प्रसिद्ध हैं। वह अपनी शांत और न्यायप्रिय प्रकृति के लिए भी प्रसिद्ध हैं। वह एक स्वाभिमानी और सजग व्यक्तित्व हैं जिसने अपने नैतिक मूल्यों को कभी नहीं छोड़ा है।

सुमंत्र को एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ के रूप में जाना जाता है जो राजा दशरथ के प्रमुख मंत्री के रूप में कार्यरत रहते हैं। उनके मार्गदर्शन में राजा दशरथ ने अपने राज्य को विकासित किया और उसे शांति और समृद्धि के मार्ग पर चलाया। सुमंत्र एक विद्वान और बुद्धिमान व्यक्ति हैं जिन्हें राजनीति, न्याय, और सत्य की गहरी समझ है। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग करके राजा दशरथ को सुझाव दिए और उनके निर्णयों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सुमंत्र का व्यक्तित्व निष्ठावान और न्यायप्रिय होने के साथ-साथ संतुलित है। वह उन गुणों को दिखाते हैं जो एक अच्छे मंत्री में होने चाहिए। सुमंत्र के बुद्धिमान विचार और विवेकशीलता ने उन्हें एक विशिष्ट पहचान दी है। उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों को सम्मानित किया है और धर्म, न्याय, और सत्य की प्राथमिकता को बनाए रखने का प्रयास किया है। वह अपनी सरकार के लोगों के हित में हमेशा काम करते रहे हैं और राजा दशरथ के उच्चतम कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।

सुमंत्र का शांत और सचेत मनोवृत्ति उन्हें अन्य लोगों के साथ मेल-जोल रखने और सभी द्वारा प्राथमिकता दी जाने वाली समस्याओं का समाधान करने में मदद करती है। सुमंत्र का स्वाभिमान और सजगता हमेशा उनके कार्यक्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं, और यह उन्हें न्यायप्रिय और निर्णयक होने की बजाय उच्च मानकों पर चलने के लिए प्रेरित करता है। उनका सदैव ध्यान राष्ट्रीय हित में रहता है और वे अपने विचारों को आपसी समझ और समन्वय के साथ प्रस्तुत करते हैं।

सुमंत्र एक मानवीय और निष्ठावान व्यक्तित्व हैं जो राजनीतिक मामलों को और सभी प्राथमिकताओं को समझते हैं। उनकी उच्च नैतिकता और शांत व्यवहार उन्हें एक आदर्श मंत्री बनाते हैं। वे अपने वचनों पर अटल रहते हैं और अपने कर्तव्यों को समय पर निभाते हैं। सुमंत्र राजा दशरथ के विश्वासयोग्य साथी के रूप में विख्यात हैं, और वे अपने योगदानों से उनके शासन को मजबूत और न्यायपूर्ण बनाते हैं।

सुमंत्र रामायण में एक प्रमुख और महत्वपूर्ण चरित्र हैं जो अपनी बुद्धिमत्ता, नैतिकता, और सेवाभाव के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को निभाते हुए राज्य की प्रगति और कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सुमंत्र की शांत और न्यायपूर्ण प्रकृति, उनकी बुद्धिमानता, और निष्ठा ने उन्हें एक महान और प्रशंसनीय व्यक्तित्व का दर्जा प्राप्त किया है। वे राजा दशरथ के निर्णयों के विचार में सदैव मदद करते हैं और राष्ट्रीय हित के लिए अपनी सेवाओं को समर्पित करते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.